चीनी व्यापार घाटे से अर्थजगत अचरज में
१० मार्च २०११फरवरी में चीन को 7.3 अरब डॉलर के बराबर व्यापार घाटे का सामना करना पड़ा. आर्थिक विशेषज्ञों ने 4.95 अरब डॉलर की मामूली बढ़त का पूर्वानुमान जताया था. लेकिन एक साल पहले की तुलना में उसके निर्यात में सिर्फ 2.4 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि अनुमान 26.2 फीसदी का था. इसके विपरीत आयात में 19.4 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई, हालांकि अनुमान इससे भी अधिक, यानी 32.3 फीसदी के बराबर था.
शंघाई के ह्वाबाओ ट्रस्ट के नी वेन ने इस सिलसिले में कहा है कि निर्यात में कमी की अपेक्षा थी, लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि नतीजा इतना कमजोर होगा. पिछले वर्ष मार्च के महीने में भी चीन को व्यापार घाटे का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस आयाम का घाटा सन 2004 की फरवरी के बाद पहली बार देखने को मिला है.
लेकिन इस घाटे की वजह से चीन की वित्तीय स्थिति पर दबाव कुछ घट भी सकता है. पहली बात कि विशेषज्ञों की राय में चीनी मुद्रा युआन की कीमत बढ़ाने की पश्चिमी देशों की मांग थोड़ी ढीली हो सकती है. इसके अलावा मुद्रास्फीति का दबाव भी कुछ घटेगा. नवंबर 2010 तक के 12 महीनों में औसत मुद्रास्फीति 5.1 फीसदी थी. फरवरी में यह घटकर 4.7 फीसदी तक उतर आई है. व्यापार में लगातार बढ़त की वजह से चीन में बाहर से धन का आना जारी रहा है, जिसकी वजह से कीमतें बढ़ती गई हैं. गुरुवार को चीन के सांख्यिकी दफ्तर के प्रमुख मा जिआनटांग ने कहा कि चीन को विश्वास है कि सन 2011 में मुद्रास्फीति की दर 4 फीसदी तक उतारने का लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा.
लेकिन चीन के व्यापार घाटे पर ग्लोबल आर्थिक विशेषज्ञों की भौंहें सिकुड़ भी रही हैं. तेल की बढ़ती कीमत के कारण सारे विश्व में आर्थिक वृद्धि पर चिंता के बादल छाए हुए हैं. चीन के अर्थजगत को ग्लोबल आर्थिक वृद्धि का मोटर माना जा रहा था. निवेशकों को डर है कि खासकर एशिया के बाजार पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा. इस बीच जापान के निक्केई सूचकांक में औसतन 1.5 फीसदी की कमी आई है और एशियाई स्टॉक कुल मिलाकर 1.4 फीसदी तक नीचे उतरे हैं.
वैसे फरवरी-मार्च के दौरान चीन में चांद्र नववर्ष की शुरुआत होती है. छुट्टियों के इस मौसम में चीन के व्यापारिक आंकड़े अक्सर बिगड़ते हैं. उम्मीद की जा रही है कि आने वाले महीनों में इसकी भरपाई की जा सकेगी.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: ए कुमार