एक बूंद खून, एक स्ट्रिप और 15 से 20 मिनट बाद रिजल्ट कि आप एचआईवी पॉजिटिव है या नहीं. यानि शुगर की जांच की तरह जल्द ही एचआईवी की घर बैठे जांच हो सकेगी.
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जर्मनी में बड़े पैमाने पर हुई स्टडी के बाद इस साल से एचआईवी का सेल्फ टेस्ट शुरू हो जाएगा. अगर किसी को जानना है कि वह इस बीमारी की चपेट में है या नहीं तो वह बिना अस्पताल जाए ही इसकी जांच कर सकता है.
बोखुम स्थित सेंटर ऑफ सेक्सुअल हेल्थ एंड मेडिसिन के प्रमुख नॉर्बर्ट ब्रॉकमायर के मुताबिक एचआईवी सेल्फ आसान और सुरक्षित है. सेल्फ टेस्ट की इजाजत मिलने को विशेषज्ञ सेक्सुअल हेल्थ की दुनिया में बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं.
दुनिया एड्स के शिकंजे में
संयुक्त राष्ट्र की बाल संस्था यूनिसेफ का कहना है कि एड्स से लड़ाई के खिलाफ दुनिया में बहुत काम हुआ है. लेकिन इस बीमारी को जड़ से उखाड़ फेंकने की मंजिल अभी बहुत दूर है.
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जागरूकता की जरूरत
दुनिया भर में एक दिसंबर को वर्ल्ड एड्स दिवस के तौर पर मनाया जाता है. यह तस्वीर जर्मन शहर कोलोन की है जहां सुरक्षित यौन संबंधों को लेकर जागरूकता पैदा करने के लिए 12 मीटर ऊंचा कंडोम बनाया गया है.
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करोड़ों प्रभावित
लंबे समय तक माना जाता रहा कि एयर कनाडा के एक फ्लाइट अटेंडेंट गायटान डुगास 1970 के दशक में एचआईवी वायरस को पश्चिमी दुनिया में लेकर गए. लेकिन बाद में जांच से पता चला कि इस वायरस को फैलाने के लिए वह जिम्मेदार नहीं थे. आज तक इस वायरस से 7.8 करोड़ लोग संक्रमित हैं. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इस समय दुनिया में 3.7 करोड़ इससे पीड़ित हैं
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बच्चों पर सबसे ज्यादा मार
एड्स को लेकर काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनएड्स का कहना है कि 2015 में 11 लाख लोग एड्स से मारे गए. इनमें से 1.1 लाख की उम्र 15 साल से कम थी. शुरू से लेकर अभी तक इस बीमारी से 3.5 करोड़ लोग मारे जा चुके हैं.
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एशिया और प्रशांत क्षेत्र में लड़ाई
एशिया में एचआईवी वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या लगभग 50 लाख है. अब संक्रमण का फैलाव कम हुआ और 41 प्रतिशत लोगों का इलाज हो रहा है. भारत में एचआईवी पीड़ित 21 लाख लोग हैं जबकि चीन में ऐसे लोगों की संख्या 7.8 लाख बताई जाती है.
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अफ्रीका में एड्स
पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में लगभग 1.9 करोड़ लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं. पश्चिमी और मध्य अफ्रीका में 65 लाख लोगों को यह बीमारी है. मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में ऐसे लोगों का आंकड़ा 2.3 लाख है.
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औद्योगिक दुनिया में एड्स
एचआईवी से कोई महाद्वीप अछूता नहीं है. 2015 में पश्चिमी और मध्य यूरोप और उत्तरी अमेरिका में एचआईवी से संक्रमित लोगों की संख्या 24 लाख थी. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि पिछले साल एड्स के कारण इन क्षेत्रों में 22 हजार लोग मारे गए हैं.
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दक्षिणी अमेरिका में एड्स
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि दक्षिणी अमेरिका में लगभग 20 लाख लोग एड्स के साथ जी रहे हैं. इस बीमारी से वहां पिछले साल 50 हजार लोग मारे गए. 2010 से वहां एड्स से जुड़े मामलों में 18 प्रतिशत की कमी आई है और आधे से ज्यादा लोगों को इलाज की सुविधा प्राप्त है.
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भारत में एड्स
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक भारत में फिलहाल 21 लाख लाख लोग एड्स से पीड़ित हैं. बीते एक दशक में एड्स की चपेट में आने वाले नए मरीजों की तादाद में काफी कमी आई है. 2005 में जहां यह आंकड़ा 150000 था वहीं 2016 में इसकी तादाद घट कर 80 हजार रह गयी है.
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कम हुई मौतें
एक अच्छी खबर है. 2005 के बाद से अब तक एड्स के कारण होने वाली सालाना मौतों में 45 फीसदी कमी आई है. 2005 में इस वायरस से 20 लाख लोग मारे गए थे.
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घर पर टेस्टिंग
यूरोपीय संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि संक्रमित हर सात लोगों में से एक को नहीं पता होता कि वह संक्रमित है. ऐसे में, ऐसी किट की वकालत की जा रही है जिससे कोई भी घर पर पता लगा सके कि वो संक्रमण का शिकार है या नहीं.
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आखिरकार, टीका?
वैज्ञानिक एक ऐसे टीके के बारे में हो रहे प्रयोगों को लेकर उत्साहित हैं जो नए संक्रमण को रोक सकेगा. दक्षिण अफ्रीका में 5,400 लोगों पर इस टीके के ट्रायल हुए हैं. वैज्ञानिकों को 2020 तक इस रिसर्च के नतीजे मिलने की उम्मीद है.
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जर्मनी में करीब 13 हजार लोगों को मालूम ही नहीं है कि वे एचआईवी पॉजिटिव हैं. अपनी स्थिति के बारे में जानकारी न होने के कारण वे अपने स्वास्थ्य को जोखिम में तो डालते ही हैं, उन्हें भी नुकसान पहुंचता है जिनके साथ उन्होंने शारीरिक संबंध बनाए हैं. आज कई ऐेसे एचआईवी पॉजिटिव लोग हैं जिनका इलाज हो रहा है और वे किसी सामान्य व्यक्ति जैसा जीवन जी रहे हैं. शर्म और डर के कारण बहुत से लोग डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं.
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दूसका टेस्ट कराना होगा जरूरी
ब्रॉकमायर का कहना है कि एचआईवी का सेल्फ टेस्ट भरोसेमंद है, लेकिन हर जांच की तरह इसकी दूसरी बार जांच करानी जरूरी होगी. हर जांच में कुछ गलतियां होने की आशंका रहती है. इसका मतलब यह है कि अगर किसी की जांच का नतीजा पॉजिटिव आ रहा है तो वह वाकई एचआईवी पॉजिटिव हो ही. लैब में दोबारा जांच कराने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना सही होगा.
इस बात को भी जानना जरूरी है कि शारीरिक संबंध बनाने के अगले ही दिन अगर एचआईवी का सेल्फ टेस्ट कराया जाए तो हो सकता है कि रिजल्ट निगेटिव आए और आप सोचें कि सब ठीक है. शारीरिक संबंध बनाने के कम से कम 6 हफ्ते बाद ही सेल्फ टेस्ट का नतीजा सही आ सकता है.
90-90-90 का लक्ष्य
विश्व स्वास्थ्य संगठन का लक्ष्य है कि साल 2020 तक एचआईवी पीड़ितों की संख्या पूरी दुनिया में कम की जाए. सबसे पहले, एचआईवी पॉजिटिव लोगों में से करीब 90 फीसदी को उनकी बीमारी के बारे में बताया जाएगा. इन 90 फीसदी में से 90 फीसदी का इलाज किया जाना दूसरा लक्ष्य होगा. इनमें से 90 फीसदी अपने इलाज के बाद बदलाव देखेंगे और जानेंगे कि उनके शरीर में वायरस कम हो रहे है. अगर यह लक्ष्य कामयाब होता है तो दुनिया में कोई भी इस घातक बीमारी से पीड़ित नहीं रहेगा.
ब्रॉकमायर कहते हैं कि जर्मनी के हालात बेहतर हैं. यहां एचआईवी पॉजिटिव पीड़ितों में से 94 फीसदी का इलाज किया जा रहा है. एचआईवी का सेल्फ टेस्ट शुरू होने के बाद व्यापक स्तर पर बदलाव देखने को मिलेंगे.
एचआईवी के लेकर भारत में स्थिति
भारत में एचआईवी को लेकर हालात अन्य देशों की तुलना में बेहतर है. 2014 में एड्स प्रीविलेंस रेट के मुताबिक, भारत में कुल 0.26 फीसदी लोग एचआईवी से पीड़ित हैं. यह दुनिया में 90वें स्थान पर आता है. देश में दक्षिण और पूर्वी उत्तर राज्यों में एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या अधिक पाई जाती है. भारत को व्यापक रूप से एड्स विरोधी कैंपेन को चलाने के लिए सराहना भी मिल चुकी है.