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लद्दाख में सर्दियां बिताने की भारतीय सेना की तैयारी

१६ सितम्बर २०२०

भारतीय सेना लद्दाख की दुर्गम परिस्थितियों में सर्दियां बिताने की पूरी तैयारी कर रही है. यहां तापमान जमाने वाली ठंड से भी नीचे गिर सकता है और सैनिकों की तैनाती अक्सर 15,000 फीट से भी ऊपर स्थित स्थानों पर होती है.

Indien I Militär in Kawoosa
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/M. Mattoo

लद्दाख में चीनी सेना के साथ बने हुए तनाव को देखते हुए भारतीय सेना वहां की दुर्गम परिस्थितियों में सर्दियां बिताने की पूरी तैयारी कर रही है. खच्चरों से ले कर बड़े विमानों तक, सेना ने वहां मौजूद हजारों सैनिकों तक रसद पहुंचाने के लिए अपने पूरे लॉजिस्टिक्स तंत्र को सक्रिय कर दिया है. अधिकारियों ने बताया कि हाल के महीनों में जो सैन्य लॉजिस्टिक्स अभियान चला है वो देश के इतिहास में इस तरह के सबसे बड़े अभियानों में से है और इसके जरिए भारी मात्रा में गोला बारूद, उपकरण, ईंधन, सर्दियों के लिए रसद और खाने पीने का सामान लद्दाख तक पहुंचाया गया है.

इस अभियान की शुरुआत मई में हुई थी जब चीन की सेना के साथ सीमा पर गतिरोध गहराने लगा था. अभी भी दोनों देश गतिरोध का समाधान निकालने के लिए आपस में बातचीत कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई नतीजा निकला नहीं है. भारतीय सेना अब इस जोखिम भरी, ऊंचाई पर स्थित सीमा पर सर्दियों में भी तैनाती बनाए रखने की तैयारी कर रही है.

पूर्वी लद्दाख, जहां स्थिति भड़की थी, में औसतन 20,000 से 30,000 सैनिक तैनात रहते हैं. लेकिन एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि मौजूदा तनाव की वजह से तैनाती दोगनी से भी ज्यादा बढ़ा दी गई है. अधिकारी ने सही संख्या नहीं बताई. उन्होंने बस इतना कहा, "हमने उतने ही सैनिक बढ़ाए हैं जितने चीन ने." अधिकारी ने यह भी बताया कि भारतीय सेना अच्छे से तैयार है लेकिन ना वो तनाव को और बढ़ाना चाहती है और ना एक लंबा झगड़ा चाहती है. 

नवंबर 1962 की इस तस्वीर में भारत और चीन के बीच सीमा पर लड़ाई के बीच लद्दाख में तैनात भारतीय सैनिकों को देखा जा सकता है.तस्वीर: Getty Images/Three Lions/Radloff

अधिकारियों ने बताया कि लद्दाख में तापमान जमाने वाली ठंड से भी नीचे गिर सकता है और यहां सैनिकों की तैनाती अक्सर 15,000 फीट से भी ऊपर स्थित स्थानों पर होती है जहां ऑक्सीजन की कमी होती है. चूंकि लद्दाख के पहाड़ों के बीच के दर्रे हर साल करीब चार महीनों तक बर्फ से ढंक जाते हैं, भारतीय सेना के योजनकारों ने अभी से इलाके में 1,50,000 टन से भी ज्यादा सामान पहुंचा दिया है.

सेना के 14 कोर के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल अरविंद कपूर ने बताया, "हमें यहां पर जितनी भी रसद की जरूरत है उसे अभी से वहां पहुंचा दिया गया है."

मोर्चे पर रसद पहुंचाना

मंगलवार सुबह, भारतीय वायु सेना के कई बड़े यातायात विमान लद्दाख में एक अग्रणी अड्डे पर उतरे. इन विमानों में सैनिकों के साथ साथ सामान भी था. बैकपैक लिए सैनिक विमानों से निकले और एक ट्रांजिट शिविर में कोविड-19 के लक्षणों के लिए उनकी जांच हुई. सामान का कई लॉजिस्टिक्स हब्स में भंडारण किया गया है.

चूंकि लद्दाख के पहाड़ों के बीच के दर्रे हर साल करीब चार महीनों तक बर्फ से ढंक जाते हैं, भारतीय सेना के योजनकारों ने अभी से इलाके में 1,50,000 टन से भी ज्यादा सामान पहुंचा दिया है.तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustafa

लद्दाख के मुख्य शहर लेह के पास एक ईंधन, तेल और लुब्रीकेंट के डिपो में एक ढलान में हरे ड्रमों के ढेर रखे हुए थे. पास ही में एक रसद डिपो में राशन के डब्बों और बोरों का ऊंचा ढेर था. लेह के पास एक और अड्डे में टेंट, हीटर, सर्दियों के कपड़े और ऊंचाई पर काम आने वाले उपकरण सजा कर रखे हुए थे. अधिकारियों ने बताया कि इन सभी डिपो से सामान ट्रकों, हेलीकॉप्टरों और कुछ दुर्गम इलाकों में खच्चरों के जरिए लॉजिस्टिक्स बिंदुओं तक पहुंचाया जाता है.

कपूर ने बताया, "लद्दाख जैसी जगह में, ऑपरेशन्स लॉजिस्टिक्स की बहुत अहमियत है. पिछले 20 सालों में, हमने इसमें महारत हासिल कर ली है."

सीके/एए (रॉयटर्स)

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