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घंटों मत बैठिये नहीं तो हो सकता है कैंसर

२० जनवरी २०१२

यदि आपको ऑफिस में घंटों कुर्सी पर बैठ कर काम करना होता है, या आप घर पर टीवी या फिल्में देखते हुए काफी देर बैठे रहते हैं है तो जरा संभल जाइये. क्योंकि एक ही स्थिति में बैठने से कैंसर होने का खतरा कई गुना बढ जाता है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

दुनिया के जाने माने डॉक्टर अपनी खोज के बाद इस नतीजे पर पहुचे हैं. विशेषज्ञो ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि यदि हर घंटे के बाद 2 मिनिट का ब्रेक लेकर थोडा टहल लिया जाये तो इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

हर घंटे 2 मिनट का ब्रेक जरूरी

आज की व्यस्त दिनचर्या और कार्यशैली में अधिकांश लोगों आफिस या अपने काम की जगह पर घंटों एक जैसी अवस्था में बैठना होता है. इससे उनका दिमाग और हाथ तो सक्रिय होते हैं लेकिन उनका बाकी शरीर निष्क्रिय बना रहता है. डाक्टरों के अनुसार यही निष्क्रियता सबसे अधिक खतरनाक होती है. क्योंकि निष्क्रियता और कोशिकाओं के असमान और अनियमित तरीके से बढ़ने के बीच गहरा संबंध होता है. लगातार इसी तरह कि स्थिति बने रहने पर स्तन और दूसरे प्रकार के कैंसर का खतरा काफी बढ जाता है. चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार हर साल कैंसर के रोगियों कि जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि लगभग 1 लाख लोगों में यह बीमारी निष्क्रिय रहने और कसरत नहीं करने की वजह से होती है. डाक्टरों ने यह सुझाव भी दिया है कि इस जानलेवा और भयानक बीमारी से बचने के लिए लोगों को अपनी फिटनेस पर अधिक ध्यान देने कि जरुरत है. लम्बे समय तक एक ही मुद्रा में बैठ कर काम करने वाले लोगों को भी हर 1 घंटे में 2 मिनट का ब्रेक लेकर खुद को सक्रिय बनाये रखना चाहिए.

निष्क्रियता खतरनाकतस्वीर: picture-allianc/dpa

कसरत करिये और रेड मीट मत खाइये

भारत के वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ और इंदौर कैंसर फाउंडेशन के चेयरमैन डा.दिक्पाल धारकर के अनुसार कई सालों से इस पर शोध चल रहा है. उन्होंने कहा, "निष्क्रियता की वजह से सबसे ज्यादा बड़ी आंत का कैंसर होता है. शरीर में जो हानिकारक टॉक्सिन रहते हैं वे कसरत करने से काफी हद तक निकल जाते हैं. मैंने इसका अध्ययन किया तो जानकारी मिली कि कसरत इन हानिकारक टॉक्सिन को पाचन तंत्र और बड़ी आंत से दूर रखने में मदद करता है. रेड मीट या इसी तरह की चीजें ज्यादा खाने से भी इस तरह के कैंसर का खतरा होता है. यदि हम सक्रिय नहीं रहे तो भी इसकी संभावना बढ जाती है हालांकि अब भी इस पर काफी काम करने कि जरुरत है."

महिलाओं की सावधानी ज्यादा जरूरी

कैंसर पर हुई रिसर्च में इस बात का भी पता चला है कि महिलाओं को रजोनिवृति के बाद अधिक सतर्क रहने कि जरुरत है. यदि वे ऑफिस में घंटों बैठ कर काम करती है या फिर घर में बैठ कर भी ऐसे काम करती है जिसमे सक्रियता नहीं रहती तो उन्हें संभल जाना चाहिए. रजोनिवृति के बाद यदि महिलाएं रोजाना तेज चलें तो कैंसर का खतरा पैदा करने वाले कई प्रमुख कारणों पर आसानी से काबू पा सकती है. इससे हारमोन का स्तर भी ठीक रहता है और इंसुलिन कि मात्रा और वसा का स्तर भी शरीर में ठीक बना रहता है. रिसर्च में इस बात का भी पता चला है कि रोजाना शरीर को सक्रिय रखने पर स्तन और दूसरे प्रकार के कैंसर के खतरे में 30 प्रतिशत तक कि कमी की जा सकती है. हर दिन आधा घंटा पैदल चलने या कसरत करने जैसे उपायों से भी कैंसर के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है. डॉ धारकर ने बताया कि रजोनिवृति के बाद यदि महिलाएं सक्रिय रहे तो स्तन कैंसर के खतरे से बचा जा सकता है. इस कैंसर के रोगियों को उपचार के बाद वजन पर खास ध्यान देना चाहिए.उनका वजन10 प्रतिशत से अधिक नहीं बदना चाहिए.

थोड़ी सी धूपतस्वीर: Iakov Kalinin/Fotolia

बस 15 मिनट की धूप

यदि आपके घर में मौजूद दादी-नानी नन्हे मुन्नों को या आपको कुछ देर धूप में बैठने के लिए कहें तो उनकी बात को हवा में मत उडाइये. वैज्ञानिकों ने जांच के बाद साबित कर दिया है कि हफ्ते में 2 से 3 दिन केवल 15 मिनट धूप में बैठने भर से 15 से अधिक प्रकार के कैंसर से बचा जा सकता है.

दरअसल हमारे शरीर और हड्डियों के लिए विटामिन डी बेहद जरुरी होता है. विटामिन डी ही दिल कि मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र को ठीक रखता है. यही विटामिन खून के प्रवाह को सुचारू रखने में भी मदद करता है. विटामिन डी सूर्य की किरणों में प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है. यदि रोजाना थोड़ी देर धूप में बैठ कर विटामिन डी का सेवन किया जाये तो इससे 15 से भी अधिक प्रकार के कैंसर से बचा जा सकता है. दुनिया के ठंडे देशो में विटामिन डी कि कमी से हर वर्ष लगभग 1 लाख लोगों कि मौत हो जाती है. हालांकि अब विटामिन डी हासिल करने के लिए कई प्रकार की दवाई बाजार में उपलब्ध है. लेकिन इसे हासिल करने का प्राकृतिक और आसन तरीका धूप ही है. सप्ताह में 2-3 दिन में धूप में बैठ कर आसानी से इसकी जरूरी मात्रा हासिल हो सकती है. इसके अलावा खाने में दूध, अंडे, मछली को शामिल करने से भी विटामिन डी कि कमी को पूरा किया जा सकता है. 1 गिलास दूध से 100 आईयूज विटामिन डी मिलता है. 20 से 50 साल की उम्र के इंसान को हर दिन 400 आईयूज और इससे अधिक उम्र के लोगों को 800 आईयूज चाहिए होता है. महिलाओं में भी विटामिन डी कि कमी से कई बीमारियां होती है. महिलाओं को हर दिन 500 आईयूज विटामिन चाहिए,पर इसकी पूर्ति अकेले खाने से नहीं हो सकती. धूप इसका सबसे बेहतर स्रोत है. वह भी बिना पैसे खर्च किये. धारकर ने कहा कि विटामिन डी 3 का कैंसर की रोकथाम में काफी बड़ा योगदान है. स्विट्जरलैंड के सेन्ट गालेन में हुई कांफ्रेंस में भी यह बात सामने आई. तब से इस पर काफी काम चल रहा है.

इनसे बच कर रहें...

धारकर ने बताया कि कैंसर से दूर रहना है तो रेड मीट खाने से बचना चाहिए. साथ ही हारमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का अधिक इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए. 3 से अधिक लोगों के साथ शारीरिक सम्बन्ध रखने पर ह्यूमन पेपिलोया वायरस से बच्चेदानी के निचले भाग के कैंसर का खतरा कई गुना बढ जाता है. हाल ही में अमेरिका में हुई खोज से पता चला है कि इसी वायरस से मुंह और गले का कैंसर भी होने लगा है. सबसे ज्यादा युवा ही इसकी चपेट में आ रहे हैं

रिपोर्टः जितेंद्र व्यास

संपादनः एन रंजन

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