चांद से पत्थर लेकर वापस आया चीन का यान
१७ दिसम्बर २०२०![China Rückkehr Chang'e-5 Mond Sonde](https://static.dw.com/image/55967425_800.webp)
चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन संस्था ने बताया कि 'चांग ई पांच' प्रोब का कैप्सूल गुरूवार सुबह दो बजे से ठीक पहले इनर मोंगोलिया प्रांत के सिशिवांग जिले में उतरा. इसके पहले कैप्सूल अपने ऑर्बिटर मॉड्यूल से अलग हो गया था और फिर अपनी गति कम करने के लिए उसने पृथ्वी के वायुमंडल से एक टप्पा लिया. उसके बाद वो पैराशूटों के सहारे जमीन पर उतरा.
फिर कैप्सूल और उसमें पड़े सैंपलों को बीजिंग स्थित अंतरिक्ष कार्यक्रम के परिसर में ले जाकर उसे खोलने और सैंपलों की समीक्षा की तैयारी शुरू कर दी गई. अंतरिक्ष प्रशासन ने कहा कि इस मिशन में कई उपलब्धियां पहली बार हासिल की गई हैं, जैसे चांद की सतह से यान को लॉन्च करना और पृथ्वी पर सैंपल वापस भेजने के लिए उसे कैप्सूल के साथ डॉक कराना.
मिशन के चार मॉड्यूलों में से दो चांद पर एक दिसंबर को उतरे और वहां से करीब दो किलो सैंपल इकट्ठा किया. इसके लिए उन्होंने सतह से भी सैंपल लिए और सतह में करीब छह फीट तक ड्रिल करके भी सैंपल लिए. सैंपलों को फिर एक सील बंद डब्बे में डाल कर एक एसेंट यान के जरिए वापस आने वाले मॉड्यूल तक भेज दिया गया.
चीन के राष्ट्रीय टीवी चैनल सीसीटीवी पर दिखाई गई फुटेज में किसी छोटी लोमड़ी या चूहे जैसा एक सफेद फर वाला पशु भी नजर आया जो उतरते हुए कैप्सूल के आगे भाग रहा था. वो पशु कुछ देर के लिए रुका भी जैसे इस अपरिचित वस्तु का निरीक्षण कर रहा हो. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक बयान में इसे एक बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि इससे चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है.
इस कार्यक्रम के तहत 40 सालों में पहली बार चांद से पत्थरों के सैंपल वापस लाए गए हैं. इससे पहले 1976 में पूर्ववर्ती सोवियत संघ का लूना 24 रोबोट प्रोब चांद से पत्थरों के सैंपल ले कर पृथ्वी पर आया था. माना जा रहा है कि नए पत्थर पुराने अमेरिका और सोवियत अभियानों में लाए गए पत्थरों से करोड़ों साल कम उम्र के हैं और इनसे चांद और सौर मंडल के दूसरे सदस्यों के इतिहास के बारे में नई जानकारी मिलेगी.
ये चांद के उस हिस्से से लाए गए हैं जिसे ओशियेनस प्रोसिलैरम या 'तूफानों के समंदर' के नाम से जाना जाता है. ये मोंस रुमकर नाम की साइट के पास स्थित है जिसके बारे में माना जाता है कि प्राचीन काल में वहां ज्वालामुखी रहे होंगे. अमेरिकी शहर सेंट लुइस में वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र के निदेशक ब्रैड जोलीफ ने बताया कि इन सैंपलों की उम्र से चांद के इतिहास में एक अरब से तीन अरब साल पहले के बीच की जानकारी हासिल करने में मदद मिलेगी.
उन्होंने यह भी बताया इनसे कॉन्सेंट्रेटेड हाइड्रोजन और ऑक्सीजन जैसे आर्थिक दृष्टि से उपयोगी पदार्थों की चांद पर उपलब्धता के बारे में कुछ सुराग भी मिल सकते हैं.
सीके/एए (एपी)
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