यूनिसेफ की चेतावनी मुताबिक यमन, नाइजीरिया, सोमालिया और दक्षिण सूडान में कुपोषण और अकाल की मार झेल रहे करीब 14 लाख बच्चे इस साल मर भी सकते हैं. दक्षिण सूडान में भी अकाल घोषित किया गया है.
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संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी यूनिसेफ की एक रिपोर्ट मुताबिक यमन में लगभग 4.62 लाख बच्चे गंभीर कुपोषण झेल रहे हैं. नाइजीरिया में भी करीब 4.50 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. अकाल की चेतावनी देने वाले सिस्टम फ्यूजनेट अनुसार नाइजीरिया के बोर्नो राज्य के दूरदराज इलाकों को पिछले साल अकाल की मार झेलनी पड़ी थी. लेकिन जरूरतमंदों तक मदद न पहुंच पाने के चलते इस साल स्थिति और भी गंभीर होने की आशंका है.
यूनिसेफ के निदेशक एंथनी लेक ने फौरन कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा हम अब भी लाखों जानें बचा सकते हैं.
वहीं सोमालिया में सूखे के चलते करीब 1.85 लाख बच्चे अकाल की मार झेल रहे हैं और कयास है कि आने वाले कुछ महीनों में यह आंकड़ा 2.70 लाख तक पहुंच सकता है. संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि सोमालिया में सुरक्षा और सहायता बढ़ाई जा रही है. सोमालिया की करीब आधी आबादी को फिलहाल मानवीय सहयोग की आवश्यकता है.
भारत में व्याप्त गंभीर कुपोषण
2014 के वर्ल्ड हंगर इंडेक्स में भारत की स्थिति गंभीर बनी हुई है. देश में पर्याप्त संसाधन होने के बावजूद कुपोषण खत्म नहीं हो रहा. इसमें गरीबी और अशिक्षा एक बड़ी भूमिका निभाते हैं.
आई थोड़ी बेहतरी
अगर पूरी दुनिया की बात करें तो हालात पहले से कुछ अच्छे हुए हैं. 2014 में दुनिया भर में साढ़े अस्सी करोड़ ऐसे लोग हैं जिनके पास पर्याप्त खाना नहीं है. वहीं करीब दो अरब लोग कुपोषित हैं.
तीन बिंदु हैं अहम
पांच साल से कम उम्र में बच्चों की मृत्यु, उनमें कुपोषण और कुल जनसंख्या में कुपोषण की संख्या को आंका जाता है और उसका विश्लेषण किया जाता है. एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि केवल पेट भरना पोषण नहीं है.
तस्वीर: DW/K. Keppner
जागरूकता जरूरी
अक्सर माता पिता को यह पता ही नहीं होता कि उनके बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. अंधविश्वास के कारण वह इसे श्राप मानते रहते हैं और डॉक्टर की बजाए नीम हकीम से काम चलाते हैं.
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मध्यप्रदेश की स्थिति
कुपोषण के मामले में देश में मध्यप्रदेश की स्थिति बहुत खराब है. कुपोषित बच्चों के लिए खास केंद्र बनाए गए हैं, जहां मां और बच्चों को समुचित आहार दिया जाता है.
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लापरवाही
खरगोन में जन साहस नाम के गैर सरकारी संगठन के लिए काम करने वाली जासमीन खान बताती हैं कि अक्सर डॉक्टर इलाज के लिए मौजूद नहीं होते और मुश्किल में पड़े लोगों को मदद मिलने में देर हो जाती है.
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परिवार की मनाही
गरीबी के कारण खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करने वाली महिलाएं परेशानी में आ जाती हैं. वे जानती हैं कि उनका बच्चा बीमार है लेकिन अक्सर परिजन ही उन्हें सहायता केंद्र जाने से रोक देते हैं.
तस्वीर: imago/Chromorange
मुश्किल में माएं
सोनू की मां रुना (तस्वीर में) अपनी बच्ची के कुपोषण को लेकर असमंजस में हैं. सहायता केंद्र में रहे तो मजदूरी जाती है और मजदूरी करे तो बच्ची बीमार. ऐसे कई परिवार हैं, जिन्हें सही जानकारी दिए जाने की जरूरत है.
तस्वीर: DW/K. Keppner
कुछ अच्छा भी
ये सही है कि दुनिया में भुखमरी का आंकड़ा कम हुआ है. मगर इराक जैसे देशों में अस्थिरता और युद्ध के कारण यह बढ़ा भी है. कोमोरोस, बुरुंडी और स्वाजीलैंड में भी भुखमरी बढ़ी है.
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यूएन की तीन एजेंसियों ने दक्षिण सूडान के कई हिस्सों में अकाल घोषित किया है. इन एजेंसियों मुताबिक दक्षिण सूडान के हिंसाग्रस्त इलाकों में तकरीबन एक लाख लोग भुखमरी से जूझ रहे हैं. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (डब्ल्यूएफपी), यूनिसेफ और खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के मुताबिक, "अकाल की औपचारिक घोषणा से मतलब है कि लोग यहां भूख से मर रहे हैं. पिछले तीन साल से भुखमरी का सामना कर रहा यह देश अब तक का सबसे भयंकर अकाल झेल रहा है."
सालों से चल रहे युद्ध और हिंसा के चलते अर्थव्यवस्था की कमर टूट टूट चुकी है और सहायता एजेंसियां संकटग्रस्त इलाकों तक पहुंचने में नाकामयाब साबित हो रही हैं. पिछले तीन सालों के इस युद्ध ने करीब 50 लाख लोगों को अनाज का मोहताज बना दिया है. यही कारण है कि सहायता एजेंसियां इसे "मैन-मेड ट्रैजेडी" कहती हैं.
भूख दोषी है या युद्ध
18 साल की सैदा अहम बाघीली उस यमन में कुपोषित बच्चों का प्रतीक है, जहां पिछले डेढ़ साल से गृह युद्ध छिड़ा हुआ है. ये दर्दनाक तस्वीरें बताती हैं कि युद्ध देश के साथ क्या करता है.
तस्वीर: Reuters/A.Zeyad
खाना बंद
सैदा खाना नहीं खा सकती. सिर्फ लिक्विड पर जिंदा है.
तस्वीर: Reuters/A.Zeyad
पांच साल से बीमार
वह 5 साल से बीमार हैं लेकिन अब खाना बिल्कुल बंद हो गया है.
तस्वीर: Reuters/A. Zeyad
भेड़ों के बीच
सैदा पहले भेड़ चराती थीं. उनका घर शान गांव में है.
तस्वीर: Reuters/A. Zeyad
गरीबी
सैदा के पिता के पास इतना पैसा नहीं है कि उसका इलाज करा सकें.
तस्वीर: Reuters/A. Zeyad
मदद
एक समाजसेवी संस्था की मदद से उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
तस्वीर: Reuters/A. Zeyad
डेढ़ करोड़ भूखे
सैदा के देश में डेढ़ करोड़ लोगों ने 19 महीने से पेट भर खाना नहीं खाया है.
तस्वीर: Getty Images/B. Stirton
10 हजार मौतें
यमन के गृह युद्ध में अब तक 10 हजार लोग मारे जा चुके हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Images
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इन एजेंसियों के मुताबिक आने वाले महीनों मे अकाल से करीब 10 लाख लोग और प्रभावित हो सकते हैं. भविष्य में यूएन ने वहां जातीय संघर्ष की भी आशंका जताई है.