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विज्ञानविश्व

चीन ने लॉन्च किया "मिशन मंगल

२३ जुलाई २०२०

चीन ने मंगल ग्रह की ओर अपना पहला रॉकेट लॉन्च किया है. तियानवेन-1 नाम से मिशन को गुरुवार को सफलतापूर्वक रवाना किया गया. इसके साथ ही चीन मंगल पर अपना रोवर भेजने वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है.

China Raketen-Start Tianwen-1-Mission zum Mars
तस्वीर: Reuters/C.G. Rawlins

चीन की अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने गुरुवार दोपहर को मंगल पर अपने पहले स्वतंत्र मिशन तियानवेन-1 के सफल प्रक्षेपण की पुष्टि की है. समाचार एजेंसी शिंहुआ के अनुसार दक्षिण चीन के हैनान प्रांत की वेनचांग स्पेस लॉन्च साइट से मार्च 5 नाम के रॉकेट को लॉन्च किया गया. चीनी मीडिया कंपनी douyu.com ने इस लॉन्च का लाइव स्ट्रीम यूट्यूब पर शेयर किया. चीनी शब्द तियानवेन का मतलब है "जन्नत के सवाल". तियानवेन-1 में ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर एक साथ हैं, जिनका मकसद मंगल के वातावरण को समझना और वहां जीवन के संकेतों की खोज करना है. इस अंतरिक्ष यान को मंगल पर पहुंचने में लगभग सात महीने का वक्त लगेगा.

तस्वीर: Getty Images/AFP

लैंडिंग की कोशिश से पहले यह दो से तीन महीने लाल ग्रह की परिक्रमा करेगा और अगर सब कुछ योजना के अनुसार चला, तो लैंडर अप्रैल 2021 में रोवर को मंगल की सतह पर उतारेगा. अगर चीन इस प्रयास में सफल रहा, तो वह अमेरिका और सोवियत संघ के बाद मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला तीसरा देश बन जाएगा. अब तक और किसी भी देश ने अपने मंगल मिशन के तहत रोवर को मंगल की सतह पर उतरने का प्रयास नहीं किया है. यह एक जोखिम भरा प्रयास है जिसमें सफलता दर लगभग 50 प्रतिशत की है.

ऑस्ट्रेलिया के अंतरिक्ष विश्लेषक मॉरिस जोन्स ने समाचार एजेंसी डीपीए को बताया कि चीन का यह मार्स मिशन अंतरिक्ष के सबसे कठिन अभियानों में से एक है, "सबसे ज्यादा मुश्किल होगी आखिरी हिस्से में जब लैंड करना होगा. मंगल का वातावरण बहुत ही पतला है. इसका मतलब है कि पैराशूट लैंडर को पूरी तरह ब्रेक लगाने में मदद नहीं दे पाएंगे."

तस्वीर: Reutersw/C.G. Rawlins

फिलहाल चीन अकेला देश नहीं है जो मंगल तक पहुंचने की कोशिश में लगा है. संयुक्त अरब अमीरात ने कुछ ही दिन पहले अपना स्वतंत्र मार्स ऑर्बिटर लॉन्च किया है, जो मंगल ग्रह की कक्षा में रह कर उसकी परिक्रमा करेगा. वहीं अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा अगले हफ्ते अपना "परजीवियरेंस" रोवर लॉन्च करने की तैयारी में है. जोन्स का कहना है कि चीन के तियानवेन-1 मिशन को नासा से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना होगा, "देखना होगा कि इन दोनों में से कौनसा रोवर अंतरिक्ष में खोज के लिए विकसित किया गया दुनिया का सबसे बेहतरीन रोबोट है."

जर्मनी में म्यूनिख स्थित स्पेस फर्म स्पेस टेक कैपिटल पार्टनर्स के नॉबर्ट फ्रिशआउफ के अनुसार ऐसा नहीं है कि चीन फौरन ही पश्चिमी स्पेस इंडस्ट्री को पीछे छोड़ देगा. नासा के अलावा पश्चिम में लॉकहीड मार्टिन और एयरबस जैसी निजी कंपनियां भी अंतरिक्ष रिसर्च में निवेश कर रही हैं. उन्होंने कहा कि चीन की "सैटेलाइट इंडस्ट्री अभी भी पश्चिम से आठ साल पीछे है". 2002 में अमेरिकी अरबपति ईलॉन मस्क ने मंगल पर मानवयुक्त मिशन भेजने के इरादे से निजी एयरोस्पेस कंपनी स्पेसएक्स की स्थापना की थी. चीन इससे पहले 2011 में एक रूसी रॉकेट से मंगल ग्रह पर ऑर्बिटर लॉन्च की विफल कोशिश कर चुका है.

आईबी/सीके (डीपीए, एपी)

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