चीन का शीर्ष नेतृत्व हांगकांग में अपनी पकड़ को और मजबूत करना चाहता है. बंद दरवाजों के पीछे चली चार दिन की नीति बैठक के बाद यह बात कही गई है. हांगकांग बीते कई महीने से सरकार विरोधी प्रदर्शनों में घिरा है.
विज्ञापन
चीन का अर्धस्वायत्त शहर हांगकांग बीते कई महीनों से उबल रहा है. इस बीच चीन की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं. अब इस मामले में नीति तय करने के लिए हुई बैठक के बाद सत्ताधारी दल की तरफ से कहा गया है कि वहां कानून के मुताबिक "कठोर शासन" होना चाहिए और उसकी "दीर्घकालीन समृद्धि और स्थिरता की सुरक्षा अवश्य होनी चाहिए."
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की सेंट्रल कमेटी की चार दिन की बैठक के बाद यह बयान जारी किया गया है. इससे पहले करीब 370 सदस्यों की बैठक फरवरी 2018 में हुई थी जब यह तय किया गया था कि राष्ट्रपति के कार्यकाल की सीमा खत्म कर दी जाएगी. इस तरह से राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दो कार्यकाल के बाद भी देश के राष्ट्रपति बने रहने की व्यवस्था बनाई गई.
आमतौर पर सेंट्रल कमेटी साल में एक बार अपनी बैठक करती है. ऐसे में पिछली बैठक के बाद लंबे समय तक बैठक नहीं होने से इस तरह की आशंकाओं को बल मिला कि चीन के शीर्ष नेताओं में नीतियों को लेकर कुछ असहमति है. यह बैठक पार्टी कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे अहम बैठक है. पार्टी कांग्रेस की बैठक पांच साल में एक बार होती है.
ऐसा लगता है कि बैठक में कम्युनिस्ट पार्टी के देश और खुद को चलाने पर ज्यादा ध्यान दिया गया है. बैठक के बाद पार्टी की ओर से जारी बयान सरकारी शिन्हुआ समाचार एजेंसी में आया है. बयान में पार्टी के सदस्यों से कहा गया है, "घरेलू और बाहरी स्तर पर बढ़ी हुई चुनौतियों और खतरों की पृष्ठभूमि में" वे राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ खड़े हों. शी जिनपिंग को चीन में माओ त्सेतुंग के बाद सबसे ताकतवर नेता कहा जा रहा है.
आर्थिक सुधारों और सेना पर पार्टी के नियंत्रण को बढ़ाने के साथ ही बयान में हांगकांग और ताइवान की भी चर्चा की गई है. कमेटी ने हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए "कानूनी तंत्र और उन्हें लागू करने की व्यवस्था को कायम और बेहतर करने" की जरूरत पर बल दिया है.
कम्युनिस्ट चीन के 70 साल
आज जिस रूप में चीन दिखाई देता है उसकी शुरूआत अब से ठीक 70 साल पहले हुई थी. यहां देखिए इस राष्ट्र के बीते सत्तर साल के इतिहास को.
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Asfouri
राष्ट्रवादियों की हार
गृहयुद्ध में राष्ट्रवादियों की हार के बाद 1 अक्टूबर 1949 को कम्युनिस्ट पार्टी के चेयरमैन माओ त्से तुंग ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना की. राष्ट्रवादी यहां से भाग कर ताइवान के द्वीप पर चले गए और ताइपेई में अपनी सरकार का गठन किया.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
हंड्रेड फ्लावर्स अभियान
"हंड्रेड फ्लावर्स" अभियान में माओ ने बुद्धिजीवियों से कम्युनिस्ट विचारधारा के बारे में खुल कर अपनी राय देने को कहा. लेकिन फिर आलोचना करने वाले पांच लाख लोगों को लेबर कैम्पों में भेज दिया गया.
तस्वीर: Getty Images
ग्रेट लीप फॉरवर्ड
माओ ने मुख्य रूप से कृषि प्रधान रही अर्थव्यवस्था को औद्योगीकरण और सामुदायिक खेती के जरिए बदलने के लिए ग्रेट लीप फॉरवर्ड अभिययान शुरू किया. यह आर्थिक रूप से विनाशकारी साबित हुआ और 1958-61 के बीच तीन साल के लिए देश में अकाल पड़ गया जिसके नतीजे में 4.5 करोड़ लोगों की जान गई.
तस्वीर: picture-alliance/CPA Media Co. Ltd
तिब्बत का विद्रोह
1959 में चीन ने तिब्बत में चीनी शासन के खिलाफ हुए विद्रोह को दबाने के लिए सेना भेजी. तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा इसके बाद भाग कर भारत पहुंच गए. दलाई लामा आज भी भारत में रहते हैं. यह बात चीन को जब तब परेशान करती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/UPI
परमाणु बम
1964 में चीन ने परमाणु बम बना लिया. संयुक्त राष्ट्र में उस पर प्रतिबंध लगाने की बात होती रही और वह परीक्षण करता रहा जब तक कि उसने परमाणु बम बनाने लायक विशेषज्ञता हासिल नहीं कर ली.
तस्वीर: picture-alliance/CPA Media Co.
सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति
माओ ने पूंजीपतियों का प्रभाव खत्म करने के लिए 1966 में सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति की शुरुआत की ताकि समाज में बराबरी आए. हालांकि 10 साल चली इसी क्रांति के दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को भी निपटा दिया. रेड गार्ड्स के जवान इन दिनों बुर्जुआ होने के आरोप में किसी को भी निशाना बना देते थे. बहुत से बुद्धिजीवी और शिक्षाविद भी शिकार बने.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
बड़ी अशांति का दौर
सांस्कृतिक क्रांति का नतीजा देश में एक बड़ी अशांति और उथल पुथल के रूप में सामने आया. लाखों लोगों का दमन हुआ, उन्हें जेल में डाला गया या फिर उनकी हत्या हुई. आखिरकार 1969 में सेना ने फिर से व्यवस्था कायम की.
तस्वीर: picture-alliance/CPA Media
संयुक्त राष्ट्र में चीन स्थायी सदस्य बना
संयुक्त राष्ट्र में चीन के नाम पर सदस्यता ताइपेई के पास थी जिसे 1971 में बीजिंग को सौंप दिया गया. संयुक्त राष्ट्र ने पिपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को ही चीन का असली प्रतिनिधी माना.इसके साथ ही आज का चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में शामिल हो गया.
तस्वीर: Imago/ZUMA/Keystone
माओ की मौत
सितंबर 1976 में माओ की मौत हो गई. इसके अगले महीने ही "गैंग ऑफ फोर" यानी माओ की पत्नी समेत पार्टी के चार ताकतवर लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. इन लोगों ने सांस्कृतिक क्रांति की अगुवाई की थी. उन पर पार्टी विरोधी और समाजवाद विरोधी होने का आरोप लगा और उन्हें लंबी कैद की सजा हुई.
तस्वीर: AP
डेंग शियाओपिंग
इसके बाद 1978 से 1992 तक देश का शासन डेंग शियाओपिंग के हाथ में था. डेंग शियाओपिंग ने चीन में आर्थिक सुधारों की शुरुआत की और देश को विदेशी निवेश के लिए खोला. हालांकि उन्हीं के दौर में लोकतंत्र के लिए थियानमेन चौक पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर सैनिकों ने गोली चलाई जिसमें कई सौ से लेकर हजार से कुछ ज्यादा लोगों की मौत हुई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Maxppp
हांगकांग चीन को मिला
1997 में ब्रिटेन ने 99 साल की लीज खत्म होने के बाद हांगकांग चीन को लौटा दिया. इसके साथ ही यह शर्त भी रखी गई कि कारोबार और वित्तीय गतिविधियों के इस केंद्र को अगले 50 साल तक के लिए अधिकतम स्वायत्तता मिलेगी.
तस्वीर: Reuters/D. Martinez
विश्व व्यापार संगठन
दिसंबर 2001 में चीन विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बना, इसके पीछे अमेरिकी की बढ़ी भूमिका थी. हांककांग चीन के हाथों में आने से पहले ही 1995 में ही विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बन गया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AFP/H. Malla
अंतरिक्ष में कदम
चीन ने 1950 में पहले अमेरिकी और फिर सोवियत संघ के खतरों से जूझने के लिए बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम शुरू कर दिया था लेकिन इसके कई दशकों के बाद चीन ने अंतरिक्ष में कदम रखे. 2003 में चीन ने अपना पहला मानव युक्त यान अंतरिक्ष में भेजा और ऐसा करने वाला दुनिया का तीसरा देश बना.
तस्वीर: picture-alliance/Xinhua
जापान से आगे
2010 में चीन की अर्थव्यवस्था जापान को पीछे छोड़ कर अमेरिकी के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई. सस्ते उत्पादन के तौर तरीके अपना कर चीन ने खुद को दुनिया का उत्पादन का केंद्र बना लिया है. दुनिया के कोने कोने तक चीन में बना सामान पहुंच रहा है.
तस्वीर: Frederic Brown/AFP/Getty Images
बेल्ट एंड रोड एनिशिएटिव
2013 में चीन ने बेल्ट एंड रोड परियोजना शुरू की जिसका मकसद कारोबार और अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिए सड़कों, बंदरगाहों और दूसरी बुनियादी सुविधाओं का विकास करना था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/N. Han Guan
दक्षिण चीन सागर
2016 में एक अंतरराष्ट्रीय पैनल ने चीन की दक्षिण चीन सागर पर चीनी परिभाषा के खिलाफ फैसला सुनाया जिसके आधार पर चीन इस सागर के हिस्सों पर अपना दावा करता है. हालांकि चीन ने रणनीतिक रूप से अहम सागर के हिस्सों पर अपनी पहुंच का विस्तार करना जारी रखा है.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot/M. Xiaoliang
कारोबारी युद्ध
2018 में डॉनल्ड ट्रंप ने चीन के साथ कारोबारी जंग शुरू कर की है क्योंकि चीन के तकनीकी और आर्थिक रूप से सुदृढ़ होने के कारण अमेरिकी चिंता बढ़ गई. अमेरिका ने चीन से आने वाली चीजों पर शुल्क बढ़ा दिया है जिसका जवाब चीन ने भी इसी तरह के कदमों से दिया.
तस्वीर: Reuters/A. Song
एक आदमी के हाथ में सरकार
2012 में चीन के राष्ट्रपति बने शी जिनपिंग ने 2019 की फरवरी में संसद से कानून पास करवा कर सरकार में अपने शासन की 10 साल की समयसीमा को खत्म करा लिया. शी का नाम संविधान में भी जुड़ गया है और अब वो माओ के बाद चीन के सबसे ताकतवर नेता हैं.
तस्वीर: Reuters/N. Asfour
मानवाधिकार
संयुक्त राष्ट्र ने 10 लाख से ज्यादा उइगुर मुसलमान अल्पसंख्यकों को "रिएजुकेशन" कैंपों में रखने के लिए चीन की आलोचना की है. चीनी अधिकारियों का कहना है कि इन कैंपों का इस्तेमाल अलगाववादी भावनाओं और धार्मिक चरमपंथ को रोकने के लिए किया जा रहा है.
तस्वीर: AFP/G. Baker
हांगकांग में प्रदर्शन
बीते कुछ महीनों में हांगकांग प्रदर्शनों के शोर में घिरा रहा है. हांगकांग के लोगों को चीन में मुकदमा चलाने के लिए प्रत्यर्पित करने की अनुमति वाला एक बिल लाया गया. लोकतंत्र समर्थकों के भारी विरोध के बाद इस बिल को वापस ले लिया गया. हांगकांग चीन को मिलने के बाद यह उसकी सबसे बड़ी चुनौती साबित हुई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Asfouri
20 तस्वीरें1 | 20
ताइवान को चीन अपने से अलग हुए प्रांत के रूप में देखता है. कमेटी के बयान में चीन की मुख्य भूमि के साथ इस द्वीप के "शांतिपूर्ण एकीकरण" की प्रतिबद्धता दोहराई गई है. बयान में यह भी कहा गया है, "पीपुल्स आर्मी पर पार्टी का पूर्ण नेतृत्व पीपुल्स आर्मी का आधार और एक मजबूत सेना की आत्मा है." इसके साथ ही कहा गया है कि सेना को शी जिनपिंग की सोच के मुताबिक चलना चाहिए. शी सेंट्रल मिलिट्री कमिशन के भी चेयरमैन हैं.
इसके साथ ही अर्थव्यवस्था को और खोलने और आर्थिक सुधारों को लागू करने की बात भी कही गई है. हालांकि अमेरिका के साथ चल रहे मौजूदा कारोबारी जंग के बारे में इसमें कुछ नहीं कहा गया है, जबकि इसकी वजह से विकास की गति धीमी पड़ रही है.