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मंथन 74 में खास

१३ फ़रवरी २०१४

मंथन में इस बार उत्तरी ध्रुव की खास रोशनी पर फोकस. जानेंगे अंडो की खेती और कूकू घड़ी के बारे में.

Nordlicht Finnland
तस्वीर: PEKKA SAKKI/AFP/Getty Images

नॉर्थ पोल से करीब साढ़े तीन सौ किलोमीटर दूर नॉर्वे का शहर है ट्रॉमजोय. जनवरी से मार्च के बीच यहां कुदरत का एक अनोखा नजारा दिखता है. गहरे नीले आसमान में कभी हरी तो कभी गुलाबी रोशनी देखने को मिलती है. इसे नदर्न लाइट्स या ऑरोरा कहते हैं. इन लाइट्स को देख पाना सबके बस की बात नहीं है, इसलिए नहीं कि ये बहुत तेज होती हैं बल्कि इसलिए कि जमा देने वाली बर्फीली ठंड में कई घंटे इंतजार के बाद, अच्छी किस्मत हो तो ही ये लाइट्स दिखाई देती हैं.

इसके अलावा मंथन में इस बार चांद की सवारी भी है. अभी तक कुल 12 लोग चांद पर पहुंच चुके हैं. लेकिन इंसान के बाद अब चांद पर रोबोट भेजे जा रहे हैं, ताकि वहां माहौल और मौसम की सटीक जानकारी मिल सके. चांद और धरती के बीच एक सैटेलाइट स्थापित करने की कोशिश एक शोधकर्ता कर रहे हैं. ये कैसे होगा. क्या उनका प्रोजेक्ट आगे बढ़ पाएगा, जानेगें आप इस अंक में.

कंप्यूटर की दुनिया

एडवर्ड स्नोडेन के खुलासे ने यह बात साफ कर दी है कि इंटरनेट में आप जो भी करते हैं उस सब पर हैकरों की नजर रहती है. कई बार एंटी वायरस सॉफ्टवेयर और फायरवॉल के बावजूद इनबॉक्स स्पैम से भर जाता है. इनमें हैकरों के भेजे ऐसे सॉफ्टवेयर हो सकते हैं, जिनसे आपका सारा डाटा जमा हो जाए. कहीं आपके ईमेल बीच में ही तो गायब नहीं हो रहे हैं, कैसे बचा जा सकता है इस हैकिंग से. जर्मनी के फ्राइबर्ग में बेफीन सॉल्यूशंस का मुख्यालय है, जो इलेक्ट्रॉनिक मेल को सुरक्षित बनाना चाहती है.

अंडे और चिड़िया

अंडों की फार्मिंग के लिए मुर्गियों को अलग से चुना जाता है. अंडे देने वाली मुर्गी को खाने के काम में नहीं लाया जाता. अंडों से जैसे ही मर्द चूजे निकलते हैं, उन्हें अलग कर मार दिया जाता है. अब इसे रोकने की कोशिश की जा रही है. ये सब क्यों किया जाता है, जान सकेंगे आप वीडियो में.

जर्मनी की कुकु घड़ियां दुनिया भर में मशहूर हैं. दीवार पर टंगी एक छोटी सी टिक टिक करती लकड़ी की झोपड़ी. हर घंटे इसकी एक छोटी सी खिड़की खुलती है, और उसमें से चिड़िया बाहर आकर समय बताती है. जर्मनी की ये घड़ियां यहां की संस्कृति को दर्शाती हैं. यहां के एक कलाकार ने इन पारंपरिक घड़ियों को नया पॉप रूप दिया हैं.

रिपोर्टः ईशा भाटिया
संपादनः आभा मोंढे

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