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चीन बनेगा दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था

२१ जनवरी २०१०

वर्ष 2009 की अंतिम तिमाही में चीन की आर्थिक विकास दर 10.7 प्रतिशत रही है. इस तरह वह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है. चीन के मुताबिक़ वह आर्थिक संकट से उबर गया है.

तस्वीर: picture-alliance/ dpa

जापान पिछले चालीस साल से अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ था लेकिन अब चीन नंबर दो के रुतबे पर आने वाला है. हांगकांग में रॉयल बैंक ऑफ़ कनाडा के वरिष्ठ अधिकारी ब्रायन जैक्सन कहते हैं कि हो सकता है कि चीन पिछले साल ही जापान से आगे निकल गया हो. अगर नहीं, तो इस साल ज़रूर आगे चला जाएगा. पिछले साल चीन की अर्थव्यवस्था 8.7 फ़ीसदी की दर से बढ़ी. बहुत संभव है कि चीन जापान को शीघ्र ही पीछे छोड़ दे.

लेकिन ऐसे भी कुछ तथ्य हैं जो इशारा करते हैं कि चीन की अर्थव्यवस्था सच में उतनी आगे नहीं बढ़ी है. एक तथ्य यह है कि चीन के बढ़े हुए सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ी हुई महंगाई का ध्यान नहीं रखा गया है. डॉलर की तुलना में चीनी मुद्रा युआन की विनिमय दर का भी नहीं. अगर इन दोनों तथ्यों की नज़र से चीनी अर्थव्यवस्था को देखा जाए तो वह आगे नहीं गई है. दूसरी एक महत्वपूर्ण बात यह है कि जापान की अर्थव्यवस्था पिछले साल काफ़ी सिकुड़ी है. जापान यदि पुरानी गति से आगे चल रहा होता तो चीन उससे आगे नहीं जा पाता.

जानकारों का यह भी कहना है कि डॉलर की तुलना में जापानी और चीनी मुद्रा की विनिमय दर बहुत अस्थिर हो रही है जिससे स्थिति जटिल हो गई है. अन्य जानकारों का मानना है कि 2020 तक चीन अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी पीछे छोड़ देगा और 2030 तक भारत तीसरे नंबर की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. तब जापान चौथे नंबर पर आ जाएगा.

उधर चीन का सकल घरेलू उत्पाद बढ़ने के साथ ही वहां महंगाई भी बहुत ज़्यादा बढ़ी है इतनी कि विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वहां आर्थिक संकट की चेतावनी दी है. तब भी आर्थिक मामलों के जानकार चीन के आर्थिक ताकत बन जाने की बात मानते हैं. चीनी अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता बाज़ार के माथे पर भी दिखाई दी और इस कारण पिछले साल तेल की क़ीमतों में भारी गिरावट देखी गई.

वहीं यूरो, डॉलर की तुलना में काफ़ी नीचे गिर गया है. इसी चिंता का असर भारत के बाज़ारों में भी देखा गया. मुंबई स्टॉक एक्सचेंज का साल 423 अंकों की बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ. भारत में चिंता है कि दो अंकों वाली बढ़त के बाद चीन अपनी मौद्रिक नीति को और कड़ा कर सकता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे

संपादनः राम यादव

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