दुनिया के सबसे अमीर लोगों की दौलत घट रही है. चीन में लगभग 50 लोग अरबपतियों की लिस्ट से बाहर हो गए हैं. बीते एक साल में सुपर रिच लोगों की दौलत क्यों घटी, जानिए.
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साल 2018 में दुनिया के सबसे अमीर लोगों की संपत्ति में कमी का एक बड़ा कारण शेयर बाजार की निश्चितत्ता और चीन की अर्थव्यवस्था में आ रही गिरावट है. पिछले साल दुनिया भर के अरबपतियों की दौलत में 388 अरब डॉलर की कमी आई.
बिलेनियर इफेक्ट रिपोर्ट में बीते साल उन लोगों की दौलत में आए उतार चढ़ाव का ब्यौरा है जिनके पास एक अरब डॉलर या उससे ज्यादा कीमत की नकद या अन्य संपत्तियां हैं. दस साल तक उनकी अमीरी में वृद्धि होने के बाद पिछले साल 2017 के मुकाबले 4.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. इससे पहले के पांच बरसों के दौरान उनकी संपत्ति 34.5 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी. इसकी बड़ी वजह, यूबीएस और पीडब्ल्यूसी बिलेनियर इनसाइट्स रिपोर्ट में वैश्विक शेयर बाजार के अच्छे प्रदर्शन को माना गया है.
पिछले साल अरबपतियों की दौलत में आई गिरावट की वजह अमेरिकी डॉलर की मजबूती, व्यापार विवाद और वित्तीय बाजार की अस्थिरता को बताया गया है. रिपोर्ट कहती है, "बावजूद इसके, अरबपतियों के कारोबार आगे बढ़ रहे हैं. इन लोगों के बिजनेस लगातार बाजार से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं."
हर साल भारतीय अमीरों की सूची जारी करने वाली हुरुन इंडिया ने 2019 के अमीरों की सूची जारी कर दी है. इस सूची में 953 भारतीय ऐसे हैं जिनकी संपत्ति 1000 हजार करोड़ से ज्यादा की है. जानिए कौन हैं इस सूची के टॉप 10.
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दिलीप सांघवी
सन फार्मास्यूटिकल्स के प्रबंध निदेशक दिलीप सांघवी इस सूची में 10वें स्थान पर हैं. उनकी संपत्ति 71,500 करोड़ रुपये की आंकी गई है. पिछले साल की तुलना में उनकी संपत्ति में 20 प्रतिशत की कमी आई है. 2016 में वो दूसरे सबसे अमीर भारतीय थे.
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शपूर पलोंजी मिस्त्री
शपूर पलोंजी ग्रुप के मालिक शपूर पलोंजी की संपत्ति करीब 76,800 करोड़ रुपये है. वो इस सूची में नवें स्थान पर हैं. उनकी संपत्ति पिछले साल की तुलना में 11 प्रतिशत बढ़ी है.
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साइरस मिस्त्री
शपूर पलोंजी मिस्त्री के भाई साइरस मिस्त्री की संपत्ति भी 76,800 करोड़ रुपये की है. वो शपूर पलोंजी ग्रुप के साथ टाटा में भी हिस्सेदारी रखते हैं. उनकी संपत्ति भी पिछले साल की तुलना में 11 प्रतिशत बढ़ी है.
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साइरस एस पूनावाला
पूनावाला ग्रुप के चेयरमैन साइरस पूनावाला इस सूची में सातवें स्थान पर हैं. उनकी संपत्ति की कीमत करीब 88,800 करोड़ रुपये है. पिछले साल की तुलना में उनकी संपत्ति 22 प्रतिशत बढ़ी है. वो दवाई बनाने वाली कंपनी सेरम के मालिक भी हैं.
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उदय कोटक
कोटक महिंद्रा बैंक के संस्थापक और चेयरमैन उदय कोटक भारत के छठवें सबसे अमीर व्यक्ति हैं. उनकी संपत्ति करीब 94,100 करोड़ रुपये की है. पिछले साल की तुलना में यह 20 प्रतिशत बढ़ी है.
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गौतम अदानी
अदानी ग्रुप के मालिक गौतम अदानी इस सूची में पांचवे स्थान पर हैं. उनकी संपत्ति 94,500 करोड़ रुपये आंकी गई है. पिछले साल की तुलना में अदानी की संपत्ति 33 प्रतिशत बढ़ी है.
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लक्ष्मी निवास मित्तल
स्टील किंग के नाम से मशहूर लक्ष्मी निवास मित्तल भारत के चौथे सबसे अमीर आदमी हैं. उनकी संपत्ति 1,07,300 करोड़ है. पिछले साल की तुलना में यह छह प्रतिशत कम है.
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अजीम प्रेमजी
विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी भारत के तीसरे सबसे अमीर आदमी हैं. उनकी संपत्ति 1,17,100 करोड़ आंकी गई है. यह पिछली साल की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक है.
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श्रीचंद परमानंद हिंदुजा
हिंदुजा ग्रुप के मालिक एस पी हिंदुजा भारत के दूसरे सबसे अमीर आदमी हैं. उनकी संपत्ति 1,86,500 करोड़ रुपये है. पिछली साल के मुकाबले इसमें 17 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है. तस्वीर में बाएं गोपीचंद हिंदुजा और दाएं एसपी हिंदुजा हैं.
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मुकेश अंबानी
रिलांइस समूह के मालिक मुकेश अंबानी भारत के सबसे अमीर आदमी हैं. उनकी संपत्ति 3,80,700 करोड़ रुपये है. पिछली साल की तुलना में यह तीन प्रतिशत ज्यादा है.
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अमेरिका के बाद चीन में सबसे ज्यादा अरबपति रहते हैं. वहां पिछले साल अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ी है जिसकी वजह से चीनी अरबपतियों की दौलत पर असर पड़ा है. उनकी संपत्ति में 12.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. ऐसे में, 48 चीनी अरबपतियों की इस लिस्ट से बाहर हो गए हैं. अब चीन में एक अरब डॉलर या उससे ज्यादा की संपत्ति के मालिक लोगों की संख्या 325 है.
वैसे दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले इस देश ने 2018 में 56 नए अरबपति दिए. यानी चीन में पिछले साल हर हफ्ते एक नया व्यक्ति अरबपतियों की लिस्ट में शामिल हुआ.
पूरे एशिया प्रशांत क्षेत्र में अरबपतियों की संख्या 7.4 प्रतिशत की गिरावट के साथ 753 रह गई है. यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका में भी अरबपतियों की दौलत 6.8 प्रतिशत कम होकर 3.4 ट्रिलियन डॉलर रह गई है. सिर्फ अमेरिकी महाद्वीप में मौजूद अरबपतियों की दौलत में 0.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसका श्रेय अमेरिकी टेक कारोबारियों की कामयाबी को दिया जा रहा है.
रिपोर्ट यह भी कहती है कि महिलाएं बड़ी संख्या में अरबपतियों की लिस्ट में शामिल हो रही हैं. पिछले पांच साल में अरबपति महिलाओं की संख्या में 46 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2013 में जहां महिला अरबपतियों की संख्या 213 थी, वह अब बढ़ कर 233 हो गई है. एशिया में आधी से ज्यादा अरबपति महिलाओं ने इतनी बड़ी संपत्ति खुद अपने दम पर खड़ी की है.
जर्मनी को धनी देश माना जाता है, लेकिन परिवार के जेब में खर्च करने के लिए धन, देश के अलग अलग इलाकों में कम या ज्यादा है. पूर्वी जर्मनी के परिवारों की माली हालत एकीकरण के 30 साल बाद भी खस्ता है.
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आय में भारी अंतर
ट्रेड यूनियन की करीबी संस्था हंस बोएक्लर फाउंडेशन के आर्थिक व सामाजिक विज्ञान संस्थान ने जर्मनी के 401 जिलों और शहरों के आंकड़ों पर एक सर्वे किया है. नतीजे दिखाते हैं कि समृद्धि का इलाकों से लेना देना है. पूरब और पश्चिम में बड़ा अंतर है लेकिन गरीबी पश्चिम के इलाकों में भी है.
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सबसे धनी जिला
जर्मनी का सबसे धनी जिला म्यूनिख के करीब श्टार्नबर्ग है. यहां हर व्यक्ति के पास खर्च करने के लिए सालाना 34,987 यूरो यानि करीब 28 लाख रुपया है. यह वह राशि है जो लोगों के पास टैक्स, सामाजिक बीमा और अन्य शुल्क चुकाने के बाद बचती है.
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सबसे गरीब इलाका
जर्मनी का सबसे गरीब इलाका पश्चिमी जर्मनी में खनन के लिए प्रसिद्ध रहे रुअर का गेल्जेलकिर्षेन शहर है. यहां लोगों के पास प्रति व्यक्ति सालाना 16,203 यूरो उपलब्ध है. यह रकम देश के सबसे धनी जिले स्टार्नबर्ग के मुकाबले आधे से भी कम हुई.
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क्या है औसत आय
प्रति व्यक्ति खर्च के लिए उपलब्ध धन का पता करने के लिए हंस बोएक्लर फाउंडेशन के शोध संस्थान ने आय, टैक्स तथा सरकारी सब्सिडी पर संघीय और प्रांतीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों का इस्तेमाल किया है.
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कितनी है औसत आय
जर्मनी में लोगों के पास खर्च के लिए उपलब्ध राशि का औसत सालाना 23,295 यूरो है. पश्चिमी जर्मनी के रुअर, जारलैंड और लोवर सेक्सनी के कुछ इलाकों के साथ साथ पूर्वी जर्मनी अभी भी आर्थिक रूप से पिछड़े इलाके हैं.
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हालत खराब
पूर्वी जर्मनी के 77 जिलों और शहरों में से सिर्फ छह में लोगों के पास 20,000 यूरो से ज्यादा रकम उपलब्ध है. पश्चिमी जर्मनी के 324 में 284 जिलों और शहरों में ये हालत है. एक यूरो की कीमत इस समय करीब 79 रुपए है.
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शहरों में विषमता
जर्मनी के बड़े शहरों में भी आर्थिक समानता नहीं है. सर्वे के अनुसार देश के 15 सबसे बड़े शहरों में म्यूनिख, श्टुटगार्ट, डुसेलडॉर्फ और हैम्बर्ग जैसे शहरों में पारिवारिक आय ऊपर के 20 प्रतिशत में है तो लाइपजिग और डुइसबर्ग जैसे शहर निचले 20 फीसदी में हैं.
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बर्लिन भी औसत से गरीब
गरीब लेकिन सेक्सी कहा जाने वाला शहर बर्लिन जर्मनी की राजधानी है, लेकिन वहां भी लोगों की औसत आय राष्ट्रीय औसत से बहुत कम है. 2016 के आंकड़ों पर किए गए सर्वे के अनुसार बर्लिन में लोगों के पास खर्च करने को साल के केवल 19,719 यूरो ही हैं.