चीन के लिए कूटनीतिक विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. और इसकी वजह हैं चीन की खुद की दमनकारी नीतियां जो एक-एक कर दुनिया के सामने आती रही हैं.
विज्ञापन
शिनजियांग में उइगुर अल्पसंख्यक समुदाय के मुसलमानों के साथ हो रहे अत्याचार की खबरें यूं तो पिछले कई महीनों से सुर्खियों में हैं लेकिन अब इसे लेकर विवाद बढ़ रहा है जिसका असर चीन की पश्चिमी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ व्यापारिक और संसाधनों के क्षेत्र में संबंधों पर व्यापक रूप से पड़ने की आशंकाएं सामने आ रही हैं. अगर व्यापक पैमाने पर ऐसा हुआ तो चीन और पश्चिमी देशों के बीच नए शीत युद्ध की संभावना से भी इनकार करना मुश्किल है.
हाल के दिनों में कई अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों ने शिनजियांग में हो रहे उइगुर लोगों पर अत्याचार और रीएजुकेशन के नाम पर उनसे बंधुआ मजदूरी कराए जाने के मुद्दों को लेकर कई कंपनियों ने चीन से कपास के आयात पर रोक लगाने का निर्णय लिया है.
एचएंडएम नामक बहुराष्ट्रीय कपड़े बनाने वाली कंपनी इसमें प्रमुख रूप से सामने आई है. इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के इस कदम से चीन का बिफरना लाजमी था. लिहाजा चीन ने एचएंडएम और उसके जैसी तमाम कंपनियों को धमकी भी दे डाली कि अगर एचएंडएम चीन से शिनजियांग कपास नहीं खरीदता तो चीन में उसे एक युआन का भी मुनाफा नहीं होगा और चीन इस बात को सुनिश्चित भी करेगा. राज्य-प्रशासित अर्थव्यवस्था होने के कारण चीन के लिए ऐसा करना आसान भी है.
विवाद के दिनों दिन गहराने का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि चीनी गुस्से की चपेट में एचएंडएम के अलावा अब नाइकी, बरबरी, एडीडास और कनवर्स जैसी बड़ी कंपनियां भी आ गई हैं.
अति गरीबी से निकले चीनी गांव
04:11
दूसरी ओर, चीन ने न सिर्फ अपने ऊपर लगाए आरोपों से इनकार किया है, बल्कि यह भी कहा है कि जिसे भी शिनजियांग को लेकर कोई शक या शंका है, वह खुद शिनजियांग जाकर वहां के खुशहाल लोगों से मिलकर स्थिति का अंदाजा लगा सकता है. हालांकि शिनजियांग जाना इतना भी आसान नहीं है और सेटेलाइट तस्वीरों से यह भी जाहिर है कि चीनी सरकार ने वास्तव में उइगुर लोगों को बंधुआ मजदूरी में लगा रखा है और जेल में ये लोग तमाम यातनाओं का शिकार हो रहे हैं.
चीन के साथ इस टकराव में इन कंपनियों के शामिल होने से एक बात तो तय हो ही गई है कि विवाद इतनी आसानी से सुलझने नहीं जा रहा है. क्योंकि इन कंपनियों ने शिनजियांग मुद्दे को नैतिक तौर पर उठाया है, इस वजह से इन कंपनियों को पश्चिमी देशों, सिविल सोसायटी संगठनों और दुनिया के तमाम देशों के मानवाधिकार संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है.
इन विवादों के बीच 22 मार्च 2021 को यूरोपीय काउंसिल ने चार चीनी हस्तियों और शिनजियांग से जुड़ी एक कंपनी पर भी प्रतिबंध लगा दिया. प्रतिबंधित लोगों की सूची में शिनजियांग पब्लिक सिक्यूरिटी ब्युरो के निदेशक चेन मिंगुओ पर भी यूरोपीय संघ ने प्रतिबंध लगाया है.
कितनी बार पहने कौन सा कपड़ा
क्या आप जानते हैं कि जींस, टीशर्ट या अन्य कपड़ों को कितनी बार पहनने के बाद धोना चाहिए. देखिये क्या कहते हैं साफ सफाई के एक्सपर्ट.
तस्वीर: Colourbox
नये कपड़े
बाजार से जब भी नए कपड़े लाएं तो उन्हें हमेशा धोकर पहनें. कपड़ों का रंग असल में कई केमिकलों का मिश्रण होता है. लिहाजा पहली धुलाई के बाद नए कपड़े पहनना ज्यादा सुरक्षित है.
तस्वीर: Getty Images
जींस
रफ एंड टफ कही जाने वाली जींस को लगातार पांच दिन पहना जा सकता है. लेकिन पांच बार पहनने के बाद इसे धोना चाहिए. वरना टांगों से छूटकर जींस में समाने वाला पसीना खुजली कर सकता है.
तस्वीर: Colourbox
पजामा
सोते समय पहने जाने वाले पजामे को तीन या चार रात इस्तेमाल के बाद के बाद धोना चाहिए.
तस्वीर: Fotolia/Monkey Business
टीशर्ट
अगर गर्मी है और पसीना निकल रहा है तो टीशर्ट को हर बार पहनने के बाद धोना चाहिए. अगर ठंड है और आपने भागदौड़ भी नहीं की तो टी शर्ट दो बार पहनी जा सकती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Y. Lage
ब्रा और अंडरशर्ट
इनकी धुलाई भी मौसम पर निर्भर करती है. पसीने वाली गर्मी है तो इन्हें रोज धोना चाहिए. अगर सर्दियों क मौसम है तो इन्हें तीन से चार बार पहना जा सकता है.
तस्वीर: Colourbox
अंडरवेयर
अंतवस्त्र हर रोज धोने चाहिए. आम तौर पर लोग इन्हें लेकर ज्यादा संवेदनशीलता नहीं दिखाते, लेकिन अंतवस्त्रों को रोज धोने से आप जननांगों के आस पास की कई परेशानियों से बचते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T.Hase
ट्राउजर और स्कर्ट
गर्मियों में ट्राउजर को एक से दो बार पहना जा सकता है. स्कर्ट चार या पांच बार इस्तेमाल की जा सकती है.
तस्वीर: RPM - Fotolia.com
लेगिंग
गर्मियों में लेगिंग्ज को हर बार पहनने के बाद धोना चाहिए. मौसम बहुत गर्म न हो तो एक लेगिंग को तीन बार पहना जा सकता है.
तस्वीर: C. Allegri/Getty Images
स्वेटर
गर्म स्वेटर को चार या पांच बार पहना जा सकता है. स्वेटर को धोते वक्त हमेशा ठंडे या बहुत हल्के गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें. गर्म पानी में स्वेटर सिकुड़ जाएगा.
तस्वीर: picture alliance/dpa/I. Wagner
टोपी
तीन बार इस्तेमाल करने के बाद टोपी को जरूर धोना चाहिए. असल में सिर की त्वचा और बालों में लगी धूल धक्कड़ टोपी को भीतर से गंदा करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Pedersen
चादर और खोल
जवान जोड़ों को चादर और रजाई के खोल हर दूसरे दिन बदलने चाहिए. अन्य लोगों को चार या पांच दिन बाद खोल और चादर बदलनी चाहिए. फ्लू जैसी बीमारी होने पर भी इन्हें रोज बदलना चाहिए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
तौलिया
एक तौलिये को दो से चार दिन तक इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन बीमारी या फिर यात्रा के दौरान इस्तेमाल किये जाने वाले तौलिये को जल्द से जल्द धोना चाहिए. पसीना पोंछने के लिए इस्तेमाल हुए तौलिये को भी रुमाल की तरह रोज धोना चाहिए.
तस्वीर: Colourbox/R.Byron
12 तस्वीरें1 | 12
यूरोपीय संघ उन्हें मानवाधिकार उल्लंघनों का दोषी मानता है. इसके अलावा वांग मिंगशान, वांग तुनझेंग और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के शिनजियांग के उपसचिव झू हाइलान और शिनजियांग प्रोडक्शन एंड कंस्ट्रक्शन कोर पर भी प्रतिबंध लग चुका है. 1989 के बाद यह पहली बार है जब यूरोपीय संघ के 27 देशों ने चीन पर व्यापक प्रतिबंध लगाए हैं. अमेरिका और कनाडा ने भी शिनजियांग को लेकर कई बड़ी चीनी हस्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. जापान के शिनजियांग कपास मसले में पड़ने से यह स्थिति और खराब होने की आशंका बढ़ गई है.
शिनजियांग चीन का सबसे बड़ा स्वायत्त क्षेत्र है. माना जाता है कि अकेले शिनजियांग दुनिया के 20 प्रतिशत से अधिक कपास का उत्पादन करता है. अगर पश्चिम के देश शिनजियांग कपास का आयात रोकने में सफल हो जाते हैं, तो यह चीन के लिए एक बड़ा आर्थिक झटका होगा. वैसे इन कंपनियों के लिए भी स्थिति इतनी आसान नहीं होगी क्योंकि अचानक कपास की इतनी मात्रा में आपूर्ति होना भी मुश्किल होगा. डर यह भी है कि शिनजियांग कपास कहीं कालाबाजारी के हत्थे न चढ़ जाए.
जो भी हो, यूरोपीय संघ के साथ प्रतिबंधों की बढ़ा बढ़ी में चीन कहीं न कहीं यह भूल रहा है कि यूरोप के साथ संबंध खराब होने से उसकी अर्थव्यव्स्था को काफी बड़ा झटका लगेगा. चीन और यूरोपीय संघ दोनों ही इस विषम परिस्थिति को अच्छी तरह समझते हैं. समस्या यह है कि न उनके नैतिक मूल्यों में सामंजस्य बैठ पा रहा है और न ही उनके सामरिक हितों में तालमेल. यह बात तय है कि जैसे जैसे यूरोपीय संघ और चीन के संबध खराब होते जाएंगे, दुनिया शीत युद्ध 2.0 की तरफ बढ़ती जाएगी.
चमड़े के कपड़े, चमक-दमक वाला मेकअप और ऊंची एड़ी के जूते - इस अंदाज में एलजीबीटी समुदाय के लोगों ने बीजिंग के अंडरग्राउंड डांस इवेंट में दिखाए "वोगिंग" के जलवे.
तस्वीर: JADE GAO/AFP via Getty Images
क्या है वोगिंग
चीन के एलजीबीटी समुदाय के लोगों के लिए डांस के साथ अपनी पहचान का जश्न मनाने का मौका होता है - वोगिंग.
तस्वीर: JADE GAO/AFP via Getty Images
करते कैसे हैं
ऊंची एड़ी के जूते, सिर पर फैंसी विग और गले में फर डाले हुए लोग फैशन शो के जैसे तैयार होकर अपने डांस का जलवा दिखाते हैं.
तस्वीर: JADE GAO/AFP via Getty Images
पहला बड़ा आयोजन
राजधानी बीजिंग के वोगिंग इवेंट में हिस्सा लेने सैकड़ों की तादाद में लोग पहुंचे. पहली बार इतने बड़े स्तर पर 'वोगिंग बॉल' आयोजित हुआ.
तस्वीर: NOEL CELIS/AFP via Getty Images
खिताबी मुकाबला
ऐसे आयोजन में ऊंचे संगीत पर डांस पेश करने वाले लोगों की परफॉर्मेंस जज की जाती है और जीतने वालों को खिताबों से नवाजा जाता है.
तस्वीर: JADE GAO/AFP via Getty Images
हाशिये वालों का जश्न
ऐसे इवेंट्स के आयोजक इसे "हाशिये पर पड़े समूहों के लिए खेल के मैदान जैसा" बताते हैं. मडोना ने इसे 1990 के अपने "वोग" नामके हिट गाने में दिखाया था.
तस्वीर: JADE GAO/AFP via Getty Images
कहां से हुई शुरुआत
इस खास तरह के डांस की शुरुआत 1980 के दशक में हुई लेकिन 20वीं सदी की शुरुआत में न्यूयॉर्क की अंडरग्राउंड बॉलरूम संस्कृति विकसित हुई.
तस्वीर: JADE GAO/AFP via Getty Images
कोई भी सीख सकता है
चीन में बीते कुछ सालों में बाकायदा वोगिंग बॉल की परफॉर्मेंस की तकनीक सीखने का चलन तेज हुआ है, जो मॉडलिंग, फैशन शो और डांस का मिश्रण है.
तस्वीर: NOEL CELIS/AFP via Getty Images
रुढ़िवादी चीनी समाज
2001 में चीन ने समलैंगिकता को एक "मानसिक बीमारी" की श्रेणी से बाहर निकाला था. लेकिन ज्यादातर एलजीबीटी लोग अब भी ढंका छुपा सा जीवन जीते हैं.
तस्वीर: NOEL CELIS/AFP via Getty Images
अमेरिका से चीन का सफर
अमेरिका के बाद जापान, कोरिया, ताइवान और हांगकांग से होती हुई यह संस्कृति हाल ही में चीन पहुंची है, जो बीते दो सालों में खासी फैली है.
तस्वीर: JADE GAO/AFP via Getty Images
खुद को जाहिर करने की खुशी
वोगिंग में हिस्सा लेकर लोग अपनी यौनिकता और लैंगिकता को खुल कर जाहिर करते हैं और प्रतिष्ठित मान्यताओं कौ चुनौती पेश करते हैं.