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ग्रीस में वामपंथियों की जीत, ईयू पर संकट

२६ जनवरी २०१५

ग्रीस में वामपंथी सीरिजा पार्टी की जीत के बाद पूरे देश में लोग जश्न मना रहे हैं जबकि यूरोपीय नेता इस खेल में लग गए हैं कि बचत और कटौतियों का विरोध करने वाली ग्रीस की नई सरकार की क्या नीति होगी और उससे कैसे निबटा जाएगा.

Griechenland Wahlen 2015 Jubel bei Syriza Alexis Tsipras
तस्वीर: Reuters/A.Konstantinidis

ग्रीस के लोगों में जोरदार उत्साह है. सीरिजा पार्टी के दसियों हजार समर्थक और सदस्य 40 वर्षीय स्टार नेता अलेक्सिस सिप्रास के नेतृत्व में हुई जीत की खबर आने के बाद रात भर जश्न मनाते रहे. राजधानी और सारे देश में वे पार्टी का झंडा और अपनी मांगों का बैनर लेकर घूमते रहे. समर्थकों में ऐसे लोग भी शामिल थे जो परंपरागत रूप से वामपंथियों के समर्थक नहीं रहे हैं. 52 वर्षीय शिक्षक वासोस कापारोस ने कहा, "हमारे लिए मामला साफ था. कंजरवेटिव पार्टी की सरकार ने हमें कोने में धकेल दिया था. अब हमने उन्हें जवाब दे दिया है."

कापारोस के चार बच्चों में तीन बेरोजगार हैं और एक बेटा देश छोड़कर नीदरलैंड चला गया है. पिछले चार सालों में उनकी आय लगभग आधी हो गई है, "मैं वामपंथी नहीं था. इन लोगों ने मुझे बना दिया." 76 वर्षीय डॉक्टर स्पाइरोस कारास भी खुश हैं. वे परंपरागत वामपंथी परिवार से आते हैं. उनके कई परिवार वालों को 1947-49 के ग्रीस के गृहयुद्ध के दौरान देशनिकाला देकर माक्रोनिसोस द्वीप पर भेज दिया गया था. साम्यवाद का अपना पुराना सपना उन्होंने छोड़ दिया था, लेकिन अब कहते हैं, "अब नई दवा बह रही है. जनता बर्दाश्त न करने लायक बचत के विरोध में उठ खड़ी हुई है.

तस्वीर: Reuters/A.Konstantinidis

ग्रीस की बहुमत जनता सिप्रास के समर्थन में है, लेकिन यह अब तक की सरकार की नीतियों की प्रतिक्रिया लगती है. लेकिन सारी उम्मीदों के बावजूद लोग हकीकत के धरातल पर हैं. 23 वर्षीया हेयरड्रेसर अनीता स्केरी कहती है, "हमें कोई भ्रम नहीं है, कल हमारे लिए रोजगार नहीं आ जाएगा." लेकिन वे बताती हैं कि हारे हुए प्रधानमंत्री का चेहरा देखना अच्छा बदला था. वे कंजरवेटिव प्रधानमंत्री को ग्रीस की हालत के लिए जिम्मेदार मानती हैं. स्केरी को पता नहीं कि सिप्रास के शासन में हालत बेहतर होगी या नहीं, लेकिन वे कहती हैं, "और खराब क्या होगी."

वामपंथियों की जीत के साथ ग्रीस की समस्या खत्म नहीं हो गई है. नई सरकार बन गई है, लेकिन समस्याएं वहीं हैं. सिप्रास की सीरिजा पार्टी को 300 सीटों वाली संसद में सिर्फ 149 सीटें मिली हैं. बहुमत सरकार बनाने के लिए वे छोटी पार्टियों से बात कर रहे हैं ताकि पुरानी सरकार की बचत नीति को पलट सकें. लेकिन उनकी सबसे बड़ी समस्या यूरोपीय देशों को कर्जमाफी के लिए मनाने की होगी. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के नेतृत्व में यूरोपीय संघ का एक धड़ा सरकार की संतुलित खर्च वाली नीति की वकालत करता रहा है. विकास के लिए सरकारी निवेश वाले धड़े को ग्रीस के चुनावों से हवा मिली है.

एमजे/आईबी (डीपीए)

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