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चांसलर मैर्केल मंत्रियों के साथ बीजिंग दौरे पर

२९ अगस्त २०१२

जर्मनी और चीन के बीच गहरे रिश्ते हैं. पिछले साल से दोनों देशों के बीच मंत्रिमंडलीय स्तरीय परामर्श भी हो रहा है. इस साल के दौर के लिए चांसलर अंगेला मैर्केल अपने कई मंत्रियों के साथ बीजिंग जा रही हैं.

तस्वीर: dapd

चीन के पंडा भालू बाओ बाओ की मौत जर्मन चीनी संबंधों के लिए कोई अपशकुन नहीं होना चाहिए. एक हफ्ते पहले जब बर्लिन के जू में उसकी मौत हुई तो वह 34 साल का था. वह जर्मनी में अपनी तरह का अंतिम चीनी भालू था. 1980 में चीन के तत्कालीन पार्टी प्रमुख हुआ गुओफेंग ने चांसलर हेल्मुट श्मिट को बीजिंग के दौरे पर यह तोहफा दिया था और उसके साथ पंडा कूटनीति की शुरुआत हुई थी.

इस बीच जर्मनी और चीन पंडा कूटनीति के दौर से बाहर निकल आए हैं. 40 साल के कूटनीतिक संबंधों में दोनों के बीच निकट सहयोग विकसित हुआ है, जिसका एक सबूत दोनों देशों की सरकारों की साझा बैठक है. इस तरह का गहन आदान प्रदान जर्मनी सिर्फ छह दूसरे देशों के साथ करता है. गुरुवार को जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल सरकारी परामर्श के दूसरे दौर के लिए बीजिंग पहुंच रही हैं. उनके साथ उनके 15 सदस्यों वाले मंत्रिमंडल के सात सदस्य हैं. पहले दौर की बैठक के लिए 2011 में चीन के सरकार प्रमुख 13 मंत्रियों के साथ जर्मनी पहुंचे थे. दोनों देशों ने 14 समझौतों पर दस्तखत किए थे जिसमें 20 अरब यूरो का कारोबारी समझौता भी था.

पंडा भालू बाओ बाओतस्वीर: AP

पंडा कूटनीति

जर्मनी यूरोप में चीन का सबसे अहम व्यापारिक साझेदार है. और यूरोप दुनिया में चीन का सबसे अहम व्यापारिक साझेदार है. दूसरी ओर चीन जर्मनी के पांचवा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और यूरोप से बाहर अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा. जर्मनी के लिए चीन के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि मशीनरी और कार उद्योग में बढ़ते निर्यात ने संकट में पड़े कार उद्योग को सहरा दिया है. चीन विशेषज्ञ सेबाश्चियन हाइलमन कहते हैं, "आर्थिक रिश्तों का बड़ा महत्व है, क्योंकि वे इस समय कई मुश्किलों के बावजूद बिना किसी गड़बड़ी के चल रहे हैं." हालांकि बोद्धिक संपदा और दुर्लभ धातुओं के निर्यात पर मतभेद हैं लेकिन औद्योगिक क्षेत्र में दोनों देशों के बीच एक तरह का काम का विभाजन हो गया है. "जर्मनी उच्च तकनीक और महंगे औद्योगिक उत्पादों के लिए जिम्मेदार है तो चीन मझौले दाम वाले औद्ियोगिक उत्पादनों के लिए."

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल भी आर्थिक आदान प्रदान को प्राथमिकता दे रही हैं. हर चीनी दौरे पर वह चीन को जर्मनी में निवेश के लिए कहती हैं. लेकिन सार्वजनिक रूप से वह चीन के साथ संबंधों के पूरे आयाम पर जोर देती हैं. जनवरी में चीन दौरे से पहले एक वीडियो संदेश में मैर्केल में आर्थिक संबंधों की चर्चा करने से पहले इस पर जोर दिया कि चीन के साथ जर्मनी का सहयोग कितना व्यापक है. उन्होंने कहा, विज्ञान से आर्थिक सहयोग और कानूनी राज्य पर संवाद से कृषि क्षेत्र में सहयोग तक, कई इलाकों में हमने सहयोग को मजबूत बनाया है. एक खास महत्वपूर्ण मुद्दा पर्यावरण की सुरक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा का विकास है."

चीन का कंटेनर जहाजतस्वीर: dapd

विवाद के मुद्दे

जर्मनी और चीन के बीच हर मुद्दे पर सहमति नहीं है. विदेशनीति के मामले में सीरिया के गृहयुद्ध और ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर दोनों देशों के विचार अलग अलग हैं. पिछले साल की बैठक में अंगेला मैर्केल ने चीन के सरकार विरोधियों और प्रेस की आजादी का मसला उठाया था. बर्लिन के राजनीतिशास्त्री एबरहार्ड जांडश्नाइडर कहते हैं कि इसी तरह के मतभेद सरकारी परामर्श को मूल्यवान बनाते हैं. "इसका मतलब यह कतई नहीं है कि इस तरह के मंच के जरिए आप तुरंत समस्याओं को निबटा सकते हैं. लेकिन आपके पास उच्चतम स्तर पर समस्याओं पर बात करने का मंच है और देर सबेर समाधान भी निकल सकता है."

फिलहाल बीजिंग अपने में उलझा है और सरकारी बैठक के इस दौर से ठोस नतीजों की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए. चीन में शासन कर रही कम्युनिस्ट पार्टी की इस साल होने वाली पार्टी कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन होगा. पार्टी कांग्रेस की तैयारी में व्यस्त है, जिसकी तारीख अभी तक घोषित नहीं हुई है. एबरहार्ड जांडश्नाइडर कहते हैं, "बीजिंग इस समय मुख्य रूप से प्रमुख नेताओं के उत्तराधिकारियों के चुनाव में लगा है. इसके बाद ही बीजिंग से किसी पहल की उम्मीद की जा सकती है."

रिपोर्ट: मथियास फॉन हाइन/एमजे

संपादन: प्रिया एसेलबॉर्न

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