दुनिया की बड़े देशों में आजकल कारोबारी जंग छिड़ी है. अमेरिका और चीन के बीच पिछले तीन सालों में कारोबार खूब फला-फूला लेकिन टैरिफ बढ़ोत्तरी हर महीने होने वाले एक अरब डॉलर के अमेरिकी तेल कारोबार को मुश्किल में डाल सकती है.
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अमेरिका अपने यूरोपीय साझेदारों के अलावा चीन पर भी व्यापार शुल्क में इजाफे की बात कह चुका है. हाल में ही अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने शुल्क में ऐसी बढ़ोतरी की वकालत भी की थी. लेकिन चीन के साथ कारोबारी झगड़ा अमेरिका को महंगा पड़ सकता है. चीन ने साफ कहा है कि अगर अमेरिका टैरिफ में बढ़ोतरी करेगा तो वह भी तेल समेत तमाम अमेरिकी वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ा देगा.
निवेशकों के मुताबिक चीन के इस रुख का खामियाजा अमेरिकी तेल कंपनियों को उठाना पड़ सकता है. जानकारों के मुताबिक चीन की इस घोषणा के बाद अमेरिकी तेल कंपनियों के शेयर में गिरावट आई है. साथ ही अमेरिकी कच्चे तेल की कीमत 5 फीसदी तक गिर गईं.
जानकारों के मुताबिक दोनों देशों का "ट्रेड वार" तेल कीमतों पर बुरा प्रभाव डाल सकता है. अगर चीन अमेरिका से होने वाले तेल आयात में कटौती करता है तो इसका लाभ तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक के सदस्यों और रूस को मिल सकता है.
मौके का लाभ लेने की कोशिश में सऊदी अरब और रूस ने भी साफ किया है कि वह सप्लाई में आने वाली दिक्कतों को दूर कर अपना निर्यात बढ़ाने पर जोर देंगे. चीन की ओर से की जाने वाली अमेरिकी कटौती का लाभ ईरान को भी होगा. ईरान पहले से ही अमेरिका प्रतिबंधों को झेल रहा है.
इन देशों के पास है सबसे बड़ा ऑयल रिजर्व
विश्व की राजनीति तेल में सनी रहती है. जिन देशों के पास तेल है, वे या दोस्त हैं या दुश्मन. अमेरिकी एनर्जी इंफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन की यह सूची इसकी झलक भी देती है.
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10. नाइजीरिया
ऑयल रिजर्व: 37.2 अरब बैरल
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09. लीबिया
ऑयल रिजर्व: 48 अरब बैरल
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08. रूस
ऑयल रिजर्व: 80 अरब बैरल
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07. संयुक्त अरब अमीरात
ऑयल रिजर्व: 97.8 अरब बैरल
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06. कुवैत
ऑयल रिजर्व: 104 अरब बैरल
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05. इराक
ऑयल रिजर्व: 141.35 अरब बैरल
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04. ईरान
ऑयल रिजर्व: 154.58 अरब बैरल
तस्वीर: imago/Xinhua
03. कनाडा
ऑयल रिजर्व: 173.1 अरब बैरल
तस्वीर: AFP/Getty Images/M. Ralston
02. सऊदी अरब
ऑयल रिजर्व: 267.9 अरब बैरल
तस्वीर: M. Naamani//AFP/Getty Images
01. वेनेजुएला
ऑयल रिजर्व: 287.6 अरब बैरल
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एनर्जी सेक्टर में काम करने वाली कंपनी जेटीडी एनर्जी सर्विसेज के डायरेक्टर जॉन डिस्क्राल कहते हैं, "चीन अमेरिकी प्रतिबंधों से डरता नहीं है. अगर कोई कारोबारी या कूटनीतिक झगड़ा होता भी है तो वह अमेरिका से होने वाली आपूर्ति की जगह ईरान को दे देगा. चीन का यह संभावित कदम निश्चित ही ट्रंप को परेशान करेगा."
अमेरिका हैरान
चीन के इस आक्रामक रुख ने ट्रंप और उद्योग जगत को हैरानी में डाल दिया है. पिछले तीन सालों के दौरान अमेरिका से चीन को होने वाला तेल निर्यात तेजी से बढ़ा. अमेरिका से होने वाली इस आपूर्ति को ओपेक देशों और रूस के विकल्प के रूप में भी देखा जा रहा था. चीन के एक अधिकारी ने अपने देश के साथ अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करने की नीति का जिक्र करते हुए कहा, "हम सरकारी रुख के मुताबिक आयात बढ़ाने की तैयारी कर रहे थे. इसलिए हमें कच्चे तेल को इस सूची में देखकर हैरानी हुई."
अब टैरिफ बढ़ोतरी अमेरिकी तेल को खाड़ी देशों और रूस से मिलने वाले तेल से महंगा कर सकता है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के आंकड़ों मुताबिक चीन पहुंचने वाले अमेरिकी कच्चे तेल के शिपमेंट में पिछले एक साल के दौरान बढ़ोतरी हुई है. साल 2017 में जहां यह कारोबार सिर्फ 10 करोड़ डॉलर प्रति माह का था. वहीं अब यह 1 अरब डॉलर प्रतिमाह का हो गया है.
कच्चे तेल से क्या क्या मिलता है
कच्चे तेल से सिर्फ पेट्रोल या डीजल ही नहीं मिलता है, इससे हर दिन इस्तेमाल होने वाली ढेरों चीजें मिलती हैं. एक नजर कच्चे तेल से मिलने वाले अहम उत्पादों पर.
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ब्यूटेन और प्रोपेन
कच्चे तेल के शोधन के पहले चरण में ब्यूटेन और प्रोपेन नाम की प्राकृतिक गैसें मिलती हैं. बेहद ज्वलनशील इन गैसों का इस्तेमाल कुकिंग और ट्रांसपोर्ट में होता है. प्रोपेन को अत्यधिक दवाब में ब्युटेन के साथ कंप्रेस कर एलपीजी (लिक्विड पेट्रोलियम गैस) के रूप में स्टोर किया जाता है. ब्यूटेन को रेफ्रिजरेशन के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.
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तरल ईंधन
प्रोपेन अलग करने के बाद कच्चे तेल से पेट्रोल, कैरोसिन, डीजल जैसे तरल ईंधन निकाले जाते हैं. सबसे शुद्ध फॉर्म पेट्रोल है. फिर कैरोसिन आता है और अंत में डीजल. हवाई जहाज के लिए ईंधन कैरोसिन को बहुत ज्यादा रिफाइन कर बनाया जाता है. इसमें कॉर्बन के ज्यादा अणु मिलाए जाते हैं. जेट फ्यूल माइनस 50 या 60 डिग्री की ठंड में ही नहीं जमता है.
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नैफ्था
पेट्रोल, कैरोसिन और डीजल बनाने की प्रक्रिया में जो अपशेष मिलता है, उससे बेहद ज्वलनशील तरल नैफ्था भी बनाया जाता है. नैफ्था का इस्तेमाल पॉकेट लाइटरों में किया जाता है. उद्योगों में नैफ्था का इस्तेमाल स्टीम क्रैकिंग के लिए किया जाता है. नैफ्था सॉल्ट का इस्तेमाल कीड़ों से बचाव के लिए किया जाता है.
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नैपाम
कच्चे तेल से मिलने वाला नैपाम विस्फोटक का काम करता है. आग को बहुत दूर भेजना हो तो नैपाम का ही इस्तेमाल किया जाता है. यह धीमे लेकिन लगातार जलता है. पेट्रोल या कैरोसिन के जरिए ऐसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे बहुत जल्दी जलते हैं और तेल से वाष्पीकृत भी होते हैं.
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मोटर ऑयल
गैस और तरल ईंधन निकालने के बाद कच्चे तेल से इंजिन ऑयल या मोटर ऑयल मिलता है. बेहद चिकनाहट वाला यह तरल मोटर के पार्ट्स के बीच घर्षण कम करता है और पुर्जों को लंबे समय तक सुरक्षित रखता है.
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ग्रीस
मोटर ऑयल निकालने के साथ ही तेल से काफी फैट निकलता है. इसे ऑयल फैट या ग्रीस कहते हैं. लगातार घर्षण का सामना करने वाले पुर्जों को नमी से बचाने के लिए ग्रीस का इस्तेमाल होता है.
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पेट्रोलियम जेली
आम घरों में त्वचा के लिए इस्तेमाल होने वाला वैसलीन भी कच्चे तेल से ही निकलता है. ऑयल फैट को काफी परिष्कृत करने पर गंधहीन और स्वादहीन जेली मिलती है, जिसे कॉस्मेटिक्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
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मोम
ऑयल रिफाइनरी में मोम का उत्पादन भी होता है. यह भी कच्चे तेल का बायप्रोडक्ट है. वैज्ञानिक भाषा में रिफाइनरी से निकले मोम को पेट्रोलियम वैक्स कहा जाता है. पहले मोम बनाने के लिए पशु या वनस्पति वसा का इस्तेमाल किया जाता था.
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चारकोल
असफाल्ट, चारकोल, कोलतार या डामर कहा जाने वाला यह प्रोडक्ट भी कच्चे तेल से मिलता है. हालांकि दुनिया में कुछ जगहों पर चारकोल प्राकृतिक रूप से भी मिलता है. इसका इस्तेमाल सड़कें बनाने या छत को ढकने वाली वॉटरप्रूफ पट्टियां बनाने में होता है.
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प्लास्टिक
कच्चे तेल का इस्तेमाल प्लास्टिक बनाने के लिए भी किया जाता है. दुनिया भर में मिलने वाला ज्यादातर प्लास्टिक कच्चे तेल से ही निकाला जाता है. वनस्पति तेल से भी प्लास्टिक बनाया जाता है लेकिन पेट्रोलियम की तुलना में महंगा पड़ता है.