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चीन के साथ व्यापार घाटा चिंता की बातः प्रधानमंत्री

१३ अप्रैल २०११

चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ से मुलाकात के पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारत और चीन के बीच कारोबार में असंतुलन चिंता की बात है. इस फासले को कम करने के लिए भारत को बड़े बाजारों तक पहुंच बनानी होगी.

मनमोहन सिंह और हू जिंताओतस्वीर: UNI

चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात में इस मुद्दे पर चर्चा होने के आसार हैं. भारतीय प्रधानमंत्री के साथ चीन के दौरे पर गए वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने पत्रकारों से कहा, "चीन और भारत के बीच कारोबार में असंतुलन चिंता का विषय है. अक्टूबर में प्रधानमंत्री और चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ की हनोई में मुलाकात के दौरान इस पर उच्चस्तरीय चर्चा हुई."

आनंद शर्मा ने बताया कि कारोबार में असंतुलन फिलहाल चीन के पक्ष में है. दिसंबर 2010 में दोनों देशों के बीच 55 अरब अमेरिकी डॉलर के व्यापार में असंतुलन करीब 20 अरब अमेरिकी डॉलर का रहा. 2009 तक ये असंतुलन 16 अरब अमेरिकी डॉलर का था. आनंद शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस असंतुलन को 'असहनीय' करार दिया है. भारत ने चीन से उसके बाजार में और अधिक हिस्सा मांगा है जिससे कि इस अंतर को कम किया जा सके. आनंद शर्मा ने बताया कि चीन ने भरोसा दिया है कि वो दवाइयों और सूचना तकनीक में सरकारी ठेकों के जरिए भारत को ज्यादा बाजार देगा.

तस्वीर: AP

एक सवाल के जवाब में वाणिज्य मंत्री ने कहा कि चीन समेत किसी भी देश से भारत अपने यहां निवेश का स्वागत करेगा. जब उनसे ये पूछा गया कि भारत ने चीनी निवेश को कुछ क्षेत्रों में प्रतिबंधित कर रखा है तो जवाब था कि कुछ क्षेत्र सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील हैं और उनमें निवेश पर लगाया गया प्रतिबंध सभी देशों के लिए है. चीन युआन को आपसी कारोबार में इस्तेमाल करने के लिए दबाव बना रहा है. इस पर वाणिज्य मंत्री ने कहा कि अभी ये मामला इस स्तर तक नहीं पहुंचा है जिस पर जवाब दिया जा सके. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने कहा कि ब्रिक्स देशों की बैठक में एक समझौते पर दस्तखत होने हैं जिसके बाद पांचों देश आपस में अपनी मुद्रा में उधार दे सकेंगे.

शर्मा ने कहा कि ब्रिक्स देश दुनिया की सबसे तेज गति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाएं हैं और अगले दशक में इनकी सामूहिक हिस्सेदारी दुनिया की अर्थव्यवस्था में 48 फीसदी तक पहुंच जाएगी. ब्रिक्स देशों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

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