अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ कारोबारी रिश्तों को बेहतर करने के दबाव से जूझ रहे चीन का कहना है कि वह अपनी कंपनियों को विदेशों में जासूसी के लिए नहीं कहता है.
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चीन के प्रधानमंत्री ली केचियांग से जब एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछा गया कि क्या चीन अपनी कंपनियों को विदेशों में जासूसी के लिए कहता है, तो उन्होंने कहा कि चीन ऐसा कुछ नहीं करता है. उन्होंने कहा, "हमने पहले कभी ऐसा नहीं किया है और न ही भविष्य में कुछ ऐसा करेंगे." अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ कारोबारी तनातनी को कम करने के मकसद से चीन की ओर से भी कहा गया है कि अब वह चीनी बाजार में सक्रिय देसी और विदेशी कंपनियों के साथ समान व्यवहार करेगा.
हाल में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों ने सुरक्षा जोखिमों की आशंका के चलते हुवावेई टेक्नोलॉजी लिमिटेड समेत कई अन्य चीनी कंपनियों की प्रौद्यगिकी के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है. हुवावेई फोन और इंटरनेट उपकरण बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है. वहीं कंपनी ने ऐसे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है जिसमें कहा गया है कि वह चीन के लिए जासूसी करती है.
निवेश के लिहाज से टॉप 10 देश
अंतरराष्ट्रीय सलाहकारों, एटी कैर्नी और संयुक्त राष्ट्र एजेंसी अंकटैड ने निवेश के लिहाज से पसंदीदा देशों की सूची जारी है. इसमें भारत भी है. जानिए कौन सा देश किस जगह है.
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10. जापान
कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां और विकास योजनाएं रिसर्च के लिए जापान पर निर्भर हैं. देश पूर्वी एशिया में लॉजिस्टिक का प्रमुख केंद्र है. आर्थिक रूप से भले ही जापान की विकास दर धीमी हो लेकिन घरेलू बाजार, पढ़े लिखे कामगारों और ग्राहकों की वजह से देश निवेशकों को लुभाता है.
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9. इंग्लैंड
यूरो जोन के वित्तीय तंत्र के करीब जाने की कोशिश करने वाले निवेशक ब्रिटिश अर्थव्यव्स्था की रीढ़ हैं. हालांकि ब्रिटेन 2017 में यूरोपीय संघ में बने रहने के फैसले पर वोटिंग करेगा. ब्रिटेन को अब भी दुनिया के वित्तीय और कारोबारी केंद्र के तौर पर देखा जाता
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8. थाइलैंड
थाइलैंड लंबे समय से निवेशकों को लुभाता रहा है. कभी हाथियों के लिए मशहूर थाइलैंड अब दुनिया में टोयोटा का तीसरा बड़ा प्रोडक्शन सेंटर है. मलेशिया की तरह थाइलैंड भी ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर के निवेशकों की पसंद है.
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7. मेक्सिको
सस्ती मजदूरी और परिवहन का कम खर्चा, अमेरिकी निवेशकों को अपना पड़ोसी देश मेक्सिको लुभाता है. मेक्सिको ने ऊर्जा क्षेत्र को निजी निवेशकों के लिए खोल दिया है, इसका असर साफ तौर पर देखा जा रहा है.
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6. जर्मनी
मैनुफैक्चरिंग में जर्मनी दुनिया का सबसे विकसित देश है. यूरोप की धुरी कहा जाने वाला जर्मनी लंबे समय से निवेश के लिए सुरक्षित जगह खोजने वाले कारोबारियों को आकर्षित करता है. यूरोप की बाकी अर्थव्यवस्थाओं के गोता लगाने के बावजूद जर्मनी विकास कर रहा है.
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5. ब्राजील
फुटबॉल और सांबा के लिए मशहूर ब्राजील विकासशील देश से औद्योगिक शक्ति बनना चाह रहा है. पोर्टफोलियो इनवेस्टरों के जाने के बावजूद ब्राजील में लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट के लिए अच्छी जगह है. ऊर्जा और खनन सबसे ज्यादा फायदे के इनवेस्टमेंट हैं.
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4. इंडोनेशिया
बड़े घरेलू बाजार और प्राकृतिक संसाधनों के चलते निवेशक इंडोनेशिया की तरफ देखते हैं. लेकिन कच्चे माल के निर्यात पर लगी रोक से निवेशक चिंता में हैं. सरकार की यह नीति देश के निवेश को प्रभावित कर सकती है.
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3. भारत
भारत ने अपने यहां 25.5 अरब डॉलर का सीधा विदेशी निवेश खींचा है. भारत अब भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए पंसदीदा जगह है. केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद निवेशकों का भरोसा लौट रहा है. निवेशकों के लिए भारत की लालफीताशाही अब भी एक समस्या बनी हुई है.
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2. अमेरिका
चीन के बाद अमेरिका अब भी निवेशकों की दूसरी पसंद है. विदेशी निवेश के लिए भरोसे के सूचकांक में वह पहले नंबर पर है. विदेशी कंपनियां अमेरिका में इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर और वित्तीय सेक्टर में निवेश करने को बेताब रहती हैं.
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1. चीन
दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था चीन अब भी निवेशकों की पहली पसंद है. सर्वे में शामिल 150 बहुराष्ट्रीय कंपनियों में से 45 फीसदी ने चीन को निवेश के लिहाज से सबसे अच्छा करार दिया. चीन में टेलीकम्युनिकेशन, ऑटोमोबाइल और कंस्ट्रक्शन आसमान पर है.
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चीन के सामने अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ अपने कारोबारी संबंधों को सुधारने की बड़ी चुनौती है. चीन की आर्थिक वृद्धि पिछले तीन दशक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं. वहीं निर्यात में आ रही कमी और देश का सुस्त पड़ता ऑटो बाजार भी चीन की चिंताएं लगातार बढ़ा रहा है. प्रधानमंत्री ने वादा किया है कि चीनी बाजार में सभी कंपनियों को बराबरी के मौके दिए जाएंगे. साथ ही उद्योग जगत में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा, लेकिन इस पर कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है.
हालांकि चीन से नाराज चल रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप इन बातों से कितने संतुष्ट होंगे ये अब भी सवाल बना हुआ है. दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति चाहते हैं कि चीनी सरकार रोबोटिक्स और दूसरी आधुनिक अमेरिकी कंपनियों के बाजार में प्रतिस्पर्धी खड़े न करे. इस मुद्दे पर चीन और अमेरिकी अधिकारियों के बीच लगातार बात चल रही है लेकिन अब तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है.
वहीं बाजार अनुमान लगा रहा है कि अप्रैल के शुरू होने वाली तिमाही में सरकारी नीतियों के चलते आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी.
क्या है अमेरिका से मिलने वाला जीएसपी दर्जा?
कारोबारी प्रोत्साहन और व्यापार बढ़ाने के लिए अमेरिका दुनिया के कई विकासशील देशों के साथ अलग-अलग तरह के कार्यक्रम चलाता है. ऐसा ही एक कार्यक्रम है जीएसपी.
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क्या है जीएसपी
जनरलाइजड सिस्टम ऑफ प्रेफ्रेंस (जीएसपी) मतलब प्राथमिकताओं की सामान्यीकृत प्रणाली. यह अमेरिका का कारोबारी प्रोग्राम है जिसे विकासशील देशों की आर्थिक वृद्धि में लाभ पहुंचाने के लिए तैयार किया गया था. इसे ट्रेड एक्ट 1974 कानून के बाद अमल में लाया गया.
अमेरिका ने तकरीबन 129 देशों को जीएसपी दर्जा दे रखा है. इसके तहत इन देशों के तकरीबन 4,800 प्रॉडक्ट्स की अमेरिका में ड्यूटी फ्री एंट्री हो सकती है.
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कार्यक्रम का उद्देश्य
जीएसपी का मकसद अमेरिका का अन्य देशों के साथ व्यापार बढ़ाने और उसमें विविधता लाकर सतत विकास को बढ़ावा देना है. जीएसपी कार्यक्रम विकासशील देशों के उत्पादों को बड़ा बाजार देता है जिनसे उन्हें फायदा होता है.
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अमेरिका का फायदा
जीएसपी अमेरिकी कंपनियों के लिए आयातित माल की लागत को कम करता है. इसके चलते बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है. जीएसपी अमेरिका के छोटे कारोबारियों के लिए काफी अहम हैं क्योंकि ड्यूटी फ्री माल लेने से उन्हें ही सबसे ज्यादा लाभ होता है.
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चीन शामिल नहीं
चीन से अमेरिका को किया जाने वाला निर्यात जीएसपी के तहत नहीं आता. लेकिन भारत और ब्राजील जीएसपी दर्जा प्राप्त दुनिया की तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं. वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि ट्रंप प्रशासन अब इन भारत और ब्राजील की कारोबारी नीतियों को चुनौती पूर्ण मानने लगा है.
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एशिया के देश
अमेरिका की इस सूची में एशिया के भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल, अफगानिस्तान, भूटान, फिलीपींस और इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं.