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करीब आते भारत-चीन

१७ सितम्बर २०१४

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आज से तीन दिवसीय भारत यात्रा पर हैं. 2006 के बाद किसी चीनी राष्ट्रपति की यह पहली भारत यात्रा है. भारत के बुनियादी ढांचे के विकास में चीन भारत की अहम मदद करने का एलान कर सकता है.

तस्वीर: Reuters/Amit Dave

चीनी राष्ट्रपति के स्वागत के लिए अहमदाबाद में जोर शोर से तैयारियां की गई हैं. अहमदाबाद में बिजली बोर्ड को बिजली कटौती न करने की हिदायत दी गई है. अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने जूते पॉलिश करें और शर्ट को पैंट के अंदर डाल कर रखें. चीनी राष्ट्रपति के दौरे को लेकर भारत कोई भी ढीला ढाली नहीं करना चाहता. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ मजबूत रिश्ते बनाना चाहते हैं. चीन के राष्ट्रपति रेलवे, औद्योगिक पार्कों और सड़कों के निर्माण में अरबों डॉलर के निवेश करने की प्रतिज्ञा के साथ भारत पहुंच रहे हैं. मोदी को उम्मीद है कि जब जिनपिंग उनके गृह राज्य में दौरा शुरू करेंगे तो दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश व्यक्तिगत संबंध स्थापित करेंगे.

भारत जिनपिंग की यात्रा को सफल बनाना चाहता है, इसका संकेत तब देखने को मिला जब नई दिल्ली ने तिब्बती धर्म गुरू दलाई लामा को उनके एक कार्यक्रम को पुनर्निर्धारित करने को कहा. सरकार नहीं चाहती है कि शुक्रवार को जब जिनपिंग दिल्ली में होंगे, दलाई लामा का कार्यक्रम उनके दौरे से टकराए.

गुजरात है खास

गुजरात दौरे के दौरान चीनी राष्ट्रपति मोदी के साथ महात्मा गांधी के ऐतिहासिक साबरमती आश्रम का भी दौरा करेंगे. जिनपिंग इसमें स्थित बापू के मूल प्रवास स्थल हृदय कुंज में भी जाएंगे. दोनों नेता साबरमती नदी के किनारे मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट रिवरफ्रंट पर चहलकदमी करते हुए बातचीत भी करेंगे. वहीं पर जिनपिंग के सम्मान में रात्रिभोज का आयोजन भी किया जाएगा. बताया जाता है कि चीनी राष्ट्रपति के सम्मान में आयोजित रात्रिभोज में 100 से अधिक लजीज गुजराती व्यंजन परोसे जाएंगे.

शी जिनपिंग की यात्रा की पूर्व संध्या पर नरेंद्र मोदी ने इस अवसर को भारत और चीन के बीच असाधारण सहयोग की सहस्राब्दि का शुभारंभ बताते हुए इसे एक नया नाम दिया "इंच चले मील की ओर." मोदी ने चीन के पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनकी सरकार चीन को उच्च प्राथमिकता देती है क्योंकि चीन न सिर्फ भारत का सबसे बड़ा पड़ोसी है बल्कि उसके साथ उसके सदियों पुराने संबंध हैं, वह न सिर्फ इस क्षेत्र बल्कि विश्व के लिए महत्वपूर्ण है.

मोदी ने कहा, "तीन सौ साल पहले वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का आधा हिस्सा भारत और चीन का होता था. विश्व में ज्ञान और तकनीक का स्रोत हम दो देश ही होते थे. हमारी दोनों सभ्यताओं ने अत्यंत लचीलेपन का परिचय दिया और अब फिर से आर्थिक प्रगति और नवाचार के महत्वपूर्ण केंद्र बन कर उभर रही हैं."

मई में मोदी के नेतृत्व में नई सरकार के बनने के बाद से दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में खासी तेजी आई है. जिनपिंग भारत आने वाले चीन के तीसरे राष्ट्रपति हैं. प्रधानमंत्री के पद पर मोदी के शपथ ग्रहण करने के बाद सबसे पहले फोन करने वाले नेताओं में चीन के प्रधानमंत्री ली कच्छयांग शामिल थे. नई सरकार बनने के बाद भारत आने वाले विदेश मंत्रियों में चीन के विदेश मंत्री वांग की प्रमुख थे. चीनी राष्ट्रपति का आधिकारिक कार्यक्रम गुरुवार को दिल्ली में होगा, जहां वे प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक में भाग लेंगे और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से मिलेंगे.

एए/आईबी (एएफपी, एपी, वार्ता)

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