चीन में 3 से 5 सितंबर के बीच आयोजित होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन की यात्रा पर होंगे. मोदी के इस दौरे के ठीक पहले चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने एक बयान जारी कर दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच सहयोग पर जोर दिया है. वांग ने कहा, "दो पड़ोसियों के बीच मतभेद होना स्वाभाविक बात है, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि हम इन मतभेदों और समस्याओं को सही जगह पर सही ढंग से संभालें और सभी मसलों को आपसी सम्मान और सहमति से निपटायें." उन्होंने कहा की दोनों देशों के बीच सहयोग की असीम संभावनाएं हैं.
दोनों देशों ने ब्रिक्स सम्मेलन के ठीक पहले दो महीने से चले आ रहे डोकलाम सीमा विवाद को सुलझा लिया है. यह विवाद भूटान के डोकलाम पठार में एक चीनी सड़क के निर्माण पर शुरू हुआ था, जिसके बाद दोनों देशों ने उस इलाके में अपनी अपनी सेनाएं तैनात कर दी थीं. चीन ने साफ किया है कि उसकी सेना डोकलाम में गश्त जारी रखेगी. इसे चीन में डोंगलांग के नाम से जाना जाता है. वांग ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि इस पूरे घटनाक्रम से भारत ने सबक जरूर लिया होगा."
भारत और चीन का सीमा विवाद दशकों पुराना है. तिब्बत को चीन में मिलाये जाने के बाद यह विवाद भारत और चीन का विवाद बन गया. एक नजर विवाद के अहम बिंदुओं पर.
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तकरीबन 3500 किलोमीटर की साझी सीमा को लेकर दोनों देशों ने 1962 में जंग भी लड़ी लेकिन विवादों का निपटारा ना हो सका. दुर्गम इलाका, कच्चा पक्का सर्वेक्षण और ब्रिटिश साम्राज्यवादी नक्शे ने इस विवाद को और बढ़ा दिया. दुनिया की दो आर्थिक महाशक्तियों के बीच सीमा पर तनाव उनके पड़ोसियों और दुनिया के लिए भी चिंता का कारण है.
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काराकाश नदी पर समुद्र तल से 14000-22000 फीट ऊंचाई पर मौजूद अक्साई चीन का ज्यादातर हिस्सा वीरान है. 32000 वर्ग मीटर में फैला ये इलाका पहले कारोबार का रास्ता था और इस वजह से इसकी काफी अहमियत है. भारत का कहना है कि चीन ने जम्मू कश्मीर के अक्साई चीन में उसकी 38000 किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर रखा है.
तस्वीर: Vogel/Bläseचीन दावा करता है कि मैकमोहन रेखा के जरिए भारत ने अरुणाचल प्रदेश में उसकी 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन दबा ली है. भारत इसे अपना हिस्सा बताता है. हिमालयी क्षेत्र में सीमा विवाद को निपटाने के लिए 1914 में भारत तिब्बत शिमला सम्मेलन बुलाया गया.
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ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने मैकमोहन रेखा खींची जिसने ब्रिटिश भारत और तिब्बत के बीच सीमा का बंटवारा कर दिया. चीन के प्रतिनिधि शिमला सम्मेलन में मौजूद थे लेकिन उन्होंने इस समझौते पर दस्तखत करने या उसे मान्यता देने से मना कर दिया. उनका कहना था कि तिब्बत चीनी प्रशासन के अंतर्गत है इसलिए उसे दूसरे देश के साथ समझौता करने का हक नहीं है.
तस्वीर: Imago1947 में आजादी के बाद भारत ने मैकमोहन रेखा को आधिकारिक सीमा रेखा का दर्जा दे दिया. हालांकि 1950 में तिब्बत पर चीनी नियंत्रण के बाद भारत और चीन के बीच ऐसी साझी सीमा बन गयी जिस पर कोई समझौता नहीं हुआ था. चीन मैकमोहन रेखा को गैरकानूनी, औपनिवेशिक और पारंपरिक मानता है जबकि भारत इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा का दर्जा देता है.
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भारत की आजादी के बाद 1954 में भारत और चीन के बीच तिब्बत के इलाके में व्यापार और आवाजाही के लिए समझौता हुआ. इस समझौते के बाद भारत ने समझा कि अब सीमा विवाद की कोई अहमियत नहीं है और चीन ने ऐतिहासिक स्थिति को स्वीकार कर लिया है.
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उधर चीन का कहना है कि सीमा को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ और भारत तिब्बत में चीन की सत्ता को मान्यता दे. इसके अलावा चीन का ये भी कहना था कि मैकमोहन रेखा को लेकर चीन की असहमति अब भी कायम है.
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1962 में दोनों देशों के बीच लड़ाई हुई. महीने भर चली जंग में चीन की सेना भारत के लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में घुस आयी. बाद में चीनी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर वापस लौटी. यहां भूटान की भी सीमा लगती है. सिक्किम वो आखिरी इलाका है जहां तक भारत की पहुंच है. इसके अलावा यहां के कुछ इलाकों पर भूटान का भी दावा है और भारत इस दावे का समर्थन करता है.
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मानसरोवर हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ है जिसकी यात्रा पर हर साल कुछ लोग जाते हैं. भारत चीन के रिश्तों का असर इस तीर्थयात्रा पर भी है. मौजूदा विवाद उठने के बाद चीन ने श्रद्धालुओं को वहां पूर्वी रास्ते से होकर जाने से रोक दिया था.
तस्वीर: Dieter Glogowskiभारत और चीन की ओर से बीते 40 सालों में इस विवाद को बातचीत के जरिए हल करने की कई कोशिशें हुईं. हालांकि इन कोशिशों से अब तक कुछ ख़ास हासिल नहीं हुआ. चीन कई बार ये कह चुका है कि उसने अपने 12-14 पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद बातचीत से हल कर लिए हैं और भारत के साथ भी ये मामला निबट जाएगा लेकिन 19 दौर की बातचीत के बाद भी सिर्फ उम्मीदें ही जताई जा रही हैं.
तस्वीर: DW यूं तो भारत और चीन के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्तों की पुरानी विरासत है लेकिन साल 1962 में सीमा विवाद को ही लेकर दोनों देशों के बीच युद्ध हो चुका है और तबसे दोनों देशों के संबंधों में तल्खी चली आ रही है. भारत-चीन संबंधों की कड़वाहट सिर्फ सीमा विवाद तक ही सीमित नहीं है बल्कि पाकिस्तान को लेकर चीन का रुख भी समस्या का कारण है. भारत, पाकिस्तान के साथ चीन की दोस्ती को लेकर संदेह व्यक्त करता रहा है, साथ ही हिंद महासागर में चीन की चहलकदमी भी भारत को रास नहीं आ रही है. इसी साल तिब्बती धर्म गुरू दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा को लेकर भी भारत-चीन के बीच तनाव पैदा हुआ था.
एए/आरपी (रॉयटर्स)