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चीन ने तिब्बती लेखक को पकड़ा

१९ फ़रवरी २०१२

दक्षिण पश्चिम चीन में पुलिस ने एक लोकप्रिय तिब्बती लेखक को हिरासत में ले लिया है. इस इलाके में चीन विरोधी प्रदर्शन बढ़ रहे हैं. अमेरिका से प्रसारित होने वाले एक रेडियो ने इस बात का दावा किया है.

तस्वीर: dapd

लगभग 20 सिपाहियों के पुलिस दल ने 33 साल के गांक्ये द्रुपा क्याक को शिचुआन प्रांत में उनके घर से हिरासत में ले लिया है. रेडियो फ्री एशिया ने रविवार को दावा किया कि उन्हें बुधवार को ही घर से उठाया गया क्योंकि वह बेहद लोकप्रिय हैं.

रेडियो का दावा है कि मुक्त तिब्बत के लिए आंदोलन के बीच लेखकों, गायकों और कलाकारों को खास तौर पर निशाना बनाया जा रहा है. यह कार्रवाई 2008 के बाद बढ़ गई है, जब तिब्बत के लोगों ने मुखर होकर चीन का विरोध शुरू किया. उसी साल चीन में ओलंपिक खेल हुए थे और तिब्बतियों ने कई जगहों पर उसका भी विरोध किया था. हालांकि तिब्बतियों के धार्मिक गुरु दलाई लामा कह चुके हैं कि वह स्वतंत्र तिब्बत की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि तिब्बत में स्वायत्त प्रशासन के लिए लड़ रहे हैं.

तस्वीर: AP

मार्च में दलाई लामा के भारत जाने की 52वीं सालगिरह है और इस मौके पर तिब्बतियों का प्रदर्शन बढ़ सकता है. इसी बात को ध्यान में रख कर चीनी अधिकारियों ने द्रुपा क्याक को पकड़ा है. हालांकि समाचार एजेंसी एएफपी का दावा है कि सेदा शहर में जब एक अधिकारी से इस बात की पुष्टि करने को कहा गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. जबकि इलाके की पुलिस ने रविवार को फोन का जवाब नहीं दिया.

ह्यूमन राइट्स वॉच का दावा है कि हाल में कई तिब्बतियों ने भारत का दौरा किया था, जहां उन्होंने दलाई लामा के भाषण सुने. इसके बाद उन्हें दोबारा से सिखाने पढ़ाने की तैयारी की जा रही है. न्यू यॉर्क की इस संस्था का कहना है कि भारत में छह फरवरी के आयोजन में शामिल हुए कई तिब्बतियों को तिब्बत की राजधानी ल्हासा से हिरासत में लिया गया है. ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि उनकी सही संख्या तो बताना मुश्किल है लेकिन वे सैकड़ों में हो सकते हैं.

तनाव बढ़ता देख कर चीन ने तिब्बतियों के प्रभाव वाले कई इलाकों में लगभग मार्शल लॉ जैसी स्थिति लगा दी है. शिचुआन प्रांत में पुलिस और तिब्बतियों की झड़प में पिछले महीने कम से कम दो लोगों की मौत भी हो गई थी. पिछले एक साल में कम से कम 20 तिब्बितयों ने खुद को आग लगा दी है. उनका आरोप है कि चीन उनके मामले में बहुत ज्यादा दखल दे रहा है.

चीन का आरोप है कि विदेशी ताकतें चाहती हैं कि वे तिब्बत को चीन से अलग कर दें. हालांकि मानवाधिकार संगठनों का दावा है कि खुद तिब्बत के लोग ऐसा चाहते हैं और चीन उन्हें बलपूर्वक काबू करना चाहता है.

रिपोर्टः एएफपी/ए जमाल

संपादनः मानसी गोपालकृष्णन

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