ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर में सबसे ऊंचे स्थान पर पहली बार बारिश हुई है. वैज्ञानिकों का मानना है कि कई घंटों तक हुई इस बारिश का कारण जलवायु परिवर्तन ही हो सकता है.
विज्ञापन
अमेरिका के स्नो ऐंड आइस डाटा सेंटर के मुताबिक बारिश 14 अगस्त को बर्फ में 3,000 मीटर से भी ज्यादा की ऊंचाई पर कई घंटों तक हुई. बारिश के होने के लिए तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से ऊपर या बस थोड़ा सा नीचे होना चाहिए.
ग्रीनलैंड में बारिश का होना इस बात का संकेत है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बर्फ की चादर को बढ़ते हुए वैश्विक तापमान से कितना खतरा है. डेनिश मीटियोरोलॉजिकल इंस्टिट्यूट के शोधकर्ता मार्टिन स्टेंडल का कहना है,"यह एक एक्सट्रीम घटना है क्योंकि मुमकिन है कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ हो. संभव है कि यह ग्लोबल वॉर्मिंग का एक संकेत हो."
असाधारण घटना
उन्होंने बताया कि पिछले 2,000 सालों में बर्फ की चादर पर सिर्फ नौ बार तापमान हिमांक बिंदु से ऊपर बढ़ा है. इनमें से तीन बार तो ऐसा सिर्फ पिछले 10 सालों में ही हुआ है, लेकिन 2012 और 2019 में जब पिछली बार ऐसा हुआ था तब बारिश नहीं हुई थी.
स्टेंडल ने कहा,"हम यह साबित नहीं कर पाए हैं कि उसके पहले बाकी छह बार बारिश हुई थी या नहीं लेकिन इसकी संभावना कम ही है. इस वजह से यह जो बारिश हमने देखी है वो और ज्यादा असाधारण है."
बारिश गर्मियों के ऐसे मौसम के बाद आई जिस दौरान ग्रीनलैंड में नए रिकॉर्ड बनाने वाला 20 डिग्री से ज्यादा तापमान देखा गया. गर्मी की इस लहर के बीच बर्फ की चादर के पिघलने की रफ्तार और बढ़ गई है. चादर का पिघलना कई दशकों पहले शुरू हुआ था लेकिन 1990 में इसकी रफ्तार बढ़ने लगी.
कोलंबिया विश्वविद्यालय की लामों-डोहर्टी अर्थ ऑब्जर्वेटरी की ग्लेशियोलॉजिस्ट इन्द्राणी दास का कहना है,"यह बर्फ की चादर के लिए अच्छा संकेत नहीं है. बर्फ पर पानी बुरा होता है...उससे बर्फ की चादर का पिघलना और बढ़ जाता है."
विज्ञापन
क्यों बुरी है बारिश
पानी ना सिर्फ बर्फ के मुकाबले गर्म होता है, वो और गहरे रंग का भी होता है जिसकी वजह से वो सूरज की रोशनी को प्रतिबिंबित करने की जगह उसे ज्यादा सोख लेता है. बर्फ के पिघलने से जो पानी निकल रहा है वो समुद्र में बह रहा है जिसे समुद्र का स्तर बढ़ रहा है.
ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर का क्षेत्रफल फ्रांस के कुल क्षेत्रफल से भी तीन गुना ज्यादा बड़ा है. इसमें इतना पानी है कि इसके पिघलने से पूरी दुनिया में समुद्र का स्तर सात मीटर तक बढ़ सकता है.
बर्फ के पिघलने से वैज्ञानिक चिंतित हैं क्योंकि आर्कटिक की बर्फ वैश्विक औसत से ज्यादा रफ्तार से पिघल रही है. जनवरी में छपे एक यूरोपीय अध्ययन के मुताबिक, ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर के पिघलने से समुद्र का स्तर साल 2100 तक 10 से 18 सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है. यह रफ्तार पिछले अनुमान से 60 प्रतिशत ज्यादा तेज है.
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पहले ही ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर के पिघलने से निकले हुए पानी ने पिछले कुछ दशकों में दुनिया में समुद्र के स्तर के बढ़ने में 25 प्रतिशत योगदान दिया है. वैश्विक तापमान के बढ़ने से इस योगदान के और बढ़ने की संभावना है.
सीके/वीके (एएफपी/रॉयटर्स)
जानिए ग्रीनलैंड के बारे में, जिसे खरीदना चाहते हैं ट्रंप
ग्रीनलैंड का ज्यादातर हिस्सा बर्फ से ढका हुआ है.आबादी काफी कम है. डेनमार्क और ग्रीनलैंड हमेशा से कहते रहे हैं कि यह क्षेत्र बिक्री का नहीं है. बावजूद इसके अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप इसे खरीदना चाहते हैं.
तस्वीर: Imago Images/UIG
कई सारे रिकॉर्ड
ग्रीनलैंड के पास कई वर्ल्ड रिकॉर्ड हैं. यह दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है. यह पृथ्वी पर सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला क्षेत्र है. अंटार्कटिका के बाद सिर्फ ग्रीनलैंड ही ऐसा क्षेत्र है जहां हमेशा बर्फ की चादर बिछी रहती है. इसके 56,000 निवासियों में से अधिकांश इनुइट हैं. ये उन लोगों के वंशज हैं जो 13 वीं शताब्दी में कनाडा से यहां आए थे.
तस्वीर: Imago Images/UIG
अपना शासन
ग्रीनलैंड को 1979 में डेनमार्क ने स्व-शासन का अधिकार दिया था. 2008 में ग्रीनलैंडर्स ने एक ऐसे अधिनियम के पक्ष में मतदान किया जिसने उनकी सरकार को और भी अधिक शक्ति दी. डेनिश क्षेत्र होने से पहले, ग्रीनलैंड नॉर्वे के अधीन रहा है. 1499 में कुछ समय के लिए पुर्तगालियों ने भी इस पर नियंत्रण का दावा किया.
तस्वीर: Reuters/L. Jackson
संता का मेलबॉक्स
राजधानी नुक में ग्रीनलैंड की एक तिहाई आबादी रहती है. तस्वीर में आपको 'संता का मेलबॉक्स' दिख रहा है. संत निकोलस के नाम से हजारों पत्र हर साल क्रिसमस के आसपास यहां पहुंचते थे. कुछ कार्यकर्ता बच्चों की चिट्ठियों का हाथ से लिखे पत्रों के जरिए जवाब भी देते थे. हालांकि 2018 में 'मेलबॉक्स' को बंद कर दिया गया.
तस्वीर: picture-alliance/Chromorange/T. Wenning
पिघलती बर्फ
ग्रीनलैंड के लोगों ने ही सबसे पहली बार जलवायु परिवर्तन के असर को महसूस किया. समुद्र के बढ़ते जल स्तर के साथ साथ आर्कटिक की पिघतली बर्फ ने उन्हें जलवायु में बदलाव का अहसास कराया. हाल के दिनों में वैज्ञानिकों ने इस द्वीप पर एक बड़े पैमाने पर बर्फ पिघलने की घटना दर्ज की, जिसके बारे में भविष्यवाणी की गई थी कि ऐसा 2070 तक नहीं होगा.
तस्वीर: Getty Images/M. Tama
कस्तूरी बैल के बारे में आगाह
ग्रीनलैंड में एक संकेत पर्यटकों को कस्तूरी बैल के बारे में आगाह करता है. ये तीव्र गंध के लिए प्रसिद्ध हैं. वे सिर्फ ग्रीनलैंड, उत्तरी कनाडा और अलास्का में पाए जाते हैं. सदियों से अंधाधुंध शिकार की वजह से इनकी आबादी कम हो गई थी लेकिन अब शिकार पर रोक लगा दी गई है. इस वजह से ये फिर से नजर आने लगे हैं.
तस्वीर: DW/Irene Quaile
प्रत्येक साल मारी जाती है हजारों सील मछली
ग्रीनलैंड की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक मछली उद्योग पर निर्भर है. मछली पकड़ने का एक विवादास्पद तरीका सील मछली का शिकार है, जिसकी इजाजत अभी भी है. बर्फ की चादर पर बैठी सीलों को गोलीमार इसका शिकार किया जाता है. वैश्विक स्तर पर इस बात को माना गया है कि हत्या की वजह से सील प्रजाति ही विलुप्त हो सकती है लेकिन देश के कुछ लोग अपनी आजीविका के लिए पूरी तरह से सील के शिकार पर निर्भर हैं.
तस्वीर: Inuit Sila
वैकल्पिक परिवहन
ग्रीनलैंड के कुछ इलाकों में रोड नहीं हैं. बर्फ पर चलने वाली गाड़ियां काफी महंगी होती है. ऐसे में, ग्रामीण एक गांव से दूसरे गांव या समुंद्र तक जाने के लिए कुत्तों की गाड़ियां का इस्तेमाल करते हैं.
तस्वीर: Henry Tenenbaum
ट्रंप ने जताई खरीदने में दिलचस्पी
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने रविवार को एक बार फिर से पुष्टि किया कि उनका प्रशासन डेनमार्क से ग्रीनलैंड को खरीदने की सभी संभावनाओं को देख रहा है. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से काफी दिलचस्प है.