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चीन पर चढ़ा फुटबॉल का चस्का

३ अगस्त २०११

सिर्फ एक बार वर्ल्ड कप खेलने वाली दुनिया की 73वें नंबर की फुटबॉल टीम ने आमूल चूल परिवर्तन का फैसला किया. चीन के फुटबॉल क्लब महंगे खिलाड़ी ले रहे हैं, बड़े यूरोपीय क्लबों से समझौता कर रहा है और फुटबॉल पर छा जाना चाहता है.

तस्वीर: dapd

चीन के नए रईस खेलों में पैसे उंडेल देने को बेताब हैं और खेल की संभावनाओं को देखते हुए यूरोपीय फुटबॉल क्लब सहसा पूर्व की ओर खिंच रहे हैं. स्पेन की रियाल मैड्रिड ने चीन के ग्वांगझू एवरग्रांड के साथ खिलाड़ियों की अदला बदली का समझौता किया है, जबकि रियाल की मदद से ही चीन की सबसे बड़ी फुटबॉल अकादमी भी तैयार हो रही है. चीन की ग्वांगझू ने ही अर्जेंटीना के बड़े नाम डारियो कोन्का को एक करोड़ डॉलर में खरीद लिया है. अगले साल से अर्जेंटाइन खिलाड़ी चीनी फुटबॉल लीग में खेलते नजर आएंगे.

ग्वांगझू एवरग्रांड इस साल चीनी लीग मुकाबले में सबसे ऊपर चल रही है और अब तक हुए 17 मैचों में एक में भी नहीं हारी है. क्लब दक्षिण कोरिया के पार्क जी सुंग से भी बातचीत कर रही है, जो इस वक्त इंग्लैंड के मशहूर मैनचेस्टर यूनाइटेड में खेल रहे हैं. वैसे चीन में दौलत की तरह फुटबॉल भी हाल में ही आया है लेकिन चीनी जनता के बीच यूरोपीय फुटबॉल सितारे बेहद लोकप्रिय हो चले हैं और वहां क्लब फुटबॉल का कल्चर बड़ी तेजी से बढ़ रहा है.

तस्वीर: AP

फुटबॉल का चस्का

टेबल टेनिस, बैडमिंटन, जिम्नास्टिक्स और हाल के दिनों में बास्केटबॉल की दीवानी चीन की जनता दरअसल अब किसी भी खेल में पीछे नहीं रहना चाहती. पिछले ओलंपिक में चीन के खिलाड़ियों ने अपना दबदबा दिखा दिया है. लेकिन दुनिया के सबसे मशहूर खेल फुटबॉल में चीन का ज्यादा दखल नहीं है और वह दुनिया की 73वीं नंबर की टीम है. वर्ल्ड कप में भी उसे अब तक सिर्फ एक ही बार 2002 में मौका मिला पाया है, जबकि उसके पड़ोसी देशों जापान और दक्षिण कोरिया ने कई बार वर्ल्ड कप खेला है और दक्षिण कोरिया तो एक बार सेमीफाइनल तक पहुंच चुका है.

हाल के सालों में अर्थव्यवस्था से लेकर तकनीक तक में पूरी दुनिया के समीकरण उलट पलट कर देने वाला चीन अब खेल में भी बादशाहत कायम करना चाहता है और फुटबॉल में बड़ी टीम बने बिना यह संभव नहीं है. ग्वांगझू की टीम एवरग्रांड रियल एस्टेट का हिस्सा है और इसके मालिक झू जियाइन चीन के नए नए रईस बने हैं.

चीन के अब्राहमोविच

डालियान वांडा रियल एस्टेट के वांग जियानलिन को "चीन का अब्राहमोविच" कहा जाने लगा है. रूस के रोमान अब्राहमोविच को फुटबॉल जगत की कद्दावर हस्ती के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने इंग्लैंड की प्रतिष्ठित चेल्सी टीम को खरीद लिया है.

तस्वीर: AP

वांग ने पिछले साल चीन के फुटबॉल में लगभग आठ करोड़ डॉलर लगाने का एलान किया है. चीन की मीडिया का कहना है कि इससे चीन के फुटबॉल में बड़ा बदलाव आएगा. हालांकि वांग खुद को अब्राहमोविच नहीं मानते, "मैं कोई रक्षक नहीं हूं. मैं सिर्फ एक कारोबारी हूं, जिसे फुटबॉल को लेकर बेहद लगाव है और जो खेल के लिए कुछ करना चाहता है."

हालांकि वांग ने कुछ दिनों पहले कह चुके हैं कि फुटबॉल में भ्रष्टाचार की वजह से वह इसमें दिलचस्पी नहीं लेना चाहते. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अब इसमें पैसे उंडेले हैं. समझा जाता है कि उनका हृदय परिवर्तन यूं ही नहीं हुआ है, बल्कि इसका लेना देना कहीं न कहीं झी जिनपिंग से है, जो चीनी कम्युनिस्ट प्रशासन में बहुत ऊंचे कद के हैं और जिनका वांग से अच्छा रिश्ता है. समझा जाता है कि झी अगले साल देश के राष्ट्रपति बन सकते हैं और वह फुटबॉल के बड़े फैन हैं. चीन में फुटबॉल में इस कदर भ्रष्टाचार फैला है कि चीनी फुटबॉल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नान योंग के घर पर छापेमारी के दौरान बहुत सी संपत्ति जब्त की गई और नान ने भी माना कि उन्होंने यह सब रिश्वत के तौर पर लिया था.

सबसे बड़ी अकादमी

रियाल मैड्रिड की मदद से ग्वांगझो में चीन की सबसे बड़ी फुटबॉल अकादमी बन रही है, जहां एक साथ 10,000 बच्चों को ट्रेनिंग मिल सकेगी. रियाल के प्रेसिडेंट फ्लोरेंटिनो पेरेज भी चीन में हैं और उनका कहना है, "हम लोग साथ मिल कर चीन में एक फुटबॉल अकादमी बना रहे हैं और मैं समझता हूं कि आपसी सहयोग का यह पहला कदम है."

तस्वीर: AP

यूरोप की कद्दावर टीमों को चीन की बाजार क्षमता के बारे में पता है. इसलिए यूरोप में सीजन शुरू होने से पहले उन्होंने अपनी टीमों को वहां दोस्ताना मैच खेलने के लिए भेजा है, ताकि आपसी संपर्क बन सके. रियाल खुद दो दोस्ताना मैच खेल रहा है.

हालांकि चीन के पूर्व राष्ट्रीय कोच अरी हान का कहना है कि सिर्फ पैसे झोंक देने से बदलाव नहीं होगा, बल्कि इसके लिए वक्त चाहिए. नीदरलैंड्स के हान का कहना है, "मुझे लगता है कि कुछ सालों बाद ही परिणाम दिखेंगे. बहुत वक्त लगेगा."

रिपोर्टः एजेंसियां/अनवर जे अशरफ

संपादनः महेश झा

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