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चर्च की संपत्ति पर टैक्स की मांग ने पकड़ा जोर

११ दिसम्बर २०११

आर्थिक संकट से जूझ रहे इटली के लोग चर्च की विशाल संपत्ति पर टैक्स लगाने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब आम लोगों को अपनी कमर कसनी पड़ी है तो इतना अमीर चर्च क्यों इससे अछूता रहे.

तस्वीर: Fotolia/cmfotoworks

दसियों हजार लोगों ने उस ऑनलाइन दर्ख्वास्त पर दस्तखत किए हें जिसमें कहा गया है कि इटली की नई कैबिनेट के प्रस्तावित संपत्ति कर से चर्च को छूट नहीं मिलनी चाहिए. देश में दक्षिणपंथी और वामपंथी, दोनों धाराओं की राजनीतिक पार्टियों इस मुहिम के समर्थन में हैं. सहयोग और एकता मामलों के मंत्री आंद्रिया रिकार्डी ने शुक्रवार को इस मुहिम में शामिल होते हुए कहा, "चर्च को व्यावसायिक गतिविधियों के लिए आईएमयू का भुगतान करना चाहिए." आईएमयू एक नया म्युनिसिपल टैक्स है जो सरकार ने लगाया है और इसमें चर्च को होटल जैसी व्यवसायिक संपत्तियों में शामिल करने की बात हो रही है. फिलहाल इन्हें टैक्स नहीं देना होता है.

कांफ्रेंस ऑफ इटैलियन बिशप्स के नेता एन्जेलो बान्यास्को ने इस अभियान के जवाब में कहा है, "अगर कानून में ऐसी कोई बात है जिस पर फिर से विचार या चर्चा करने की जरूरत है तो हम इसके खिलाफ नहीं हैं." हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा कानून, "कैथोलिक चर्च समेत दूसरे गैर सरकारी संगठनों की गतिविधियों के सामाजिक महत्व" को जानता है. इसी मुद्दे पर जब प्रधानमंत्री मारियो मोंटी से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कहा, "यह वो सवाल है जो हमने अब तक अपने आप से नहीं पूछा है."

देश में सरकारी खर्च में कटौती के साथ ही नए टैक्स भी लगाए जा रहे हैं ताकी कर्ज संकट से निकला जा सके. इसी व्यवस्था के तहत सरकार इटलीवासियों से उनकी संपत्तियों पर ज्यादा टैक्स देने के लिए कहने जा रही है. पर चर्च को इन सबसे बचा कर रखा गया है. 1982 का कानून चर्च को इस तरह के टैक्स से छूट दिलाता है इसके मुताबिक जब तक चर्च की कोई इमारत पूरी तरह से केवल व्यवसायिक कामों के लिए इस्तेमाल न की जाए, उस पर टैक्स नहीं लगेगा.

हालांकि इस दर्ख्वास्त पर दस्तखत करने वाले एक वामपंथी डेमोक्रैटिक पार्टी के मुताबिक चर्च को मिली इस छूट का काफी दुरुपयोग भी होता है. पाओलो कॉन्सिया कहते हैं, "यह बहुत आसान है कि आप एक छोटा सा चैपल बना लें जो वास्तव में एक होटल है." ऐसी इमारतों की अतिरिक्त कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता. इनमें होटल, रेस्टोरेंट, स्पोर्ट्स सेंटर शामिल हैं. इटली के अखबार ला रिपब्लिका ने आधिकारिक आंकड़ों का हवाला दे कर बताया है कि केवल रोम में ही यह कमाई करीब एक साल में 2.55 करोड़ यूरो तक हो सकती है. अखबार के मुताबिक रोम के बीचोबीच बना फ्रेंच रेस्टोरेंट ओ वीव और चार सितारा होटाल पोन्टे सिस्टो इन दोनों पर टैक्स नहीं लगता.

चर्च ने अपने बचाव में यह कहा है कि उसकी कई इमारतें सामाजिक कामों के लिए हैं इनमें सूप किचेन और सामुदायिक केंद्र भी शामिल हैं. एक स्थानीय अखबार से वरिष्ठ वैटिकन जज जुसेप्पे डेला टोर ने कहा, "चर्च को दूसरे सामाजिक संगठनों की तरह ही छूट मिलती है कोई विशेषाधिकार नहीं है."

इटली में वैटिकन की सारी संपत्तियों पर कोई टैक्स नहीं लगता क्योंकि उन्हें संप्रभु देश का हिस्सा माना जाता है. 1930 में होली सी और इटली ने इसके लिए लैटरन अकॉर्ड पर दस्तखत किए थे. वैटिकन के विदेश मंत्री कार्डिनल टारसिसियो बर्टोन ने इस हफ्ते के शुरुआत में कहा था "इस समस्या पर ध्यान दिया जाना चाहिए." हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह समाज के कमजोर वर्ग की मदद करता है और समाज की भलाई के लिए काम करता है. इटली के बिशप और राजनेता स्कूलों, अस्पतालों और समाजसेवी संगठनों के लिए टैक्स में छूट का समर्थन करते हैं और मानते हैं कि सामाजिक व्यवस्था में जहां कमी है उसे यह भरते हैं.

जो लोग इस टैक्स के लिए दबाव बना रहे हैं उनका कहना है कि वो चर्च के सामाजिक महत्व से इनकार नहीं करते लेकिन उनका मानना है कि टैक्स में छूट का दुरूपयोग हुआ है. रियल इस्टेट एजेंसी ग्रुप्पो आरई का कहना है कि इटली की 20 फीसदी संपत्ति सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से चर्च के नियंत्रण में है. इटली में म्युनिसिपलटियों की राष्ट्रीय संस्था का कहना है कि अगर नया संपत्ति कर लागू कर दिया गया तो उन्हें 50 से 70 करोड़ यूरो की सालाना आय होगी.

रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन

संपादनः एम गोपालाकृष्णन

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