चीनी सरकार के एक निजी सुरक्षा कॉन्ट्रैक्टर द्वारा भारत में बड़े पैमाने पर सर्विलांस कार्यक्रम चलाने के आरोपों के बीच, केंद्र सरकार ने मामले की जांच करने के लिए एक समिति का गठन किया है.
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पूरे मामले का उजागर करते हुए इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने कुछ दिनों पहले खबर छापी थी कि एक चीनी टेक्नोलॉजी कंपनी भारत में 10,000 से भी ज्यादा व्यक्तियों और संगठनों की लगातार निगरानी कर रही है, जिनमें भारतीय प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, कई केंद्रीय मंत्री, कई मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और रतन टाटा और गौतम अडानी जैसे बड़े उद्योगपति भी शामिल हैं.
अखबार के अनुसार इस इस निगरानी अभियान को चलाने वाली शेनहुआ डाटा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी के चीन की सरकार और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से संबंध हैं. राज्य सभा में कांग्रेस के सांसद के सी वेणुगोपाल ने दूसरे कई सांसदों के साथ मिल कर इस विषय पर सरकार से जवाब मांगा था. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वेणुगोपाल को पत्र के द्वारा अवगत कराए गए अपने जवाब में लिखा है कि उनके मंत्रालय ने बुधवार को इस विषय पर भारत में चीन के राजदूत से बात की और साथ ही चीन में भारत के दूतावास ने चीन के विदेश मंत्रालय से भी बात की.
जयशंकर के अनुसार चीनी सरकार का कहना है कि शेनहुआ कंपनी एक निजी कंपनी है और उसने अपना पक्ष सार्वजनिक तौर पर रखा हुआ है. चीनी सरकार ने यह भी कहा कि इस कंपनी का सरकार से कोई ताल्लुक नहीं है. जयशंकर ने कंपनी के बयान पर भी ध्यान दिलाया, जिसमें कंपनी ने कहा है कि जो भी जानकारी उसने एकत्रित की थी वो सब खुले स्त्रोतों से ली थी और यह ठीक वैसी ही जानकारी थी जैसी पश्चिमी देशों में उसके जैसी दूसरी कंपनियां लेती हैं. कंपनी ने गुप्त स्त्रोतों से निजी जानकारी हासिल करने के आरोप का खंडन किया है.
जयशंकर ने कहा है कि भारत सरकार भारत के नागरिकों की निजता और निजी जानकारी की सुरक्षा को बहुत गंभीरता से लेती है और इन खबरों को ले कर बहुत चिंतित है. उन्होंने सूचना दी कि इसी वजह से इन खबरों का अध्ययन करने और इनके मायनों का मूल्यांकन करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया है. नेशनल साइबर सिक्योरिटी कोऑर्डिनेटर के नेतृत्व में यह समिति संबंधित कानूनों के उल्लंघन की संभावना का भी अध्ययन करेगी और 30 दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी.
इंडियन एक्सप्रेस ने बताया था कि विएतनाम के प्रोफेसर क्रिस्टोफर बॉल्डिंग के साथ मिलकर एक सूत्र ने यह जानकारी कई मीडिया संगठनों के साथ साझा की, जिनमें इंडियन एक्सप्रेस के साथ साथ द ऑस्ट्रेलियन फाइनेनशिएल रिव्यू, इटली का इल फॉगलियो और लंदन का द डेली टेलीग्राफ शामिल हैं.
पूर्वी लद्दाख में भारतीय-चीनी सेना की झड़प के बाद देश के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. साथ ही चीन के उत्पाद के भी बहिष्कार की अपील लोगों से की जा रही है. भारतीय बाजार में चीनी उत्पाद अंदर तक घुस चुके हैं.
तस्वीर: AFP/S. Kanojia
चीन के खिलाफ भारत में आक्रोश
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सोमवार को चीनी सेना के साथ झड़प में 20 सैनिकों के मारे जाने से भारत में लोगों के बीच चीन के खिलाफ बेहद गुस्सा है. लोग कह रहे हैं कि चीन ने भारत की पीठ पर छुरी से वार किया है. अलग-अलग शहरों में लोग चीन के खिलाफ विरोध कर रहे हैं.
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चीन के खिलाफ भारत में आक्रोश
चीनी सैनिकों के साथ झड़प में सबसे ज्यादा नुकासन 16 बिहार रेजीमेंट को हुआ है. इसके 12 जवान शहीद हुए. इसके बाद पंजाब, मीडियम रेजीमेंट, 12 बिहार रेजीमेंट, 81 माउंट ब्रिगेड सिग्नल कंपनी और 81 फील्ड रेजीमेंट के जवान शहीद हुए हैं. जवानों के परिवार तो गमगीन हैं ही साथ ही साथ शहर के लोग भी आक्रोशित हैं.
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चीन के खिलाफ भारत में आक्रोश
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ गुस्सा निकालते लोग. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच छह सालों में 18 मुलाकातें हो चुकी हैं. इसमें द्विपक्षीय समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भेंट भी शामिल हैं.
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चीन के खिलाफ भारत में आक्रोश
बुधवार को दिल्ली में स्थित चीनी दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन के बाद कई लोगों को हिरासत में लिया गया था. चीन के खिलाफ गुस्से को देखते हुए दूतावास की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
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चीन के खिलाफ भारत में आक्रोश
कोरोना वायरस महामारी के बीच लोग सामाजिक दूरी को दरकिनार करते हुए विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो रहे हैं. पुलिस उन्हें हिरासत में भी ले रही है. दिल्ली ही नहीं कोलकाता, पटना, वाराणसी, केरल, मुंबई में लोग गुस्से का इजहार कर रहे हैं.
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चीन के खिलाफ भारत में आक्रोश
गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ झड़प के बाद भारत की तीनों सेनाएं अलर्ट पर हैं. पूर्वी लद्दाख में भी सेना को अलर्ट पर रखा गया है. भारत ने चीनी सैनिकों के हमले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि वह जवाब देने में सक्षम है.
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चीन के खिलाफ भारत में आक्रोश
लद्दाख की गलवान घाटी में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. इस बीच भारतीय रेलवे ने चीन की कंपनी बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन लिमिटेड को दिए ठेके को रद्द कर दिया है.
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चीन के खिलाफ भारत में आक्रोश
चीनी उत्पाद के बहिष्कार की मांग पिछले कुछ दिनों से हो रही है. पहले तो चीनी ऐप को अनइंस्टाल करने की मांग की गई थी और अब चीनी उत्पादनों को ना खरीदने की अपील की जा रही है. एक अनुमान के मुताबिक पिछले साल नवंबर तक 68 अरब डॉलर के उत्पाद का आयात देश में हुआ.
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चीन के खिलाफ भारत में आक्रोश
मोबाइल फोन हो या फिर टीवी. कंप्यूटर हार्डवेयर से लेकर कपड़े, दवा और खिलौने तक भारतीय बाजार चीनी उत्पाद से पटे पड़े हैं. भारत में माल उत्पादन की तुलना में चीन से माल आयात करना सस्ता पड़ता है. भारत में श्रम सस्ता है लेकिन उत्पादन महंगा है.