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चमत्कार, आंसू, वर्ल्ड चैंपियन: फेटल की जीत के मायने

१५ नवम्बर २०१०

जर्मनी के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले अखबार बिल्ड की सबसे बड़ी खबर की हेडलाइन बताती है कि सेबास्टियान फेटल के जीतने का इस देश के लिए क्या मतलब है. जर्मन में लिखी हेडलाइन कुछ यूं है: चमत्कार. आंसू. वर्ल्ड चैंपियन.

तस्वीर: AP

जर्मनी के फेटल दुनिया के सबसे कम उम्र के फॉर्मूला वन वर्ल्ड चैंपियन बन गए हैं. उन्होंने रविवार को अबू धाबी ग्रां प्री जीतकर यह इतिहास बनाया. और जाहिर है आज जर्मनी के सारे अखबार इस खबर से सराबोर हैं. कोई ऐसा अखबार नहीं है जिसके पहले पन्ने पर 23 साल के फेटल की बड़ी सी तस्वीर न हो. और ज्यादातर अखबारों में उनकी तुलना उनके बचपन के हीरो मिषाएल शूमाखर से की गई है. शूमाखर सात बार वर्ल्ड चैंपियन रहे हैं.

तस्वीर: AP

बिल्ड ने लिखा है, "शुमी के बाद जर्मनी को फिर से फॉर्मूला वन का एक हीरो मिल गया है. जर्मनी के खेल इतिहास के लिए एक और बड़ा दिन है 14 नवंबर. हमारा सेबास्टियान फेटल दुनिया का सबसे कम उम्र का वर्ल्ड चैंपियन बन गया है."

डी वेल्ट अखबार कहता है फेटल एक सच्चा चैंपियन है जिस पर जर्मनी को गर्व है. अखबार लिखता है, "सिर्फ अविश्वसनीय. फेटल का वर्ल्ड चैंपियन बनना बहुत बड़े पर्दे का मामला है."

तस्वीर: AP

फॉर्मूला वन चैंपियन बनने वाले फेटल जर्मनी से जीतने वाले सिर्फ दूसरे फॉर्मूला वन ड्राइवर हैं. अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी उनकी इस उपलब्धि को खूब सराहा है. ब्रिटेन के गार्डियन ने लिखा है, "10 पोल पोजीशन और पांच जीत. यह बताता है कि 23 साल का यह जर्मन ड्राइवर जीत का कितना हकदार है. रेस के आखिर में उन्होंने सारे दावेदारों के भाग्य को बदल दिया."

फ्रांस के लो फिगारो ने लिखा है, "जर्मनी के इस नए वर्ल्ड चैंपियन में आज के युवाओं की कुछ अराजक प्रवृत्तियां देखी जा सकती हैं...आजादी की चाह उनमें कूट कूट कर भरी दिखती है."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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