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ग्रीस के बाद यूरो जोन को इटली की चिंता

४ नवम्बर २०११

बाजार और यूरोपीय संघ के भारी दबाव के कारण इटली ने आईएमएफ और यूरोपीय संघ की निगरानी को सहमति दे दी है. फ्रांस के कान में चल रही जी20 देशों की बैठक में यूरोप के कर्ज और खास कर ग्रीस संकट की चर्चा है.

बर्लुस्कोनी को पूरे करने होंगे वादेतस्वीर: dapd

शुक्रवार को जी20 देशों के अंतिम सत्र में पारदर्शिता, वित्तीय नियमन के मुद्दों पर बहस केंद्रित रहने की संभावना है. ग्रीस के अलावा यूरो जोन के इटली और पुर्तगाल जैसे देशों पर भी आर्थिक संकट मंडरा रहा है. इटली के प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी ने शुक्रवार को आईएमएफ की निगरानी में रहने पर रजामंदी दी.

गुरुवार को उस वक्त इटली में सरकार गिरने की नौबत आ पड़ी जब उसे समर्थन दे रही पार्टियों ने अपने हाथ खींच लिए. इसी कारण बर्लुस्कोनी ने गुरुवार रात जी 20 देशों की बैठक के दौरान यूरो जोन के नेताओं और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से बातचीत करना तय किया.

इटली की हालत खस्ता

इटली ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब ग्रीस ने यूरो पैकेज पर जनमत संग्रह करवाने के अपने फैसले को वापस ले लिया है. सोमवार को अचानक जनमत संग्रह के एलान के बाद ग्रीस के यूरो जोन से बाहर हो जाने की आशंका जताई जा रही थी. ग्रीस 130 अरब यूरो के नए बेल आउट पैकेज के बारे में जनमत संग्रह करवाना चाहता था.

यूरोपीय संघ ने इटली के बारे में कहा, "हमें यह तय करना होगा कि क्या इटली के लक्ष्यों पर भरोसा किया जा सकता है और क्या वह उन्हें पूरा करेगा. हमने तय किया है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को भी निगरानी में शामिल किया जाए और वह इसके लिए अपना तरीका इस्तेमाल करें. इटली ने कहा है कि उन्हें इससे कोई समस्या नहीं है."

फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन और यूरोपीय सेंट्रल बैंक सहित आईएमफ और यूरोपीय संस्थाओं के नेताओं ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से यूरो जोन के कर्ज संकट पर बातचीत की.

यूरोपीय अधिकारियों ने कहा कि तीन मुद्दों पर विचार हो रहा है. इनमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का एक ऐसा फाइटिंग फंड बनाने पर भी बात हो रही है जो इटली और स्पेन जैसे संकट में पड़े देशों को मदद कर सकेगा.

ग्रीक नाटक

जी20 देशों की कोशिश रहेगी कि वह ग्रीक ड्रामा से परे देख सकें. ग्रीस में जनमत संग्रह के फैसले ने जी20 देशों की सालाना बैठक को बड़ा झटका दिया है. इस बैठक में कोशिश होगी कि बाजार को यह विश्वास दिलाया जाए कि यूरो जोन के अन्य देशों में वित्तीय संकट पैदा नहीं होगा.

यूरो जोन में ग्रीस का भविष्य शुक्रवार को प्रधानमंत्री जॉर्ज पापान्द्रेऊ के विश्वास मत पर निर्भर करता है. अगर वह विश्वास मत हार जाते हैं तो ग्रीस में आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो जाएगी. आशंका जताई जा रही है कि ग्रीस को 17 देशों वाले यूरो जोन से बाहर निकलना पड़ सकता है.

यूरो जोन को बचाने के लिए जर्मनी और फ्रांस के नेता सबसे ज्यादा सरगर्म हैंतस्वीर: AP

लेकिन वित्त मामलों के जानकार इटली की ओर देख रहे हैं क्योंकि उसके लिए ब्रसेल्स में संकट दूर करने के लिए एक पैकेज बनाया गया है. वित्त मामलों के विश्लेषक लुइगी स्पेरांजा की राय है, "इटली के पास यूरो जोन के कर्ज संकट की चाबी है. इटली में होने वाली घटनाएं संकट विरोधी प्रणाली का महत्वपूर्ण परीक्षण है."

ग्रीस में जनमत संग्रह के फैसले को वापस लेने के बाद भी राजधानी एथेंस में उठा पटक जारी रही. गुरुवार को प्रधानमंत्री पापांद्रेऊ ने अपनी सोशलिस्ट पार्टी के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा, "जनमत संग्रह कभी भी आखिरी उपाय नहीं था."

इस भाषण से पहले अटकलें थी कि पापांद्रेऊ ने अंतरिम सरकार की विपक्ष की मांग को मान लिया है जिसमें यूरोपीय केंद्रीय बैंक के पूर्व उपाध्यक्ष लुकास पापादेमोस को प्रधानमंत्री बनाने की बात हो रही थी. पूर्व ग्रीक प्रधानमंत्री कोस्तास सिमितिस को इस पद का दावेदार समझा जा रहा था. सिमितिस के प्रधानमंत्री काल में अपनाए गए सुधारों की जर्मनी में खासी तारीफ हुई. लेकिन पापांद्रेऊ ने साफ किया है कि वह अपना पद नहीं छोड़ेंगे.

रिपोर्टः डीडब्ल्यू, एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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