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चरमपंथी सोच है संकट की वजह

२ अक्टूबर २०१३

अमेरिकी संसद के दोनों सदन बजट पर राजी नहीं हैं. नतीजतन अमेरिकी प्रशासन 17 साल बाद एक बार फिर ठप हो गया है. डॉयचे वेले के मिषाएल क्निगे के मुताबिक संकट दिखाता है कि एक चरमपंथी गुट देश की नीति तय करना चाहता है.

तस्वीर: Reuters

दिग्गज रिपब्लिकन नेता जॉन मैकेन सही हैं. ओबामा के स्वास्थ्य सुधारों को अंतिम समय में रोकने के लक्ष्य से अमेरिकी बजट में रुकावट नागरिकों की इच्छा के खिलाफ है. मैककेन का कहना है कि उनकी पार्टी ने स्वास्थ्य सुधारों को पिछले साल राष्ट्रपति चुनावों में प्रमुख मुद्दा बनाया था और उसके लिए मतदाताओं की कड़ी झिड़की खायी थी.

लेकिन मैकेन और बहुत से दूसरे नरमपंथी रिपब्लिकन नेताओं का विश्लेषण पार्टी के कंजरवेटिव हार्डलाइनरों को रिझा नहीं पाया है. उन्होंने हर कीमत पर ओबामाकेयर के नाम से बदनाम स्वास्थ्य सुधारों को समाप्त करने को अपना मुख्य लक्ष्य बना लिया है. चरमपंथी टी पार्टी आंदोलन के चहेते टेक्सास के युवा सीनेटर टेड क्रूज को 2016 के राष्ट्रपति चुनावों का उम्मीदवार समझा जा रहा है. उनके नेतृत्व में हार्डलाइनर सारा दांव एक पत्ते पर लगा रहे हैं. उनकी चाल है कि ओबामा के समाजवादी स्वास्थ्य सुधारों को गिराने के लिए जरूरत पड़ने पर सारे देश को ठप कर दिया जाए.

बंधक बने नागरिक

इस राजनीतिक ब्लैकमेल का शिकार राष्ट्रपति ओबामा से ज्यादा आम नागरिक हैं, जो सालों से कम होती जा रही सरकारी सहायता पर निर्भर हैं. टी पार्टी इन्हीं आम लोगों के प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है, लेकिन इस वक्त पब्लिक रिपब्लिकन पार्टी के विद्रोहियों के लिए मायने नहीं रखती. अपने वैचारिक रोष से संचालित इन लोगों का मानना है कि वे अकेले राजनीतिक हकीकत का प्रतिनिधित्व करते हैं और इसके लिए उन्होंने पूरे अमेरिका को बंधक बना रहे हैं. रिपब्लिकन पार्टी के इन कंजरवेटिव चरमपंथियों के अनुसार यह कदम बहुत पहले उठा लिया जाना चाहिए था. पिछले बरसों में कर्ज की सीमा बढ़ाने के मामले पर पार्टी के बार बार पलटी खाने के बाद उनके विचार में अब आखिरी कदम बढ़ाने का मौका है. और उन्होंने यही किया है.

सरकार का विरोध

अब जो ये सोचते हैं कि क्रूज और उनके हार्डलाइनर साथी घबड़ाकर हार मान लेंगे, वे टी पार्टी के नेताओं की चरमपंथी गंभीरता को नहीं समझते. जानवर को भूखा मार डालो नारे के साथ वे सालों से सेना के अलावा केंद्रीय सरकार को छोटा करने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए संभव है कि वे बजट संकट का 17 अक्टूबर तक कोई समाधान नहीं होने देंगे ताकि उसके बाद कर्ज की सीमा बढ़ाने की जरूरत को इस मांग जोड़ा जा सके. दोहरे बंधक जैसे होने और इसकी वजह से विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के सचमुच दिवालिया होने के सामने अब तक का बजट संकट कुछ भी नहीं.

समीक्षा: मिषाएल क्निगे/एमजे

संपादन: ओंकार सिंह जनौटी

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