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मंथन 138 में खास

११ जून २०१५

इस बार मंथन में ले चलेंगे आपको चीन के गोबी रेगिस्तान के मिंगशा टीलों पर. साथ ही जानेंगे मलेरिया की नई दवा के बारे में और एक झलक पेरिस में पोस्टर फाड़ते स्ट्रीट आर्टिस्ट की.

Symbolbild Karawane Kamel Trampeltier Wüste Dunhuang Provinz
तस्वीर: picture-alliance/dpa

मंथन 138 में खास..

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अफ्रीका के सहारा और सऊदी के अरब रेगिस्तान के बाद चीन का गोबी रेगिस्तान दुनिया भर में मशहूर है. गोबी फैलता जा रहा है, यहां मौजूद सदियों पुरानी झील सिकुड़ती जा रही है और यहां के लोग परेशान हैं. किसान भी अब घर चलाने के लिए टूरिज्म का रुख कर रहे हैं. लेकिन जितने ज्यादा टूरिस्ट आएंगे, उतना ही ज्यादा पानी भी चाहिए होगा. मंथन में जानेंगे कि चीन इस समस्या से कैसे जूझ रहा है.

मलेरिया से लड़ाई

दुनिया की आधी आबादी पर मलेरिया का खतरा है. पिछले पंद्रह साल में इस जानलेवा बीमारी को काफी हद तक काबू में किया गया है लेकिन अब भी हालत यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक 2013 में बीस करोड़ लोगों को मलेरिया हुआ और करीब छह लाख की इस बीमारी ने जान ली. इससे निपटने के लिए स्विट्जरलैंड में नई रिसर्च चल रही है. देखिए मंथन में खास रिपोर्ट.

घर पर रंगों का असर

हमारे आसपास के रंग हम पर बहुत असर डालते हैं. हर वक्त सफेद, काले या भूरे रंगों के बीच घिरे रहने से मूड खराब हो सकता है. यही वजह है कि यूरोप में सर्दियों के मौसम में जब महीनों तक सूरज नहीं दिखता, हरे भरे पेड़ और रंग बिरंगे फूल नहीं दिखते, तो बहुत से लोग डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं. इस बार मंथन में ले चलेंगे आपको स्विट्जरलैंड के एक ऐसे डिजाइनर घर में जहां चारों ओर रंग ही रंग हैं.

बदलता डॉर्टमुंड

स्विट्जरलैंड के बाद रुख होगा जर्मनी के डॉर्टमुंड शहर का. वैसे तो यह सबसे ज्यादा फुटबॉल क्लब बोरुसिया डॉर्टमुंड के लिए मशहूर है, लेकिन एक वक्त था जब यहां बहुत से कारखाने हुआ करते थे. पहले यहां कोयला उद्योग बंद हुआ, फिर स्टील इंडस्ट्री. कभी जहां कारखाने हुआ करते थे, धुंआ निकलता था, मजदूर काम करते थे, वहां आज एक खूबसूरत झील है, पर्यटक आते हैं, जिसे देख कर शहर के अतीत का अंदाजा ही नहीं लग पाता. इस बार देखिए कि किस तरह बदल रहा है पुराने औद्योगिक शहरों का स्वरूप.

स्ट्रीट आर्ट

यूरोप की सैर करते हुए कार्यक्रम के अंत में पहुंचेंगे फ्रांस. यूरोप के तीन शहर बर्लिन, पेरिस और लंदन स्ट्रीट आर्ट के लिए बेहद मशहूर हैं. बर्लिन में तो आपको हर थोड़ी दूरी में किसी ना किसी दीवार पर ग्रैफिटी बनी दिख जाएगी. 1950 के दशक में पेरिस में स्ट्रीट आर्ट का एक अनोखा चलन आया था. लोग सड़कों पर लगे पोस्टर को फाड़ कर उन्हें एक अलग ही मतलब दे देते थे. मंथन में मिलवाएंगे आपको उसी जमाने के एक स्ट्रीट आर्टिस्ट से.

इन सभी दिलचस्प रिपोर्टों के लिए देखना ना भूलें मंथन शनिवार सुबह ग्यारह बजे डीडी नेशनल पर.

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