चीनी निवेश का स्वागतः मनमोहन सिंह
२२ अक्टूबर २०१३मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत और चीन के बीच व्यापार में फिलहाल "अस्थाई असंतुलन" है. भारत के लिए घाटा कम करने का एक उपाय है कि चीनी निवेश के रूप में विदेशी मुद्रा ज्यादा से ज्यादा भारत में आ सके. चीन की सरकारी एजेंसी शिन्हुआ ने मनमोहन सिंह के हवाले से लिखा है, "हम खुश हैं कि चीनी कंपनियां निवेश के लिए भारत की ओर देख रही हैं. मई में प्रधानमंत्री ली केकियांग ने भारत यात्रा के दौरान सलाह दी थी कि एक चीनी औद्योगिक पार्क भारत में बनाया जाए, जहां चीन की कंपनियां एक साथ आए. हम इस प्रस्ताव का स्वागत करते हैं. हमने उन्हें इसके लिए कुछ संभावित जगहें भी दिखाई हैं."
दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार 2011 के 74 अरब अमेरिकी डॉलर से घट कर 66 अरब डॉलर रह गया है. भारत का चीन को इस्पात का निर्यात भी कम हो गया है. चीन चाहता है कि बांग्लादेश, चीन, भारत और म्यांमार (बीसीआईएम) से होते हुए एक इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाया जाए. इसके जवाब में सिंह ने कहा, भारत संतुलित आर्थिक और संरचनात्मक विकास के लिए क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ाना चाहता है और पड़ोसियों से संबंधों में तेजी लाना चाहता है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और चीन को पहले बांग्लादेश और म्यांमार का सहयोग पाना होगा और व्यवहारिक समस्याओं को दूर करना होगा. उल्लेखनीय है कि चीनी निवेश को बढ़ाने की कोशिशों के बीच खनन कंपनी बीएचपी बिलिटन ने फैसला लिया है कि वह भारत में अपनी नौ परियोजनाओं को बंद कर देगी. यह निर्णय भारत सरकार के विभागों से फैसले लेने में हुई देरी के कारण लिया गया है. कंपनी ने कहा कि उसे खनन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए रक्षा मंत्रालय से मंजूरी मिलने में लगातार देरी हो रही थी.
भारत में अगले साल आम चुनावों से पहले रूस और चीन की इस यात्रा के दौरान जहां मॉस्को में परमाणु ऊर्जा सहयोग पर कोई सहमति नहीं बन पाई. वहीं चीन के साथ सीमा विवाद और आर्थिक संबंधों पर समझौते अहम हैं. हालांकि तमाम विवादों के बावजूद भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंध तो अच्छे ही रहे हैं. गिरती विकास दर के इस दौर में भारत को वैसे भी विदेशी निवेश की जरूरत है. मनमोहन सिंह ने कहा, "चीनी नेतृत्व के साथ काम करते हुए मैं हमेशा आपसी रिश्तों को दूरगामी एजेंडे के तहत देखता था. मेरी इससे पहले की चीन यात्रा पांच साल पहले हुई थी. जो आर्थिक संकट और वैश्विक वित्तीय संकट के पहले थी. भले ही दुनिया में आर्थिक हालत खराब हो, लेकिन भारत और चीन आगे बढ़ रहे हैं, हां थोड़ी कम तेजी से."
चीन से पहले प्रधानमंत्री रूस गए थे वहां दोनों देश आपसी सैन्य सहयोग बढ़ाने पर राजी हो गए हैं. मॉस्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने साझा घोषणा में कहा कि दोनों देश रॉकेट, हथियार, नौसेना तकनीक में सहयोग बढ़ाएंगे.
रिपोर्टः आभा मोंढे (पीटीआई, डीपीए, एएफपी)
संपादनः निखिल रंजन