भारत और चीन के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बढ़े हुए तनाव के बीच आज फ्रांस से खरीदे गए बहुचर्चित राफाल लड़ाकू विमान भारतीय वायु सेना में शामिल हो गए. भारत ने 56,000 करोड़ रुपयों में 36 राफाल खरीदे हैं.
विज्ञापन
पहले 10 विमानों की खेप भारत को दे दी जा चुकी है. इनमें से पांच अभी भी फ्रांस में ही हैं जहां इन पर भारतीय वायु सेना के पायलटों का प्रशिक्षण चल रहा है. भारत लाए गए बाकी पांच राफाल गुरुवार को वायु सेना में शामिल हो गए. फ्रांसीसी कंपनी दासो एविएशन द्वारा निर्मित राफाल जैसे लड़ाकू विमान पिछले दो दशकों से भी ज्यादा समय में भारत ने नहीं खरीदे थे. ये वायु सेना के 17 स्क्वाड्रन "गोल्डन एरोज" का हिस्सा बनेंगे.
वायु सेना में ताजा शामिल होने वाले विमानों को वॉटर कैनन सैल्यूट दिया जाता है. राफाल को भी अंबाला स्थित सैन्य हवाई अड्डे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और रक्षा सचिव अजय कुमार की मौजूदगी में वॉटर कैनन सैल्यूट दिया गया.
कार्यक्रम में सर्व धर्म पूजा भी हुई और तेजस, राफाल और सारंग एरोबेटिक टीम का प्रदर्शन भी हुआ. दासो के मुताबिक राफाल एयर डिफेंस, करीब से एयर सपोर्ट, गहरी स्ट्राइक, जानकारी लेना, पानी के जहाजों पर हमला और परमाणु डेटरेंस जैसी हर तरह की हवाई भूमिका निभा सकता है. ये भारतीय वायु सेना का अब तक का सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान है. जानकारों के अनुसार अभी तक यह संज्ञा एसयू-30एमकेआई को दी जाती थी.
एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा था कि राफाल भारतीय वायु सेना के लिए एक "गेम चेंजर" होगा, लेकिन कई जानकारों का कहना है कि बीते कुछ दशकों में आधुनिकीकरण की रेस में भारतीय वायु सेना काफी पिछड़ चुकी है और इस स्थिति में बड़ा सुधार लाने का काम अकेले राफाल नहीं कर पाएगा. वायु सेना के पास 42 लड़ाकू स्क्वाड्रन होने चाहिए, लेकिन हैं सिर्फ 31.
राफाल समझौता भी कई विवादों में घिरा रहा है. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कई बार आरोप लगाया है कि समझौते में भ्रष्टाचार हुआ है. उन्होंने सरकार से कई बार पूछा है कि जब यूपीए सरकार 126 राफाल खरीदना चाह रही थी तो एनडीए ने सिर्फ 36 क्यों खरीदे, और उसके बावजूद भी एक एक विमान को पहले के दाम 526 करोड़ की जगह 1670 करोड़ के दाम पर क्यों लिया? समझौते की जांच का आदेश देने की सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की गई थी, लेकिन कोर्ट ने दिसंबर 2018 में ही इस अपील को खारिज कर दिया था.
राफाल को वायु सेना में ऐसे समय में शामिल किया जा रहा है जब भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इतना तनाव है जितना पिछले 45 सालों में नहीं देखा गया. लद्दाख के कई इलाकों में दोनों सेनाओं ने भारी संख्या में अपने सैनिक और हथियार एक दूसरे के सामने तैनात कर रखे हैं. 45 सालों में पहली बार इलाके में गोलीबारी भी हुई है. कई जानकारों का मानना है कि चीनी सेना कई स्थानों पर रेखा पार कर भारत के इलाके में भी घुस आई है और कब्जा जमा लिया है, लेकिन भारत सरकार इस बात से इनकार कर रही है.
यह भारत के रक्षा इतिहास का यह सबसे बड़ा सौदा था लेकिन आठ साल तक अटका रहा. आखिर क्या खासियत है राफाल में जो इस पर इतनी मशक्कत हुई.
तस्वीर: picture-alliance/abaca
फ्रांस में राजनाथ सिंह
भारत ने 2012 में फ्रांस से 126 राफाल लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला किया. लेकिन सौदा तकनीकी मामलों में उलझकर फंस गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दखल के बाद मामला आगे बढ़ा. अक्टूबर 2019 में राजनाथ सिंह पहली डिलीवरी के लिए फ्रांस पहुंचे.
तस्वीर: AFP/G. Gobet
ऊंचे इलाकों का मशीनी परिंदा
सैन्य क्षमता के मामले में भारत अपने परंपरागत प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से बहुत आगे है. लेकिन नई दिल्ली का चीन के साथ भी सीमा विवाद है. भारत और चीन के बीच हिमालय का ऊंचा इलाका है. राफाल ऊंचे इलाकों में लड़ने में माहिर है.
तस्वीर: picture-alliance/abaca
राफाल की क्षमता
किसी चपल बाज की तरह राफाल एक मिनट में 60,000 फुट की ऊंचाई तक जा सकता है. हालांकि यूरोफाइटर टायफून इस मामले में राफाल से आगे है, लेकिन टायफून राफाल से महंगा भी है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
रफ्तार और बारीकी
भारतीय वायुसेना ने लंबे टेस्ट के बाद वित्तीय कारणों से राफाल को चुना. उड़ान भरते वक्त राफाल की उच्चतम रफ्तार 2130 किलोमीटर प्रति घंटा है. वायुसेना के मुताबिक हवा से जमीन में मार करने में राफाल टायफून से ज्यादा कारगर दिखा.
तस्वीर: picture-alliance/AP
राफाल बनाम टायफून
राफाल जहां हवा से जमीन पर मार करने में अचूक है. वहीं जबरदस्त रडार वाला यूरोफाइटर टायफून हवा से हवा में मार करने के मामले में अब तक सबसे उन्नत विमान है. एविशन क्षेत्र के जानकार दोनों विमान में 19-20 का ही फर्क करते हैं.
तस्वीर: Joel Saget/AFP/Getty Images
भरोसेमंद राफाल
जर्मनी और ब्रिटेन ने लगातार यूरोफाइटर को बेचने की कोशिशें जारी रखी हैं. घातक दांव पेंचों के मामले में नए टायफून का कोई तोड़ नहीं है. लेकिन राफाल जांचा परखा और विश्वसनीय लड़ाकू विमान है.
तस्वीर: Reuters
फ्रांस पर भरोसा
राफाल सौदे का आधार भारत और फ्रांस की दोस्ती भी है. 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद भारत पर पश्चिमी देशों ने आर्थिक प्रतिबंध लगाए. लेकिन यूरोपीय संघ और अमेरिका के निकटता के बावजूद फ्रांस ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध नहीं लगाए.
तस्वीर: Reuters
मिराज अपग्रेड
भारतीय वायुसेना राफाल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी दासो के मिराज 2000 विमान पहले से इस्तेमाल कर रही है. कारगिल युद्ध में मिराज विमानों की काफी तारीफ हुई. बाद में दासो ने मिराज को अपग्रेड करने में भी आनाकानी नहीं की.
तस्वीर: Indian Air Force
परमाणु प्रतिरक्षा में सक्षम
राफाल हथियारों के एक अत्याधुनिक पैकेज के साथ आता है जिसमें मेटोर मिसाइलें भी शामिल हैं. इन्हें दुनिया की सबसे आधुनिक मिसाइलों में गिना जाता है. ये विमान वायु रक्षा, इंटरसेप्शन, ग्राउंड सपोर्ट, अंदर जाकर हमले, पैमाइश, एंटी-शिप स्ट्राइक और परमाणु प्रतिरक्षा में सक्षम है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Yoan Valat
किससे जीता राफाल
अमेरिका भारत को एफ-16 और एफ-18, रूस मिग-35, जर्मनी और ब्रिटेन यूरोफाइटर टायफून और स्वीडन ग्रिपन विमान बेचना चाह रहे थे. लेकिन बाजी राफाल ने मारी.
तस्वीर: picture alliance / abaca
10 अरब डॉलर का सौदा
राफाल एक ट्विन-जेट एयरक्राफ्ट होता है जो हर तरह के लड़ाकू अभियान को अंजाम दे सकता है. भारत को ये लड़ाकू विमान देने की प्रक्रिया के पूरा होने में लगभग साढ़े पांच साल लगेंगे. 2012 में दासो ने भारत से 126 लड़ाकू विमानों का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था और ये सौदा लगभग 10 अरब डॉलर का था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
36 पर सहमति
बीते बीस साल में भारत का यह सबसे बड़ा लड़ाकू विमान खरीद सौदा है. इसके पहले भारत ने 1996 में रूस के साथ सुखोई विमानों के लिए बड़ी डील की थी. लेकिन फिर कीमत और विमानों की एसेंबलिंग को लेकर विवाद हो गया और दोनों पक्ष राफाल जेट्स की संख्या घटाकर 36 करने पर सहमत हुए.