चीन ने अंतरिक्ष में भेजा मानव रहित यान
१ नवम्बर २०११चीन के उत्तर पश्चिमी रेगिस्तान से शेंचू VIII अंतरिक्ष यान को भेजा गया. यह दो दिन में तियागॉन्ग 1 या स्वर्गीय हवेली नाम के परीक्षण मॉड्यूल से जुड़ेगा. यह प्रक्षेपण चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम की महत्वपूर्ण कड़ी है. चीन ऐसा स्पेस स्टेशन बनाना चाहता है जिसमें वैज्ञानिक लंबे समय तक रह सकें. अब तक यह अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर ही संभव था.
इस तकनीक में महारत हासिल कर सकना इसलिए मुश्किल है क्योंकि दो अंतरिक्ष यान एक ही कक्षा में धरती के चारों ओर घूम रहे होते हैं और वह भी 28, 0000 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से. महत्वपूर्ण है कि ये एक दूसरे से बिना टकराए घूमते रहें.
चीन ने रूसी तकनीक खरीदने के बाद वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में भेजने का कार्यक्रम 1990 में शुरू किया था. 2003 में वह रूस और अमेरिका के बाद तीसरा ऐसा देश बन गया जिसने मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजा.
सितंबर 2008 में शेंचू VII पहली बार अंतरिक्ष में भेजा गया था. 29 सितंबर को तियानगॉन्ग-1 का प्रक्षेपण किया गया. इस दौरान प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ वहां मौजूद थे, जबकि राष्ट्रपति हू जिंताओ ने इसे बीजिंग के अंतरिक्ष केंद्र से देखा.
शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया कि अगले मिशन के लिए एक पुरुष और दो महिला अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अगर इन महिलाओं को चुन लिया जाता है तो वह पहली चीनी महिलाएं होंगी जो अंतरिक्ष में जाएंगी.
मंगलवार को हुए प्रक्षेपण के दौरान यूरोपीय स्पेस एजेंसी और जर्मन एरोस्पेस सेंटर के विशेषज्ञ भी मौजूद थे. शेंचू VIII पर जर्मन और चीनी वैज्ञानिक मिल कर लाइफ साइंस और गुरुत्वाकर्षण से जुड़े प्रयोग करेंगे.
2016 से पहले चीन अंतरिक्ष प्रयोगशाला स्थापित करने का इरादा रखता है और 2020 तक लंबे समय के लिए एक अंतरिक्ष स्टेशन बनाना चाहता है.
इस मॉड्यूल में दो प्रयोगशालाएं, एक कार्गो शिप और एक व्यक्ति के साथ रॉकेट होगा. इसका कुल वजन 60 टन होगा, जबकि रूसी स्टेशन मीर का कुल वजन 137 टन है और अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन का 419 टन है. आईएसएस ने पहली बार रूस में बना मॉड्यूल 1998 में प्रक्षेपित किया था.
रिपोर्टः एएफपी, रॉयटर्स, आभा मोंढे
संपादनः ए कुमार