चीन के शोधकर्ता कम से कम 20 विशाल रॉकेटों की मदद से बड़े क्षुद्रग्रहों के रास्ते को मोड़ने की योजना बना रहे हैं. अगर भविष्य में कोई बड़ा क्षुद्रग्रह धरती से टकराने वाला हो, तब यह तकनीक धरती को बचाने के काम आ सकती है.
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दरअसल यह अब मात्र कल्पना नहीं है. 2021 से लेकर 2022 की शुरुआत के बीच अमेरिका धरती के करीब आ रहे दो क्षुद्रग्रहों का रास्ता रोकने के लिए एक रोबोटिक अंतरिक्ष यान लॉन्च करने वाला है. ऐसा करने के एक साल बाद जब यह यान लौटेगा तो यह दोनों क्षुद्रग्रहों में से छोटे वाले पर गिरेगा, ताकि यह देखा जा सके कि वो उस क्षुद्रग्रह के प्रक्षेप पथ को कितना बदल पाया. यह एक खगोलीय पिंड के रास्ते को बदलने की पहली इंसानी कोशिश होगी.
चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र में शोधकर्ताओं ने पाया कि 23 'लॉन्ग मार्च 5' रॉकेट अगर एक बड़े क्षुद्रग्रह से एक साथ टकराएं तो उसे उसके मूल रास्ते से धरती के अर्धव्यास के 1.4 गुना दूरी तक मोड़ सकते हैं. उनका यह आकलन बेनु नाम के एक क्षुद्रग्रह पर आधारित है, जो सूर्य के चक्कर लगा रहा है. यह न्यू यॉर्क की एम्पायर स्टेट बिल्डिंग की ऊंचाई जितना इतना चौड़ा है.
क्षुद्रग्रह से टक्कर
इसे ऐसे पिंडों की श्रेणी में डाला गया है जो क्षेत्रीय या महाद्वीपीय नुकसान कर सकते हैं. एक किलोमीटर से ज्यादा चौड़े क्षुद्रग्रहों के वैश्विक परिणाम हो सकते हैं. चीन के अंतरिक्ष केंद्र ने ग्रहों के विज्ञान पर आधारित पत्रिका इकारस में हाल ही में छपे एक अध्ययन का हवाला दिया. बेलफास्ट में क्वींस विश्वविद्यालय के एस्ट्रोफिजिक्स शोध केंद्र के प्रोफेसर एलन फिट्जसिम्मन्स ने कहा, "लॉन्च राकेट के ऊपरी हिस्से को दिशा दिखाने वाले एक अंतरिक्ष यान के साथ रखना और एक क्षुद्रग्रह के रास्ते को मोड़ने के लिए एक विशाल 'काइनेटिक इम्पैक्टर' बना देना एक अच्छा कॉन्सेप्ट है."
फिट्जसिम्मन्स ने समझाया, "क्षुद्रग्रह से टकराने वाले पिंड के वजन को अगर बढ़ा दिया जाए, तो सरल से भौतिक विज्ञान से एक काफी बड़ा असर सुनिश्चित किया जा सकता है." हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के मिशन को असल में करने से पहले काफी विस्तार से अध्ययन कर लेना चाहिए. लंदन के इम्पीरियल कॉलेज के प्रोफेसर गारेथ कॉलिंस ने कहा कि मौजूदा अनुमानों के मुताबिक लगभग एक प्रतिशत संभावना है कि अगले 100 सालों में एक 100 मीटर चौड़ा क्षुद्रग्रह धरती से टकराएगा.
कॉलिंस ने यह भी कहा, "बेनु के आकार की कोई चीज धरती से टकराएगा इसकी संभावना करीब 10 गुना कम है." वैज्ञानिकों का कहना है कि एक क्षुद्रग्रह के रास्ते को मोड़ देने में उसे परमाणु विस्फोटकों से उड़ा देने से कम खतरा है. ऐसा इसलिए क्योंकि विस्फोट करने से हो सकता है कि उसके बस और छोटे टुकड़े हो जाएं लेकिन रास्ता बिलकुल ना बदले.
सीके/एए (रॉयटर्स)
हबल दूरबीन की नजर से ब्रह्मांड की बेहतरीन तस्वीरें
तीस साल से नासा की हबल दूरबीन ब्रह्मांड के कोने कोने की अद्भुत तस्वीरें ले रही है. अब दूरबीन में कुछ खराबी आ गई है, लेकिन जरा देख कर बताइये कि उसके द्वारा ली गई इन बेहतरीन तस्वीरों में से आपने कितनी देखी हैं.
हबल अंतरिक्ष दूरबीन 13 जून 2021 से तस्वीरें वापस भेज नहीं पाई है. कंप्यूटर की मेमरी में आई एक खराबी की वजह से वो लगभग एक हफ्ते से ठप्प पड़ी है. बैकअप मेमरी का इस्तेमाल करने की कोशिशें अभी तक नाकामयाब रही हैं और दूरबीन को "सेफ मोड" में डाल दिया गया है. तीन दशकों से भी ज्यादा से हबल दूर स्थित सितारों और तारों के समूहों की दिलचस्प तस्वीरें भेज रही है.
तस्वीर: ESA
जहां बनते हैं सितारे
ये हबल की बेहतरीन तस्वीरों में से एक है. इसमें विशालकाय नेब्युला एनजीसी 2014 और उसकी पड़ोसी नेब्युला एनजीसी 2020 को देखा जा सकता है, जो पृथ्वी की आकाशगंगा से दूर एक ऐसे बड़े इलाके का हिस्सा हैं जहां सितारे बनते हैं. ये इलाका आकाशगंगा से लगभग 1,63,000 प्रकाश वर्ष दूर है.
तस्वीर: NASA/ESA/TScI
'स्टार वॉर्स' से भी बेहतर
2015 में जैसे ही सिनेमाघरों में 'स्टार वॉर्स' की नई फिल्म लगी, हबल ने एक अंतरिक्षीय लाइटसेबर की यह तस्वीर ली. ये पृथ्वी से करीब 1,300 प्रकाश वर्ष दूर है. यह एक स्टार सिस्टम के जन्म की तस्वीर है, जिसमें एक नवजात सितारे से निकली दो अंतरिक्षीय किरणें और तारों के बीच की थोड़ी धूल है.
तस्वीर: NASA/ESA/Hubble
आकाश पर नजर
1990 से हबल दूरबीन 550 किलोमीटर की ऊंचाई पर 27,000 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा तेज रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रही है. हबल 11 मीटर लंबी है और 11 टन वजनी है, मतलब ये लगभग एक स्कूल बस के आकार की है.
तस्वीर: NASA, ESA, STScI, Zili Shen (Yale), Pieter van Dokkum (Yale), Shany Danieli (IAS)
दूरबीन को लगा चश्मा
हबल की सबसे पहली तस्वीरें बेहद बेकार थीं, क्योंकि उसके मुख्य शीशे को लगाने में कुछ गड़बड़ी हो गई थी. 1993 में स्पेस शटल एंडेवर विशेषज्ञों को हबल पर ले गई और उन्होंने दूरबीन को एक तरह के खास चश्मे लगाए. बीते सालों में हबल को पांच अपडेट दिए गए हैं, जिनमें से आखिरी 2009 में दिया गया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Nasa
अंतरिक्ष में किंडरगार्टन
हबल ने ये असाधारण तस्वीर दिसंबर 2009 में ली थी. नीले बिंदु युवा सितारे हैं, यानी जिनकी उम्र बस कुछ लाख साल है. सितारों का यह किंडरगार्टन आकाशगंगा के पास ही स्थित लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड नाम की दूसरी आकाशगंगा में है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Nasa
क्या वो एक तितली है?
हबल की इस तस्वीर में जो दिख रहा है वो क्या है ये कोई नहीं जानता. ये इस दूरबीन द्वारा ली गई 30,000 तस्वीरों में से एक है.
तस्वीर: NASA/ESA/ Hubble Heritage Team
हबल के जनक
हबल दूरबीन का नाम अमेरिकी खगोलशास्त्री एडविन पोवेल हबल के नाम पर रखा गया था. ब्रह्मांड का लगातार विस्तार हो रहा है, हबल ये पता लगाने वाले पहले व्यक्ति थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हबल की उत्तराधिकारी
हबल की कक्षा या ऑर्बिट लगातार छोटी हो रही है और ऐसी संभावना है कि दूरबीन 2024 में पृथ्वी की वायुमंडल में वापस आ कर जल जाए. लेकिन इसकी उत्तराधिकारी पहले से ही तैयार है. इसका नाम है जेम्स वेब्ब और इसे 2021 में ही लॉन्च किया जाना है. इसे पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर तैनात किया जाएगा. - जूडिथ हार्टल