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चीन को घेरने के लिए मोदी-बाइडेन की "वैक्सीन कूटनीति"

१२ मार्च २०२१

"क्वाड" देशों के समूह के प्रमुखों की पहली ऐतिहासिक बैठक आज होने वाली है. भारत के लिए यह बैठक काफी अहम साबित होने वाली है, क्योंकि भारत के टीके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता की घोषणा हो सकती है.

Kombobild Modi - Biden

क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग यानी क्वाड का मकसद हिंद-प्रशांत में सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए है. आज सदस्य देशों के प्रमुखों की वर्चुअल बैठक होने वाली है. यह पहला मौका है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन पहली बार आमने-सामने होंगे, इनके अलावा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा भी शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे. हालांकि यह अभी तक साफ नहीं है कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन की एक अलग से बैठक होगी या नहीं.

वर्चुअल सम्मेलन चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक शक्ति को संतुलित करने के प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है. साथ ही कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए यह सम्मेलन एक वैक्सीन पहल पर ध्यान केंद्रित करेगा. कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है भारत इस बैठक में तीन अन्य क्वाड सदस्यों से अपनी वैक्सीन उत्पादन क्षमता में निवेश करने का आग्रह करेगा. एक सूत्र ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि भारत ऐसा चीन की वैक्सीन कूटनीति का मुकाबला करने के लिए करना चाहता है.

दरअसल  क्वाड के चार सदस्य देश क्षेत्र में बढ़ते चीन के असर को रोकने के लिए एक मंच पर साथ आए हैं और भारत इस मंच का एक अहम सदस्य है. यही वजह है इस बैठक के शुरु होने से पहले ही चीन थोड़ा घबराया हुआ है. बैठक से पहले ही चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा, "हम ऐसा उम्मीद कर रहे है कि क्वाड समूह से जुड़े देश इस बात को ध्यान में रखेंगे कि क्षेत्रीय देशों के समान हितों में खुलेपन, समावेशीकरण और लाभकारी सहयोग के सिद्धांतों को नहीं छेड़ा जाए"

नवंबर 2020 में अरब महासागर में क्वाड देशों की नौ-सेनाओं ने मलाबार युद्ध अभ्यास में शक्ति प्रदर्शन किया था.तस्वीर: AP Photo/picture alliance

वैक्सीन कूटनीति से चीन को रोकने की कोशिश

इस बैठक में कोरोना वैक्सीन का उत्पादन और वितरण अहम मुद्दा हो सकता. चीन के टीके वितरण के बढ़ते कदम को भारत ही चुनौती दे सकता है और वह टीका का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. भारत ने कोरोना वायरस के लिए बने टीके को 65 के करीब देशों को सप्लाई भी कर चुका है. अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि भारत में कोरोना वायरस के टीकों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि का समर्थन करने के लिए वित्त पोषण समझौतों की घोषणा हो सकती है.

अधिकारी ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि वित्तीय सहायता समझौता अमेरिका और जापान के बीच होगा जबकि ऑस्ट्रेलिया दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत देशों को टीके पहुंचाने के लिए लॉजिस्टिक मदद करेगा. इस पहल के तहत भारत में जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल खुराक वाली वैक्सीन बनाई जाएगी. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने उम्मीद जताई है कि वैक्सीन को लेकर क्वाड की बैठक में यह बड़ा निर्णय हो सकता है.

इसके अलावा शिखर सम्मेलन में क्षेत्रीय और वैश्विक हित के विभिन्न मुद्दों के साथ-साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, स्वतंत्र और समावेशी बनाए रखने के लिए सहयोग के व्यवहारिक क्षेत्रों का पता लगाने के बारे में भी चर्चा होगी. चीन क्वॉड को उसकी रणनीतिक घेराबंदी के तौर पर देखता आया है.

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