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ग्रीस के लिए वित्तीय पैकेज पर सहमति

२६ मार्च २०१०

यूरो ज़ोन में आने वाले देश ग्रीस के लिए वित्तीय पैकेज तैयार रखने पर सहमत हो गए हैं. इसमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) की भी साझेदारी होगी. आर्थिक मुश्किलों से जूझ रहे ग्रीस को मदद के लिए लंबे समय से बहस चल रही थी.

ग्रीस के प्रधानमंत्री पापांद्रेउ और खोसे मैन्युएल बारोसोतस्वीर: picture-alliance/dpa

ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन में ग्रीस के प्रधानमंत्री जॉर्ज पापांद्रेउ ने इस पैकेज को अपनी ज़रूरतों के मुताबिक़ बताया है और अब उम्मीद की जा रही है कि इससे 16 देशों की साझा मुद्रा यूरो की स्थिरता क़ायम होगी.

समझौते के तहत अगर आने वाले दिनों में ग्रीस की वित्तीय मुश्किलें बढ़ती हैं तो यूरो ज़ोन के देश और आईएमएफ़ उसे कर्ज़ देंगे. कर्ज़ देने में ज़्यादा भूमिका यूरोपीय देशों की ही होगी और इस पैकेज को 'सेफ़्टी नेट' का नाम दिया गया है. माना जा रहा है कि इस पैकेज की कुल क़ीमत लगभग 22 अरब यूरो होगी.

तस्वीर: AP

यूरोपीय देश क़रीब दो तिहाई रक़म का भुगतान करेंगे जबकि आईएमएफ़ एक तिहाई धन का इंतज़ाम करेगा. लेकिन जर्मनी इस पैकेज के लिए अनिच्छुक था और सहमति बनने के बावजूद उसने पैकेज के लिए कड़ी शर्तें रखी हैं.

ग्रीस को वित्तीय पैकेज बेहद मुश्किल परिस्थितियों का सामना होने पर ही दिया जाएगा और इसके लिए यूरो ज़ोन देशों की एक राय ज़रूरी होगी. हालांकि ग्रीस इस पैकेज से संतुष्ट नज़र आ रहा है हालांकि ग्रीस को फ़िलहाल कोई वित्तीय मदद नहीं दी जा रही है.

ग्रीस पर फ़िलहाल 300 अरब यूरो का कर्ज़ है और अपने दम पर ग्रीस को बड़ी आर्थिक सहायता देने में आईएमएफ़ को मुश्किलें पेश आ सकती थीं. वैसे यूरोपीय देश ग्रीस को आर्थिक मदद के लिए सहमति बनाना इसलिए भी चाहते थे ताकि यूरो मुद्रा में निवेशकों का भरोसा बना रहे.

जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल लंबे समय से कह रही थीं कि ग्रीस के कर्ज़ संकट का भार वह जर्मनी में टैक्स अदा करने वाले लोगों पर नहीं डालेंगी. हालांकि उन्होंने संकेत दे दिया था कि अगर आईएमएफ़ भी शामिल होता है और यूरोपीय संघ में वित्तीय घाटे के नियमों को कड़ा बनाया जाता है तो वह आपात योजना का समर्थन कर सकती हैं. ग्रीस का वित्तीय घाटा 12 फ़ीसदी से भी ज़्यादा हो गया था जो यूरोपीय संघ की तय सीमा से चार गुना है.

तस्वीर: picture alliance / dpa

फ़्रांस सहित कुछ अन्य देश आईएमएफ़ को वित्तीय पैकेज में शामिल करने का विरोध कर रहे थे क्योंकि उनका मानना था कि इससे ग़लत संदेश जाएगा कि यूरो ज़ोन के देश अपने संकट को अपने दम पर नहीं सुलझा पा रहे हैं.

ग्रीस के प्रधानमंत्री का कहना है कि उनका देश अपनी बचत योजना को ज़ोर शोर से आगे बढ़ाएगा ताकि वित्तीय घाटे को कम किया जा सके. ग्रीस के मुताबिक़ आपात वित्तीय पैकेज के तैयार रहने से वित्तीय बाज़ार को आश्वासन मिलेगा जो एक सही संकेत होगा.

वित्तीय संकट के दौरान यूरोपीय संघ में शामिल हंगरी, लातविया और रोमानिया को आईएमएफ़ और यूरोपीय संघ से आपात कर्ज़ मुहैया कराया गया है लेकिन ये देश यूरो ज़ोन यानी यूरो मुद्रा का इस्तेमाल करने वाले 16 देशों में नहीं आते थे. ग्रीस को बेल आउट पैकेज दिए जाने के जर्मनी ख़िलाफ़ था क्योंकि साझा मुद्रा के इस्तेमाल के नियमों में ऐसा करने की अनुमति नहीं है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: ए कुमार

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