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चीनी कंपनी द्वारा जासूसी के आरोपों की होगी जांच 

१७ सितम्बर २०२०

चीनी सरकार के एक निजी सुरक्षा कॉन्ट्रैक्टर द्वारा भारत में बड़े पैमाने पर सर्विलांस कार्यक्रम चलाने के आरोपों के बीच, केंद्र सरकार ने मामले की जांच करने के लिए एक समिति का गठन किया है.

China Symbolbild Großmacht
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Stache

पूरे मामले का उजागर करते हुए इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने कुछ दिनों पहले खबर छापी थी कि एक चीनी टेक्नोलॉजी कंपनी भारत में 10,000 से भी ज्यादा व्यक्तियों और संगठनों की लगातार निगरानी कर रही है, जिनमें भारतीय प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, कई केंद्रीय मंत्री, कई मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और रतन टाटा और गौतम अडानी जैसे बड़े उद्योगपति भी शामिल हैं. 

अखबार के अनुसार इस इस निगरानी अभियान को चलाने वाली शेनहुआ डाटा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी के चीन की सरकार और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से संबंध हैं. राज्य सभा में कांग्रेस के सांसद के सी वेणुगोपाल ने दूसरे कई सांसदों के साथ मिल कर इस विषय पर सरकार से जवाब मांगा था. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वेणुगोपाल को पत्र के द्वारा अवगत कराए गए अपने जवाब में लिखा है कि उनके मंत्रालय ने बुधवार को इस विषय पर भारत में चीन के राजदूत से बात की और साथ ही चीन में भारत के दूतावास ने चीन के विदेश मंत्रालय से भी बात की.

जयशंकर के अनुसार चीनी सरकार का कहना है कि शेनहुआ कंपनी एक निजी कंपनी है और उसने अपना पक्ष सार्वजनिक तौर पर रखा हुआ है. चीनी सरकार ने यह भी कहा कि इस कंपनी का सरकार से कोई ताल्लुक नहीं है. जयशंकर ने कंपनी के बयान पर भी ध्यान दिलाया, जिसमें कंपनी ने कहा है कि जो भी जानकारी उसने एकत्रित की थी वो सब खुले स्त्रोतों से ली थी और यह ठीक वैसी ही जानकारी थी जैसी पश्चिमी देशों में उसके जैसी दूसरी कंपनियां लेती हैं. कंपनी ने गुप्त स्त्रोतों से निजी जानकारी हासिल करने के आरोप का खंडन किया है.

जयशंकर ने कहा है कि भारत सरकार भारत के नागरिकों की निजता और निजी जानकारी की सुरक्षा को बहुत गंभीरता से लेती है और इन खबरों को ले कर बहुत चिंतित है. उन्होंने सूचना दी कि इसी वजह से इन खबरों का अध्ययन करने और इनके मायनों का मूल्यांकन करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया है. नेशनल साइबर सिक्योरिटी कोऑर्डिनेटर के नेतृत्व में यह समिति संबंधित कानूनों के उल्लंघन की संभावना का भी अध्ययन करेगी और 30 दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी.

इंडियन एक्सप्रेस ने बताया था कि विएतनाम के प्रोफेसर क्रिस्टोफर बॉल्डिंग के साथ मिलकर एक सूत्र ने यह जानकारी कई मीडिया संगठनों के साथ साझा की, जिनमें इंडियन एक्सप्रेस के साथ साथ द ऑस्ट्रेलियन फाइनेनशिएल रिव्यू, इटली का इल फॉगलियो और लंदन का द डेली टेलीग्राफ शामिल हैं.

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