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घटनाओं से भरा साल था 1964

२९ जुलाई २००९

डॉयचे वेले की हिंदी सेवा का पहला प्रसारण 15 अगस्त 1964 को हुआ. कैसा था ये साल जब डॉयचे वेले ने हिंदी और ऊर्दू कार्यक्रम शुरू करने का फ़ैसला किया था. बता रहीं हैं प्रिया एस्सेलबॉर्न.

प्रिया एस्सेलबॉर्न, प्रबंध संपादकतस्वीर: Liesegang/DW

इतिहास, वर्तमान, हमारा साहित्य और हमारी सोच ये सब इसके गवाह हैं कि दुनिया में अपने लिए संघर्ष करने वाले तो ख़ूब हुए लेकिन समाज के लिए जीने और लड़ने वाले विरले ही पैदा हुए हैं. शायद अलग अलग भाषाओं में युगपुरुष जैसे कम इस्तेमाल होने वाले शब्द इन्हीं चुनिंदा लोगों के लिए गढ़े गए, ताकि आने वाली पीढ़ी भी इनसे प्रेरणा लेती रहे.

1964 में प्रेस कांफ़्रेंस देते मार्टिन लूथर किंगतस्वीर: AP

ऐसी ही एक महान शख़्सियत थे मार्टिन लूथर किंग. 1964 में अश्वेतों के लिए अमेरिका में संघर्ष लड़ रहे मार्टिन लूथर किंग को पूरे विश्व का समर्थन मिला. मार्टिन लूथर किंग का एक वाक्य रंगभेद का शिकार बने हुए अश्वेतों के संघर्ष का प्रतीक बन गया. मार्टिन लूथर किंग ने वॉशिंगटन में लाखों लोगों के सामने कहा कि उनका एक सपना है: "एक ऐसा सपना कि एक दिन मेरे चार बच्चों को उनके शरीर के रंग पर ही नहीं बल्कि उनके चरित्र से पहचाना जाए. यह मेरा सपना है." असीम योगदान के लिए उन्हें नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. नोबेल पुरस्कार पाने वाले वह सबसे युवा व्यक्ति थे.

पं. जवाहरलाल नेहरूतस्वीर: AP

दूसरे ऐसे व्यक्ति जिन्होंने दुनिया भर की तारीफ़ बटोरी, वे थे भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू. उन्होंने भारत की आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गांधी का भरपूर साथ दिया. ग़रीबों और असहयोग आंदोलन से जुड़े लोगों की आवाज़ बनकर उन्होंने भारतीयों के दिल में अपनी जगह बनाई थी. लेकिन 1964 में देश को अपने इस प्यारे बेटे को खोना पड़ा.

दर्द की उस घड़ी में दुनियाभर के शीर्ष नेताओं ने अपनी श्रंद्धाजलि अर्पित की. उनमें से एक थे उस वक़्त के जर्मन चांसलर लुडविग ऐरहार्ड. नेहरूजी की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि शोक की इस अनुभूति में एक गहरा क्षोभ भी मिला हुआ है. यह क्षोभ हमेशा तब ही महसूस होता है जब दुनिया एक अनोखे मनुष्य और राजनीतिज्ञ को खो बैठती है. नेहरूजी ने अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व के बल पर ही अनेक दृष्टियों से बंटी हुई जनता को एक सूत्र में पिरोया था.

1964 विएतनाम युद्ध के लिए भी याद किया जाता था. 1964 वह साल था जब अमेरिकी सेनाएं विएतनाम पर हमला कर बैठीं. यह शीत युद्ध का समय था यानी दुनिया अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ, इन्हीं दो खेमों में बंटी थी. 1964 में सोवियत संघ के निकिता ख्रुश्चोव को भी अपना पद छोड़ना पड़ा और लेओनीद ब्रेज़नेव देश के नए राष्ट्रपति बने. उसी वर्ष चीन ने भी अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन के बाद अपना परमाणु परिक्षण किया.

द बीटल्स के सदस्यतस्वीर: picture-alliance/dpa

खेल की दुनिया में 1964 कैशियस क्से के नाम है जिन्हें मुहम्मद अली के नाम से भी जाना जाता है. उसी साल वह पहली बार विश्व चैंपियन बने और फिर एक दशक से भी ज़्यादा वक्त तक बॉक्सिंग रिंग के चैंपियन बने रहे. आज भी वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बॉक्सरों में से एक माने जाते हैं.

इसी साल टोकियो में ओलिंपिक भी हुए. इनमें आखिरी बार जर्मनी ने पूरब और पश्चिम की संयुक्त टीम के साथ भाग लिया. संगीत की दुनिया में ब्रिटेन के बीटल्स ने भी एक अनोखा रिकॉर्ड बनाया. पौल मैककार्टनी, जॉन लेनन, रिंगो स्टार और जॉर्ज हैरिसन ने अमेरिका में चार्ट्स के पहले पांच स्थानों पर कब्ज़ा किया.

प्रिया एस्सेलबॉर्न

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