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चीन ने बढ़ाया शुल्क तो अमेरिका होगा परेशान

१८ जून २०१८

दुनिया की बड़े देशों में आजकल कारोबारी जंग छिड़ी है. अमेरिका और चीन के बीच पिछले तीन सालों में कारोबार खूब फला-फूला लेकिन टैरिफ बढ़ोत्तरी हर महीने होने वाले एक अरब डॉलर के अमेरिकी तेल कारोबार को मुश्किल में डाल सकती है.

China Containerschiff
तस्वीर: picture alliance/AP Images/CHINATOPIX

अमेरिका अपने यूरोपीय साझेदारों के अलावा चीन पर भी व्यापार शुल्क में इजाफे की बात कह चुका है. हाल में ही अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने शुल्क में ऐसी बढ़ोतरी की वकालत भी की थी. लेकिन चीन के साथ कारोबारी झगड़ा अमेरिका को महंगा पड़ सकता है. चीन ने साफ कहा है कि अगर अमेरिका टैरिफ में बढ़ोतरी करेगा तो वह भी तेल समेत तमाम अमेरिकी वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ा देगा.

निवेशकों के मुताबिक चीन के इस रुख का खामियाजा अमेरिकी तेल कंपनियों को उठाना पड़ सकता है. जानकारों के मुताबिक चीन की इस घोषणा के बाद अमेरिकी तेल कंपनियों के शेयर में गिरावट आई है. साथ ही अमेरिकी कच्चे तेल की कीमत 5 फीसदी तक गिर गईं.

जानकारों के मुताबिक दोनों देशों का "ट्रेड वार" तेल कीमतों पर बुरा प्रभाव डाल सकता है. अगर चीन अमेरिका से होने वाले तेल आयात में कटौती करता है तो इसका लाभ तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक के सदस्यों और रूस को मिल सकता है.

मौके का लाभ लेने की कोशिश में सऊदी अरब और रूस ने भी साफ किया है कि वह सप्लाई में आने वाली दिक्कतों को दूर कर अपना निर्यात बढ़ाने पर जोर देंगे. चीन की ओर से की जाने वाली अमेरिकी कटौती का लाभ ईरान को भी होगा. ईरान पहले से ही अमेरिका प्रतिबंधों को झेल रहा है.

एनर्जी सेक्टर में काम करने वाली कंपनी जेटीडी एनर्जी सर्विसेज के डायरेक्टर जॉन डिस्क्राल कहते हैं, "चीन अमेरिकी प्रतिबंधों से डरता नहीं है. अगर कोई कारोबारी या कूटनीतिक झगड़ा होता भी है तो वह अमेरिका से होने वाली आपूर्ति की जगह ईरान को दे देगा. चीन का यह संभावित कदम निश्चित ही ट्रंप को परेशान करेगा."

अमेरिका हैरान

चीन के इस आक्रामक रुख ने ट्रंप और उद्योग जगत को हैरानी में डाल दिया है. पिछले तीन सालों के दौरान अमेरिका से चीन को होने वाला तेल निर्यात तेजी से बढ़ा. अमेरिका से होने वाली इस आपूर्ति को ओपेक देशों और रूस के विकल्प के रूप में भी देखा जा रहा था. चीन के एक अधिकारी ने अपने देश के साथ अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करने की नीति का जिक्र करते हुए कहा, "हम सरकारी रुख के मुताबिक आयात बढ़ाने की तैयारी कर रहे थे. इसलिए हमें कच्चे तेल को इस सूची में देखकर हैरानी हुई."

समय से पहले ईरान से दूरी बनाने लगा है भारत

अब टैरिफ बढ़ोतरी अमेरिकी तेल को खाड़ी देशों और रूस से मिलने वाले तेल से महंगा कर सकता है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के आंकड़ों मुताबिक चीन पहुंचने वाले अमेरिकी कच्चे तेल के शिपमेंट में पिछले एक साल के दौरान बढ़ोतरी हुई है. साल 2017 में जहां यह कारोबार सिर्फ 10 करोड़ डॉलर प्रति माह का था. वहीं अब यह 1 अरब डॉलर प्रतिमाह का हो गया है.

एए/एके (रॉयटर्स)

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