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ग्लोबल इकोनॉमिक एवॉर्ड से दो भारतीय सम्मानित

कील से आभा मोंढे२१ जून २००९

भारत में अपने उद्योग विकास कार्यों भारत को आगे बढ़ाने के आधार पर कील के वैश्विक आर्थिक संस्थान ने बाबा कल्याणी और सुनील भारती मित्तल को 2009 के ग्लोबल इकोनॉमिक पुरस्कार से सम्मानित किया.

भारती चेयरमैन सुनील मित्तलतस्वीर: AP

पहली बार दो भारतीयों को ये पुरस्कार दिया गया है और वो भी एक साथ. इसके पहले भारतीय मूल के अमर्त्य सेन को ये पुरस्कार दिया था. जर्मनी का उत्तरी शहर कील सांस्कृतिक उत्सव कीलर वोखे के शोर गुल में डूबा हुआ था वहीं समन्दर किनारे के विश्व आर्थिक संस्थान में आर्थिक जानकारों और श्लेसविग के मंत्रियों की नज़रें दो भारतीयों उद्योगपतियों पर थीं. बाबा नीलकंठ कल्याणी और सुनील भारती मित्तल.

स्टील कंपनी भारत फ़ोर्ज के चेयरमैन, बाबा कल्याणीतस्वीर: picture-alliance/ dpa

इस मौक़े पर कील में डॉयचे वेले से बातचीत में एयरटेल के संस्थापक और भारती ग्रुप के अध्यक्ष सुनील भारती मित्तल ने कहा कि ‘इस पुरस्कार से भारत को एक संदेश जाता है कि दुनिया में कोई है जो परवाह करता है कि अच्छे और नए विचारों का कितना महत्व है'.युवाओं के लिये संदेश में मित्तल ने कहा कि ‘किसी को भी अपने सपने नहीं छोड़ने चाहिये वो एक दिन ज़रूर सच होते हैं‘.

‘कील की इस जाने माने संस्था से भारत को दो अवॉर्ड दिये गए हैं ये बहुत अहम है इससे दुनिया को संदेश जाता है कि भारत का नाम फैल रहा है और उसे एक नई पहचान, इज़्ज़त मिल रही है‘

इसी तरह पूना के उद्योगपति बाबा कल्याणी ने डॉयचे वेले से बातचीत में कहा कि ‘हमारा काम है देश को आगे ले जाना उसे पहले नंबर पर लाना परेशानियों को दूर करने के लिये अगली पीढ़ी है, पहले हम तो अपना काम करें'. वोडाफोन जैसे ही एयर टेल दुनिया में नंबर एक पर क्यों नहीं हो पाता इसके जवाब में मित्तल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि ‘देखिये भारत में तो हम वोडाफोन को सामने से टक्कर दे ही रहे हैं. अफ्रीका और मध्यपूर्व की कंपनी एएमटी के साथ भी हमारी बातचीत चल रही है. देखिये आगे क्या होता है‘.सुनील भारती मित्तल ने सरकारी कंट्रोल के ज़माने में जहां बड़ी मुश्किल से अपना टेलीफोनी उद्योग खड़ा किया वहीं बाबा कल्याणी को उद्योग विरासत में मिला. हालांकि जब उन्होंने जर्मन कंपनियों के साथ काम करने का विचार किया तो कई लोगों ने उन्हें ये कहते हुए रोकने की कोशिश की कि तुम्हे सफलता नहीं मिलेगी.

उन्होंने कहा कि आर्थिक मंदी से तो पूरा विश्व परेशान हो ही रहा है लेकिन भारत की नीतियों के कारण उनकी बैंके अभी तक बची हुई हैं. बाकी देशों की तरह भारत ने अपना बाज़ार पूरी तरह नहीं खोला. यही वजह है कि भारत की बैंके तुलनात्मक तौर पर मज़बूत स्थिति में हैं.

बाबा कल्याणी को पुरस्कार देने की घोषणा करते हुए विश्व अर्थ संस्थान के प्रमुख प्रोफेसर डॉक्टर डेनिस स्नोर ने कहा कि ‘अगर कोई नहीं जानता कि बाबा कल्याणी कौन हैं तो भी वो या तो आउडी बीएमडबल्यू जनरल मोटर्स या फिर टोयोटा, जनरल मोटर्स की कोई कार चलाता ही होगा तो फिर निश्चित ही भारत फोर्ज कंपनी को किसी न किसी तरह जानता है‘.

अपने भाषण में कल्याणी जी ने कहा कि ‘मुझे आश्चर्य है कि जर्मनी में बॉलिवुड और स्लमडॉग मिलियोनेयर की चर्चा हो रही है अगर ऐसा है तो मुझे पूरा विश्वास है कि भारत को जो पहचान मिलनी चाहिये वो मिल रही है. बदलाव की गंध हवा में है‘.

2009 में ग्लोबल इकोनॉमिक प्राइज़ कुल चार लोगों को दिया गया. जिनमें बाकी दो नाम आयरलैंड की पूर्व, पहली महिला राष्ट्रपति मैरी रॉबिन्सन, और अर्थ इंस्टिट्यूट के प्रोफेसर जैफरी डी साक्स हैं.

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