चीन की मदद से बन रहे पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह पर ग्रैनेड हमला हुआ है. क्या पाकिस्तान चीन की 57 अरब डॉलर की परियोजना के लिए पुख्ता सुरक्षा मुहैया करा पा रहा है?
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ग्वादर पोर्ट के निर्माण में लगे मजदूरों के हॉस्टल में ग्रैनेड फेंका गया. पुलिस के मुताबिक हमले में 26 लोग घायल हुए हैं. हमले की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है. इलाके के पुलिस अधिकारी इमाम बख्श के मुताबिक हमला गुरुवार रात हुआ, "मजदूर हॉस्टल में डिनर कर रहे थे तभी मोटरसाइकिल सवारों ने उन पर ग्रैनेड से हमला किया."
ग्वादर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में है. प्राकृतिक रूप से समृद्ध इस इलाके में चीन बड़ा बंदरगाह बना रहा है. ग्वादर पोर्ट की मदद से चीन मध्य पूर्व और यूरोप के बाजार तक पहुंचना चाहता है. वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन ग्वादर को सड़क और ट्रेन से जोड़ेगा. लेकिन धीरे धीरे सुरक्षा को लेकर चीन की चिंता बढ़ रही है.
बलूचिस्तान में लंबे समय से अलगाववादी आंदोलन चल रहा है. अलगाववादियों का कहना है कि उनके संसाधनों का गलत तरीक से दोहन किया जा रहा है. समय समय पर अलगाववादी ऊर्जा और आधारभूत ढांचे से जुड़े प्रोजेक्ट्स को निशाना बनाते रहे हैं. बलूचिस्तान ईरान और अफगानिस्तान से सटा प्रांत है.
गुरुवार को बलूचिस्तान में तीन हमले हुए. ग्वादर के अलावा दूसरा हमला मसतुंग के फूड कोर्ट में हुआ. वहां भी ग्रैनेड हमले में 15 लोग जख्मी हुए. तीसरा हमला सुरक्षाकर्मियों पर हुआ. मोटरसाइकिल सवार ने पैरामिलिट्री के जवानों पर फायरिंग की. हमले में एक सुरक्षकर्मी की मौत हो गई और चार घायल हो गये.
पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक आतंकवादी चीन के इकोनमिक कॉरिडोर के निर्माण में बाधा पहुंचाना चाहते हैं. 2014 से अब तक ऐसी परियोजनाओं पर हुए हमलों में 50 पाकिस्तानी कर्मचारी मारे जा चुके हैं. पाकिस्तान चीन को भरोसा दिलाता रहता है कि वह 57 अरब डॉलर की इस परियोजना के लिए पुख्ता सुरक्षा मुहैया करायेगा.
(क्या है चीन का "वन बेल्ट, वन रोड" प्रोजेक्ट)
क्या है चीन का "वन बेल्ट, वन रोड" प्रोजेक्ट
900 अरब डॉलर की लागत से चीन कई नए अंतरराष्ट्रीय रूट बनाना चाहता है. वन बेल्ट, वन रोड नाम के अभियान के तहत बीजिंग ये सब करेगा.
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चीन-मंगोलिया-रूस
जून 2016 में इस प्रोजेक्ट पर चीन, मंगोलिया और रूस ने हस्ताक्षर किये. जिनइंग से शुरू होने वाला यह हाइवे मध्य पूर्वी मंगोलिया को पार करता हुआ मध्य रूस पहुंचेगा.
न्यू यूरेशियन लैंड ब्रिज
इस योजना के तहत चीन यूरोप से रेल के जरिये जुड़ चुका है. लेकिन सड़क मार्ग की संभावनाएं भी बेहतर की जाएंगी. 10,000 किलोमीटर से लंबा रास्ता कजाखस्तान और रूस से होता हुआ यूरोप तक पहुंचेगा.
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चाइना-पाकिस्तान कॉरिडोर
56 अरब डॉलर वाला यह प्रोजेक्ट चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत को कश्मीर और पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ेगा.
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चाइना-सेंट्रल एंड वेस्ट एशिया कॉरिडोर
सदियों पुराने असली सिल्क रूट वाले इस रास्ते को अब रेल और सड़क मार्ग में तब्दील करने की योजना है. कॉरिडोर कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान, ईरान, सऊदी अरब और तुर्की को जो़ड़ेगा.
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दक्षिण पूर्वी एशियाई कॉरिडोर
इस कॉरिडोर के तहत चीन की परियोजना म्यांमार, वियतनाम, लाओस, थाइलैंड से गुजरती हुई इंडोनेशिया तक पहुंचेगी.
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चाइना-बांग्लादेश-इंडिया-म्यांमार कॉरिडोर
इस परियोजना के तहत इन चार देशों को सड़क के जरिये जोड़ा जाना था. लेकिन भारत की आपत्तियों को चलते यह ठंडे बस्ते में जा चुकी है. अब चीन बांग्लादेश और म्यांमार को जोड़ेगा.
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चाइना-नेपाल-इंडिया कॉरिडोर
म्यांमार के अलावा चीन नेपाल के रास्ते भी भारत से संपर्क जोड़ना चाहता है. इसी को ध्यान में रखते हुए चीन ने नेपाल को भी वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट में शामिल किया है.
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प्रोजेक्ट का मकसद
वन बेल्ट, वन रूट जैसी योजनाओं की बदौलत चीन करीब 60 देशों तक सीधी पहुंच बनाना चाहता है. परियोजना के तहत पुल, सुरंग और आधारभूत ढांचे पर तेजी से काम किया जा रहा है. निर्यात पर निर्भर चीन को नए बाजार चाहिए. बीजिंग को लगता है कि ये सड़कें उसकी अर्थव्यवस्था के लिए जीवनधारा बनेंगी.
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अमेरिका नहीं, चीन
डॉनल्ड ट्रंप की संरक्षणवादी नीतियों के चलते दुनिया भर के देशों को अमेरिका से मोहभंग हो रहा है. चीन इस स्थिति का फायदा उठाना चाहता है. बीजिंग खुद को अंतरराष्ट्रीय व्यापार की धुरी बनाने का सपना देख रहा है. इसी वजह से इन परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है.