चीन की सफलता में उसकी सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री का बड़ा हाथ है. लेकिन अब इसी इंडस्ट्री का 996 फॉर्मूला देश के कामकाजी नौजवानों को बीमार और परेशान कर रहा है. हालांकि अलीबाबा जैसी कई कंपनियां अब भी 996 की वकालत करती हैं.
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शंघाई में काम करने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर वू लिंगफेंग को फिल्में पसंद हैं. कुछ समय पहले उन्होंने एक साइलेंट मूवी देखी, नाम था मॉर्डन टाइम्स. कमेडियन चार्ली चैपलिन की इस फिल्म को देखते हुए वू अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं कर पाए और फूट फूट कर रोने लगे. उन्हें महसूस हुआ की फिल्म में मजबूर मजदूर का किरदार उनकी असल स्थिति से काफी मिलता-जुलता है.
यह भावना सिर्फ वू के अंदर ही नहीं है, बल्कि चीन की कामकाजी नौजवान पीढ़ी यह महसूस करती है. तकनीकी क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं के जीवन में काम के बढ़ते बोझ ने देश में वर्क-लाइफ बैलेंस (काम और जीवन में संतुलन) को लेकर एक बहस छेड़ दी है.
चीन की तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था का बोझ उठा रहे कोडर, इंजीनियर, सॉफ्टवेयर डेवलपर, गेम डिजाइनर और आईटी सेक्टर में जुड़े लोग अब पूरी तरह 996 पैटर्न का शिकार हो चुके हैं. 996 फॉर्मूले का मतलब है हफ्ते के छह दिन सुबह नौ से रात नौ बजे तक काम करो, वह भी बिना किसा ओवरटाइम वेतन के.
इन नौकरियों में टेंशन ही टेंशन
कुछ नौकरियां हमेशा बहुत ज्यादा तनाव देती हैं. जानिये कौन सी हैं ये नौकरियां.
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1. सैनिक
तनाव की वजह: घर परिवार से दूर बेहद मुश्किल हालात में काम करना. सामाजिक ताने बाने से अलग रहना, जान जाने या घायल होने का जोखिम भी.
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2. दमकलकर्मी
तनाव की वजह: किसी भी वक्त ड्यूटी की कॉल आना. बेहद जोखिम भरे माहौल में काम करना. आग बुझाने के अलावा सड़कों पर गिरा तेल हटाना, मुश्किल में फंसे लोगों और जानवरों को बचाना.
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3. एयरलाइन पायलट
तनाव की वजह: कभी सुबह, कभी देर रात तो कभी तड़के ड्यूटी पर जाना. उड़ान से पहले बारीक से बारीक डिटेल चेक करना. लगातार अलग अलग टाइम जोन्स में सफर करना. आधे समय घर से बाहर होटलों में रहना. गलती होने पर लाइसेंस छिनने का खतरा.
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4. पुलिसकर्मी
तनाव की वजह: ड्यूटी के दौरान कई बार बेहद पेचीदा माहौल में काम करना. खुद को हर वक्त नियंत्रण में रखना. जान का जोखिम.
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5. इवेंट कॉर्डिनेटर
तनाव की वजह: इवेंट की प्लानिंग के दौरान हर बारीकी पर ध्यान देना. मेहमानों की मान मनुहार करना और उनके नखरे बर्दाश्त करना. सफल आयोजन के लिए समझौते करना.
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6. पब्लिक रिलेशन एक्जीक्यूटिव
तनाव की वजह: कई बार क्लाइंट्स की काल्पनिक मांग को पूरा करना. विवादों के असर को कम से कम करते नकारात्मक महौल को सकारात्मक बनाना.
7. कॉरपोरेट एक्जीक्यूटिव
तनाव की वजह: हर वक्त कंपनी की परफॉर्मेंस बेहतर करना. लगातार होड़ में आगे बनने रहने की कोशिश करना. खर्च घटाने से लेकर मुनाफा बढ़ाने तक की जिम्मेदारी. कंपनी बोर्ड को संतुष्ट रखना. कानूनी मसलों के लिए जिम्मेदारी.
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8. ब्रॉडकास्टर
तनाव की वजह: काम के दौरान खूब मेकअप कर तेज रोशनी में बैठे रहना. मूड खराब होने पर भी मुस्कुराते रहना. प्रोड्यूसर के निर्देश पर खबरों को लंबा खींचना.
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9. पत्रकार
तनाव की वजह: हमेशा बड़ी खबर की खोज करना. कोई घटना होने पर सब कुछ छोड़कर घटनास्थल के लिए निकल पड़ना. तयशुदा वक्त पर काम पूरा करना. जान का जोखिम.
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10. टैक्सी ड्राइवर
तनाव की वजह: आए दिन अलग अलग किस्म के लोगों से पाला पड़ना. दिन रात गाड़ी चलाना. सवारियों के दबाव में तेज गाड़ी चलाना. सवारी न मिलने पर घंटों इंतजार करना. मानसिक थकावट.
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वू जैसे कई लोग बताते हैं कि आगे बढ़ने की चाह में पिछले कई सालों से ये लोग काम के इसी फॉर्मूले पर खुद को घिसते जा रहे हैं. जब समाचार एजेंसी एएफपी की संवाददाता ने उनसे बातचीत की, तो वू ने कहा कि पिछले एक साल में वह पहली बार किसी लड़की से बात कर रहे हैं.
चीन की बड़ी टेक कंपनियां देश को तेजी से बदल रही हैं. हुआवाई और अलीबाबा जैसी कंपनियां अब दुनिया के प्रतिष्ठित ब्रांड बन गई हैं. हालांकि इन कंपनियों की कामयाबी में दिनरात जुटे रहे कामगारों की ओर कभी किसी का ध्यान नहीं गया. हाल में मामला उस वक्त वायरल हो गया, जब किसी ने ऐसी चीनी कंपनियों की लिस्ट जारी की जहां 996 फॉर्मूला लागू होता है.
इस सूची में 139 कंपनियां हैं, जिसमें देश के बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां, ऐप्स समेत कई कंटेट प्लेटफॉर्म भी शामिल हैं. कंपनियों की जानकारी देने वाला होस्ट पेज 996.ICU पर मिलता है. यहां आईसीयू का मतलब है इंटेनसिव केयर यूनिट मतलब अस्पताल का गहन देखभाल कक्ष. पेज को 20 भाषाओं में पेश किया गया है.
हैशटैग 996 को चीन के पॉपुलर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीवो पर करीब 1.5 करोड़ बार देखा गया. कमेंट्स में लोगों ने ऐसी कंपनियों समेत सरकार की भी आलोचना की जो इन मामलों में कानूनों की अनदेखी कर रही है. सोशल मीडिया पर एक यूजर ने कम्युनिस्ट पार्टी पर निशाना साधते हुए लिखा कि चीन को वर्किंग क्लास चला रहा है, "क्या आपने कभी देखा कि नेताओं का ऐसा शोषण हो रहा है."
एक वीडियो गेम डिजाइनर ने एएफपी को बताया कि उसने एक बार लगातार 110 घंटे ऑफिस में बिताए. खाने से लेकर सोना भी ऑफिस में ही करता रहा ताकि वह काम कर सके. नाम ना बताने की शर्त पर इस गेम डिजाइनर ने बताया, कड़ी मेहनत के चलते आज 31 साल की उम्र में उसे कुछ बीमारियां हो गई हैं, स्वास्थ्य गड़बड़ियों के लिए वह अपने काम को दोष देता है.
वहीं नौकरियां देने वाली कंपनियां जॉब कॉन्ट्रैक्ट में काम के ऐसे घंटों का उल्लेख नहीं करतीं लेकिन परफॉर्मेंस को लेकर बड़े लक्ष्य कर्मचारियों को ज्यादा से ज्यादा काम करने के लिए मजबूर करते हैं.
ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा के संस्थापक जैक मा ने 996 पैटर्न को महत्वाकांक्षी लोगों के लिए एक आशीर्वाद बताया है. वहीं अलीबाबा की प्रतिद्वंदी कंपनी जेडीडॉटकॉम के प्रमुख रिचर्ड लियू 996 को बुरा कहने वाले को काम के प्रति अनिच्छुक और आलसी बताते हैं. कारोबारियों के इन बयानों की चीन में काफी आलोचना हो रही है.
अब तक बहुत ज्यादा काम करने वालों में जापानी लोगों का नाम आता था. लेकिन जापान के नए श्रम कानून ने कर्मचारियों के लिए ओवरटाइम की सीमा एक महीने में 45 घंटे तक तय कर दी. दक्षिण कोरिया ने भी 2018 में एक हफ्ते में काम के अधिकतम घंटों को 68 से घटाकर 52 कर दिया.
चीनी सरकार और प्रशासन ने अब तक इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. हालांकि कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेली ने अपने एक संपादकीय में लिखा था कि 996 पैटर्न चीन में 40 घंटे के वर्कवीक कानून के खिलाफ है.
क्या बीमार कर रही आपकी नौकरी
आज कल नौकरीपेशा लोगों के बीच "बर्नआउट" शब्द आम हो गया है. यह काम के बोझ से होने वाले बहुत गंभीर मनोवैज्ञानिक असर के बारे में है, लेकिन कई लोगों को खुद ही लगने लगता है कि वे बर्नआउट के शिकार हैं. देखिए क्या है इसके लक्षण.
आम तौर पर हर चीज को लेकर आप ज्यादा कटु या निन्दापूर्ण टिप्पणी दे देते हैं. अच्छे सहकर्मियों के बारे में भी कमियां ढ़ूंढते रहते हैं. दूसरों को किसी काम का श्रेय मिलने पर जलन महसूस करते हैं. तो कहीं ना कहीं आपके काम का बोझ भी आपको ज्यादा सनकी बना रहा है.
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भाग जाना, भूल जाना चाहते हैं
सुबह दफ्तर पहुंचे कुछ ही घंटे हुए और आप वहां से निकलने का इंतजार करने लगे. किसी ऐसी जगह जाने का ख्याल आने लगे जहां शांति और सुकून हो. ऐसी "लालसा" असल में "बर्नआउट" की ओर इशारा करती है. भाग जाना किसी मुश्किल स्थिति से निकलने की सबसे आम प्रतिक्रिया होती है.
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आसान कामों में भी गलतियां होना
आप जो काम चुटकियां बजा कर कर लेते थे, उनमें भी गलतियां होने लगी हैं. ऐसा ध्यान भटकने के कारण होता है और अगर ऐसा ही चलता रहे तो ध्यान देना चाहिए कि कहीं आप भी "बर्नआउट" के शिकार तो नहीं हो रहे. पिछली मीटिंग में कही गयी कोई बात याद नहीं रही या रोजमर्रा के काम भूलने लगे हैं.
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हमेशा थके थके से
क्या वीकेंड को लेकर हमेशा आपका प्लान यही रहता है कि पूरा दिन सोकर बिताना है. ऐसी थकान महसूस होती हो जो आराम करके उठने के बाद भी ना जाती हो. यह थकान, तनाव और "बर्नआउट" के लक्षण हो सकते हैं. यह हालात शारीरिक से ज्यादा मानसिक और भावनात्मक थकान की ओर इशारा करते हैं.
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खुद पर संदेह
आप जहां भी हैं, जो भी काम कर रहे हैं, बड़ी मेहनत से वहां तक पहुंचे हैं. ऐसा क्यों होने लगा है कि कभी कभी आप अपनी ही क्षमताओं पर ही संदेह करने लगे हैं. अपने बारे में, अपने भविष्य के बारे में सोचने पर अंधेरा दिखता हो, तो यह भी बर्नआउट ही है. काम के अत्यधिक बोझ से आपका दिमाग कभी कभी ऐसे भी निपटने की कोशिश करता है.
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बदन में दर्द
कभी सिर का दर्द तो तो कभी पीठ में, ऐसा दर्द जो कभी नहीं जाता. आपको दर्द हमेशा महसूस होता रहता है, लेकिन इतना ज्यादा भी नहीं होता कि आप तुरंत डॉक्टर के पास जाने का सोचें. कभी कभी यह दर्द आपके काम के शेड्यूल से जुड़ा भी हो सकता है. अत्यधिक तनाव से कई बार बुखार से लेकर दिल की बीमारियां तक लग जाती हैं.
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छोटी छोटी बातों पर चिढ़ना
कभी बॉस की बुराई तो कभी चालू बनने वाले सहकर्मियों की- ऐसा नहीं कि कोई बॉस सचमुच बुरा नहीं होता या बाकी लोग धोखा नहीं देते, लेकिन यह भी सच है कि सभी ऐसे नहीं होते. तो अगर आप हमेशा सबके बारे में ऐसे ही ख्याल रखते हैं, तो उसका कारण भी आपका "बर्नआउट" हो सकता है. (एमएल/आरपी)