फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग डाटा विवाद में कई बार माफी मांग चुके हैं. गलती बता कर मौका देने को कह चुके हैं. लेकिन डाटा का भूत है कि पीछा ही नहीं छोड़ रहा. अब चीनी कंपनियों के साथ डाटा मामले में फेसबुक फंस गया है.
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सोशल मीडिया साइट फेसबुक का डाटा विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. अब नया मामला फेसबुक और चीनी कंपनियों के डाटा एक्सिस से जुड़ा है. इस मामले में फेसबुक ने माना है कि वह चीन की कई हैंडसेट निर्माता कंपनियां मसलन हुवावेई, लेनोवो, ओप्पो और टीसीएल के साथ डाटा साझा करता रहा है. दरअसल ये वही कंपनियां हैं जिन्हें अमेरिकी खुफिया एजेंसियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानती हैं.
अपनी एक रिपोर्ट में न्यूयॉर्क टाइम्स ने दावा किया था कि फेसबुक ने हैंडसेट डिवाइस बनाने वाली कई कंपनियों को डाटा एक्सिस की अनुमति दी. इसके तहत यूजर्स समेत उनके दोस्तों तक के डाटा, जिसमें हिस्ट्री, लाइक्स आदि छोटी-बड़ी जानकारियां, कंपनियों तक पहुंच गईं. द टाइम्स के मुताबिक चीनी कंपनी हुवावेई पर अमेरिका की कई सरकारी एजेंसियों ने सुरक्षा कारणों के चलते प्रतिबंध लगाया हुआ है.
डाटा बेचकर पैसा बनाता फेसबुक
दुनिया में तकरीबन 200 करोड़ लोग फेसबुक के एक्टिव यूजर्स हैं, लेकिन ये यूजर्स फेसबुक को एक रुपये का भुगतान नहीं करते. ऐसे में सवाल उठता है कि फेसबुक कंपनी चलाने के लिए पैसा कहां से लाती है. जानते हैं फेसबुक की कमाई का राज
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आइडिया बनी कंपनी
होस्टल से कमरे से शुरू हुआ एक छोटा आइडिया आज एक ग्लोबल प्रोजेक्ट बन गया है, दुनिया की लगभग एक चौथाई जनसंख्या आज फेसबुक की रजिस्टर्ड यूजर में शामिल है.रोजाना तकरीबन 200 करोड़ लोग फेसबुक पर लाइक, कमेंट के साथ-साथ तस्वीरें भी डालते हैं.
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कंपनी की आय
मोटा-मोटी फेसबुक पर औसतन हर एक यूजर दिन के करीब 42 मिनट बिताता है. पिछले कुछ सालों में कंपनी की कुल आय, तीन गुना तक बढ़ी है और आज की तारीख में इसकी नेट इनकम करीब 900 करोड़ यूरो तक पहुंच गई है.
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मुफ्त सेवायें
अब सवाल है कि जब फेसबुक की सारी सुविधायें यूजर्स के लिए फ्री हैं तो पैसा कहां से आता है. सीधे तौर पर बेशक फेसबुक अपने यूजर्स से पैसा नहीं लेता लेकिन ये यूजर्स के डाटा बेस को इकट्ठा करता है और उन्हें कारोबारी कंपनियों को बेचता है. आपका हर एक क्लिक आपको किसी न किसी कंपनी से जोड़ता है.
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डाटा के बदले पैसा
फेसबुक अपने यूजर डाटा बेचकर कंपनियों से पैसे कमाता है. मसलन कई बार आपसे किसी साइट या किसी कंपनी में रजिस्टर होने से पहले पूछा जाता है कि क्या आप बतौर फेसबुक यूजर ही आगे जाना चाहते हैं और अगर आप हां करते हैं तो वह साइट या कंपनी आपकी सारी जानकारी फेसबुक से ले लेती है.
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विज्ञापनों का खेल
दूसरा तरीका है विज्ञापन, अपने गौर किया होगा कि आपको अपने पसंदीदा उत्पादों से जुड़े विज्ञापन ही फेसबुक पर नजर आते होंगे. मसलन अगर आपने पसंदीदा जानवर में बिल्ली डाला तो आपके पास बिल्लियों के खाने से लेकर उनके स्वास्थ्य से जुड़े तमाम विज्ञापन आयेंगे
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ऑडियंस टारगेटिंग
सारा खेल इन विज्ञापनों की प्लेसिंग का है. इस प्रक्रिया को टारगेटिंग कहते हैं. फेसबुक मानवीय व्यवहार से जुड़ा ये डाटा न सिर्फ कंपनियों को उपलब्ध कराता है बल्कि तमाम राजनीतिक समूहों को भी उपलब्ध कराता है. मसलन ब्रेक्जिट के दौरान उन लोगों की टारगेटिंग की गई थी जो मत्स्य उद्योग से जुड़े हुए हैं.
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कौन होता प्रभावित
इन सब के बीच ये अब तक साफ नहीं हुआ है कि कौन किसको कितना प्रभावित कर रहा है और कंपनियों को फेसबुक के साथ विज्ञापन प्रक्रिया में शामिल होकर कितना लाभ मिल रहा है. साथ ही डाटा खरीदने-बेचने की इस प्रक्रिया में कितने पैसे का लेन-देन होता है.
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कोई जिम्मेदारी नहीं
फेसबुक किसी डाटा की जिम्मेदारी नहीं लेती और न ही इसकी सत्यता की गारंटी देता हैं. डिजिटल स्पेस की यह कंपनी अब तक दुनिया का पांचवा सबसे कीमती ब्रांड बन गया है. कंपनी ने कई छोटी कंपनियों को खरीद कर बाजार में अपनी एक धाकड़ छवि बना ली है.
फेसबुक में मोबाइल पार्टनरशिप के उपाध्यक्ष फ्रांसिस्को वेरला ने सफाई पेश करते हुए कहा, "फेसबुक भी अन्य अमेरिकी तकनीकी कंपनियों की तरह ही चीन के निर्माताओं के साथ मिलकर काम करती रही, ताकि सर्विसेज को बेहदर ढंग से इंटीग्रेट किया जा सके. फेसबुक की हुवावेई, ओप्पो, लेनोवो, टीसीएल के साथ होने वाले इंटीग्रेशन पर हमेशा नजर रही. जो भी जानकारी साझा हुई है वह हुवावेई की डिवाइस में स्टोर हैं न कि हुवावेई के सर्वर में."
अब अमेरिकी नीति निर्माताओं ने इस पर सवाल खड़े किए हैं. अमेरिकी संसद की इंटेलिजेंस कमेटी से जुड़े सीनेटर मार्क वार्नर ने पूछा है कि कैसे फेसबुक ने यह सुनिश्चित किया कि चीनी सर्वरों को डाटा नहीं मिल रहा है. इस मामले में अब तक हुवावेई की ओर से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है. सुरक्षा कारणों के चलते पेंटागन ने इस साल मई में उन जगहों पर हुवावेई फोन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था, जहां अमेरिका के मिलिट्री कैंप हैं. हालांकि मामला सिर्फ चीनी कंपनियों को डाटा दिए जाने तक ही सीमित नहीं है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि फेसबुक यह डाटा सैमसंग, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट समेत 60 कंपनियों को दे रहा है. इसमें कहा गया है कि फेसबुक की इन कंपनियों के साथ डाटा-शेयरिंग पार्टनरशिप है. इसी के तहत यूजर्स के डाटा का एक्सिस दिया गया. कुछ समय पहले ही एप्पल ने खुलासा किया था कि फेसबुक यूजर्स पर डाटा ट्रैकिंग फीचर का इस्तेमाल करता रहा है. एप्पल का कहना है कि नए अपडेट में यह ट्रैकिंग नहीं हो सकेगी.
2004 में बनी कंपनी फेसबुक पिछले लंबे समय से डाटा विवाद में फंसी है. इसके चलते कई बार फेसबुक संस्थापक मार्क जकरबर्ग यूजर्स से माफी भी मांग चुके हैं.
इन कंपनियों से भी चोरी हुआ है निजी डाटा
यूजर्स के निजी डाटा की चोरी फेसबुक के मामले के बाद सुर्खियों में आई लेकिन यह पहला मामला नहीं है जब डाटा चोरी हुआ है. आपके आसपास की तमाम कंपनियों में भी पिछले सालों के दौरान डाटा चोरी के कई मामले सामने आएं हैं.
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याहू
इंटरनेट सर्च इंजन याहू ने साल 2017 में यह बात मानी कि 2013 के दौरान कंपनी के करीब तीन अरब एकाउंट पर हैकर्स ने सेंध मारी थी. साल 2016 में प्रभावित एकाउंट्स की संख्या एक अरब कही गई थी. लेकिन 2017 में यह संख्या बढ़कर तीन अरब तक पहुंच गई.
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ईबे
ई-कॉमर्स कंपनी ईबे ने साल 2014 में डाटा चोरी का मामला दर्ज कराया था. कंपनी ने कहा था कि हैकर्स ने कंपनी के तकरीबन 14.5 करोड़ यूजर्स के नाम, पता, जन्मतिथि हासिल कर लिए हैं. कंपनी में काम करने वाले तीन लोगों के नाम का इस्तेमाल कर हैकर्स ने कंपनी नेटवर्क में जगह बनाई और सर्वर में 229 दिनों तक बने रहे.
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पिज्जा हट
पिज्जा हट ने साल 2017 में अपनी वेबसाइट और ऐप के हैक होने की बात स्वीकारी. कंपनी ने कहा कि इस डाटा चोरी में यूजर्स की निजी जानकारी को निशाना बनाया गया. हालांकि इस हैकिंग में कितने एकाउंट्स को निशाना बनाया था, उसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं दी गई. लेकिन स्थानीय मीडिया ने 60 हजार अमेरिकी ग्राहकों के निशाना बनने की बात कही थी.
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उबर
टैक्सी एग्रीगेटर ऐप उबर ने साल 2017 में करीब 5.7 करोड़ यूजर्स के डाटा लीक होने की बात कही. कंपनी को साल 2016 में हैकर्स की सेंधमारी का अंदेशा हुआ था. डाटा हैकिंग के इस मामले में हैकर्स ने कंपनी के साथ दर्ज छह लाख ड्राइवरों का लाइसेंस नंबर भी चुरा लिया था.
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जोमैटो
मोबाइल पर लोगों को खाने के ठिकानों की जानकारी देने वाली भारतीय कंपनी जोमैटो ने साल 2017 में डाटा चोरी की बात कही थी. कंपनी ने कहा था कि उसके करीब 1.7 करोड़ यूजर्स का डाटा चुरा लिया गया है. इसमें यूजर्स के ईमेल और पासवर्ड शामिल हैं. जोमैटो की स्थापना साल 2008 में दो भारतीयों ने की थी. फिलहाल कंपनी 23 देशों में अपनी सेवाएं दे रही है.
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इक्वीफैक्स
क्रेडिट मॉनिटिरिंग कंपनी इक्वीफैक्स पर हुआ साइबर अटैक डाटा चोरी का बड़ा मामला माना जाता है. इसमें करीब 14.55 करोड़ लोगों का निजी डाटा चोरी हो गया. इसमें संवेदनशील जानकारियां मसलन सोशल सिक्युरिटी नंबर, ड्राइविंग लाइसेंस नंबर आदि के चोरी होने की खबर आई थी.
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बूपा
भारत में मैक्स समूह के साथ काम कर रही बीमा कंपनी बूपा भी डाटा चोरी का शिकार बन चुकी है. ब्रिटेन की इस कंपनी से जुड़े पांच लाख लोगों की बीमा योजनाओं की जानकारी हैकर्स ने चुरा ली थी. ब्रिटेन में करीब 43 हजार लोग इस डाटा चोरी से प्रभावित हुए थे.
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डेलॉयट
दुनिया की बड़ी कंसल्टेंसी फर्म में शुमार डेलॉयट भी हैकर की गिरफ्त में आ चुकी है. इस चोरी में हैकर्स ने कंपनी के ब्लू-चिप क्लाइंट की निजी जानकारी को निशाना बनाया. हालांकि इसमें कुछ गुप्त ई-मेल, निजी योजनाओं और डॉक्युमेंट्स को भी चुराया गया. इस हैकिंग का सबसे अधिक असर अमेरिकी ग्राहकों पर पड़ने की बात सामने आई थी.
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लिंक्डइन
नौकरी देने-लेने का प्लेटफॉर्म बन उभरा लिंक्डइन भी डाटा चोरी की शिकायत करता है. साल 2012 मे कंपनी के नेटवर्क को हैक कर करीब 65 लाख यूजर्स की जानकारी निकाल ली गई. इसमें रूस के हैकर्स का हाथ होने की बात कही गई थी. साल 2017 में कंपनी ने करीब 10 करोड़ यूजर्स के एकाउंट पर मंडरा रहे खतरे की जानकारी देते हुए कहा था कि हैकर्स, यूजर्स की जानकारी ऑनलाइन बेचना चाहते हैं.
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सोनी प्लेस्टेशन नेटवर्क
गेमिंग की दुनिया के लिए सोनी प्लेस्टेशन नेटवर्क में हुई डाटा चोरी चौंकाने वाली थी. साल 2011 में सामने आई इस हैकिंग में 7.7 करोड़ प्लेस्टेशन यूजर्स के एकाउंट हैक हो गए. इस हैकिंग से कंपनी को 17.1 करोड़ का नुकसान हुआ था और कंपनी की साइट भी एक महीने तक डाउन रही.
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जेपी मॉर्गन
अमेरिका के बड़े बैंकों में शुमार जेपी मॉर्गन भी अपना डाटा चोरी होने से नहीं बचा पाया. साल 2014 के साइबर अटैक में करीब 7.6 करोड़ अमेरिकी लोगों का डाटा चोरी हो गया और करीब 70 लाख छोटे कारोबारों को भी हैकर्स ने निशाना बनाया.