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चमत्कारी ऑपरेशन का जादू टूटा

१९ सितम्बर २००९

भारत में 10 दिन के बच्चे के दिल का अद्भुत ऑपरेशन तो सफल रहा लेकिन चमत्कारी माने जा रहे इस बच्चे को बाद में बचाया नहीं जा सका. दिल्ली के एम्स अस्पताल में चमत्कारी बच्चे ने दम तोड़ दिया.

शायद किसी और जहां में खुशी मिलेतस्वीर: AP

सिर्फ़ 22 दिन के इस बच्चे ने दम तोड़ने से पहले मेडिकल साइंस के लिए एक चमत्कार संभव कर दिखाया, जब डॉक्टरों ने उसके शरीर से बाहर निकले हुए दिल के लिए उसकी पसलियों के बीच जगह बना कर उसे सुरक्षित कर दिया था.

इस अजीबोग़रीब ऑपरेशन के बाद 12 दिनों तक यह बच्चा जीवित रहा और डॉक्टरों ने इसे बचाने की भरसक कोशिश की लेकिन उसके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया और फिर उसे निमोनिया हो गया. आख़िरकार मंगलवार देर रात उसने दम तोड़ दिया. एम्स के डॉक्टर इसे नाकामी नहीं मानते और कहते हैं कि इस तरह के मामले में कभी भी कोई बच्चा इतने दिनों तक जीवित नहीं रहा था.

डॉक्टरों ने की लाख कोशिशेंतस्वीर: BilderBox

बिहार के सीतामढ़ी ज़िले के चंदर मांझी के घर 26 अगस्त को इस बच्चे का जन्म हुआ था. उसका दिल शरीर से बाहर निकला हुआ था. उसके घरवालों ने एक तौलिए में लपेट कर ट्रेन से यात्रा करते हुए उसे दिल्ली लाया, जहां तीन सितंबर को उसका सफल ऑपरेशन हुआ. एम्स के डॉक्टरों ने एक बेहद जटिल ऑपरेशन में उसके दिल के लिए शरीर में एक जगह बना दी और पूरे ऑपरेशन के दौरान भी उसका दिल धड़कता रहा.

डॉक्टरों का कहना है कि एक दिन ट्रेन में सफ़र करने की वजह से बच्चा कई तरह के संक्रमण का शिकार हो गया और इसकी वजह से भी उसकी तबीयत ख़राब होती गई. फिर भी उसके दिल का सफल आपरेशन किया गया. डॉक्टरों ने बताया कि उसकी पसलियों और पेट के बीच एक खिड़की बना कर शरीर से बाहर निकला हुआ दिल वहां फ़िट कर दिया गया.

इस तरह के मामलों को मेडिकल साइंस में इक्टोपिया कॉर्डिस कहते हैं और हर दस लाख बच्चों के जन्म पर ऐसे इक्का दुक्का मामले सामने आते हैं. इस तरह की बीमारी से ग्रस्त बच्चों का बच पाना बहुत मुश्किल होता है.

दुनिया भर में इस तरह के 230 ऑपरेशन की जानकारी है, जिसमें अब तक सिर्फ़ एक ही बच पाया है.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः एम गोपालकृष्णन

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