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चीन पाक की वजह से हथियारों का जखीराः सिपरी

१५ मार्च २०११

भारत एशिया में अपनी राजनीतिक और आर्थिक धाक जमाने की कोशिश में है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भी वह दावेदारी कर रहा है. उसके हथियारों का जखीरा भी बढ़ रहा है जिसकी वजह पाकिस्तान और चीन हैं.

तस्वीर: AP

सोमवार को स्टॉकहोम के इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (सिपरी) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने फिर दुनिया भर में हथियारों के सबसे बड़े खरीददार का अपना रुतबा हासिल कर लिया है. भारत एशिया और मध्यपूर्व में हथियारों की खरीद के मामले में चीन, सउदी अरब, पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया, इस्राएल, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों से कहीं आगे है.

सिपरी के सीनियर फेलो सीमन वेजमन कहते हैं कि 2006-2010 के बीच दुनिया के नौ फीसदी हथियार भारत के हिस्से गए. इनमें से 82 फीसदी हथियार भारत ने अपने पारंपरिक सहयोगी रूस से खरीदे. वैसे दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाले सबसे बड़े चार देश एशिया में ही हैं. इनमें भारत (नौ प्रतिशत), चीन (छह प्रतिशत), दक्षिण कोरिया (छह प्रतिशत) और पाकिस्तान (पांच प्रतिशत) शामिल हैं. सिपरी की रिपोर्ट कहती हैं कि ये देश आगे भी पारंपरिक हथियारों और खास तौर से लड़ाकू विमानों और नौसैनिक प्रणालियों का आयात जारी रखेंगे.

तस्वीर: AP

चीन पाकिस्तान वजह

भारत में हथियारों की खरीद की सबसे बड़ी वजह पाकिस्तान और चीन से तरफ से पैदा होने वाली चुनौती बताया जाता है. वेजमन कहते हैं, "26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आंतकवादी हमलों के तार पाकिस्तान से जुड़ने से भी यह बात और पुख्ता हो गई है कि वह वाकई एक खतरा है." दूसरी तरफ भारत चीन को भी एक चुनौती के रूप में देखता है. साथ ही एशिया में प्रभुत्व और दुनिया में बड़ी ताकत बनने की महत्वकांक्षा भी हथियारों की खरीद की वजह है. वेजमन कहते हैं, "इस तरह की महत्वकांक्षा को परवान चढ़ाने के लिए आपको खुद को सैन्य ताकत के रूप में पेश करना होता है."

संयुक्त राष्ट्र में दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील, दोनों ही भारत और जर्मनी के साथ मिल कर सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट हासिल करने के लिए सघन मुहिम चला रहे हैं. भारत की आबादी 1.2 अरब है और उसका सालाना रक्षा बजट 20-25 अरब डॉलर है. इसमें से 9.2 अरब डॉलर थल सेना के लिए है, 5.6 अरब डॉलर वायुसेना को जाते हैं और 3.4 अरब डॉलर नौसेना के हिस्से आते हैं.

सुपरपावर अमेरिका

वहीं चीन का सालाना सैन्य बजट 90 अरब डॉलर के आसपास है. यह आंकड़ा सरकारी अनुमानों पर आधारित है जबकि अनाधिकारिक आंकड़े इसके कहीं ज्यादा हो सकते हैं. इस सबसे ऊपर अमेरिका अपनी सेना पर हर साल लगभग 660 अरब डॉलर का खर्चा करता है.

वेजमन कहते हैं कि भारत में लोग यह भी मानते हैं कि भारतीय सेना का आधुनिकरण किया जाना बेहद जरूरी है. पुराने हथियारों की जगह जल्द अत्याधुनिक हथियार लाने होंगे ताकि इससे भारतीय सेना की क्षमता पर कोई असर न पड़े. तभी भारत सही तरह से चीन और पाकिस्तान की ताकत के साथ संतुलन बिठा सकता है. लेकिन भारत की लाल फीताशाही अकसर इस आधुनिकरण में बाधा बनती है.

रिपोर्टः आईपीएस/ए कुमार

संपादनः वी कुमार

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