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घिरते जा रहे हैं गद्दाफी

१ मार्च २०११

जनता को मुझसे प्यार है - गद्दाफी कहते हैं. दूसरी ओर, निहत्थी जनता पर गोली बरसाने के आरोपों के बाद संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार काउंसिल में लीबिया की सदस्यता निलंबित करने की पेशकश शुरू हो गई है.

लीबिया से भागते शरणार्थीतस्वीर: AP

विभिन्न देशों में अरब क्रांति की लहर के अलग अलग रूप देखने को मिल रहे हैं और लीबिया में यह पूरी तरह से गृहयुद्ध का रूप लेता जा रहा है. देश के पश्चिम के कुछ हिस्सों और दक्षिण के उजड़े इलाकों में गद्दाफी का नियंत्रण रह गया है, जबकि तेलसमृद्ध पूर्वी हिस्से पर विपक्ष का कब्जा हो गया है. निहत्थे नागरिकों पर सुरक्षा बलों के हमलों में कम से कम एक हजार लोगों की मौत हो चुकी है. एक लाख से अधिक लोग देश छोड़कर भागने को मजबूर हो चुके हैं. लेकिन जैसा कि यूरोप को डर था, वे यूरोप में नहीं आए हैं. अधिकतर शरणार्थी मिस्र और ट्यूनिशिया पहुंचे हैं.

इस बीच जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार काउंसिल की बैठक हो रही है, जहां परिषद में लीबिया की सदस्यता निलंबित करने पर भी विचार किया जा रहा है. इस बीच अमेरिका ने कहा है कि उसने 30 अरब यूरो के बराबर लीबियाई संपत्ति सील कर दी है. यूरोपीय संघ की ओर से गद्दाफी नेतृत्व के खिलाफ अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं. अमेरिका और यूरोपीय देश लीबिया के हवाई क्षेत्र में उड़ानों पर संपूर्ण रोक के बारे में भी विचार कर रहे हैं, ताकि लीबियाई वायुसेना के विमान जनता पर बमबारी न कर सके.

सोमवार को त्रिपोली में पश्चिमी पत्रकारों के साथ इंटरव्यू में गद्दाफी ने कहा था कि जनता उनकी हिफाजत के लिए जान देने को तैयार हैं. उन्होंने देश छोड़ने की संभावना से पूरी तरह से इंकार कर दिया था. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत सुजान राइस ने कहा है कि इस इंटरव्यू से स्पष्ट हो जाता है कि गद्दाफी किस तरह सच्चाई से कोसों दूर हो चुके हैं.

इस बीच ब्रिटिश प्रधान मंत्री डेविड कैमरन और फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी ने संयुक्त रूप से मांग की है कि लीबिया के खिलाफ यूरोप के अतिरिक्त भावी कदम तय करने के लिए नेताओं की एक बैठक बुलाई जाए. अमेरिका की ओर से कहा गया है कि भूमध्य सागर में उसके बेडों की स्थिति बदली जा रही है, लेकिन विदेश मंत्री हिलैरी क्लिंटन ने इस बात से इंकार किया कि लीबिया पर तुरंत हमला होने वाला है.

अरब दुनिया के दूसरे देशों में भी विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है. मंगलवार को यमन, बहरीन, ओमान और ईरान में प्रदर्शन हो रहे हैं, जबकि मिस्र और ट्यूनिशिया में भी नई सरकारों पर विरोधियों का दबाव बरकरार है. मिस्र की सरकार ने सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक के देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: एस गौड़

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