चीन में कई वेबसाइटों पर प्रतिबंध
३ जून २००९
विश्व पत्रकार संघ रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने चीन सरकार के इस कदम का विरोध किया है. उसका कहना है कि ऐसा लगता है कि तियाननमेन स्कवायर के मुद्दे पर पर बातचीत बंद करवाने के लिए चीन की सरकार कोई भी कसर नहीं छोड़ेगी. इस तरह वेबसाइटों पर रोक लगा देने से चीन में लाखों लोग इस विषय पर अपने विचार खुलकर नहीं बता पाएंगे.
इस बीच अमेरिकी सरकार के प्रवक्ता रॉबर्ट वुड्स का कहना है कि अमेरिका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ज़ोर देती है लेकिन बुधवार तक ही चीन को लेकर अपने बयान सामने रखेगी, चीन के साथ संबंधों में मानवाधिकार भी एक बहुत बड़ा मुद्दा है. फ्लिकर के प्रतिबंध को लेकर याहू का कोई बयान नहीं आया है.
गूगल की विडियो शेयरिंग वेबसाइट यूट्यूब को चीन सरकार ने मार्च महीने से रोका हुआ है. चीन के विदेशी पत्रकार क्लब ने कहा है कि कम से कम तीन ऐसी मिसालें हैं जब चीनी अधिकारियों ने रिपोर्टरों को तियाननमेन चौक पर जाने से रोका और धमकाया.
बीस साल पहले 1989 में पेइचिंग में लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए हज़ारों छात्र तियाननमेन स्कवायर में प्रदर्शन कर रहे थे. आर्थिक विकास और राजनीतिक स्थिरता के नाम पर उस समय की सरकार ने प्रदर्शनों पर क़ाबू पाने के लिए टैंकों का सहारा लिया और छात्रों पर गोलीबारी की.
इन विरोध प्रदर्शनों में मारे गए लोगों की संख्या के बारे में परस्पर विरोधी रिपोर्टें हैं लेकिन चीन सरकार मृतकों का आंकड़ा 241 बताती है. चीन में तब से लेकर अब तक इस घटना पर किसी भी तरह की बातचीत या बहस नहीं की जा सकती. तियाननमेन हत्याकाण्ड की बीसवीं सालगिरह पर चीन में कोई प्रदर्शन आयोजित करने की अनुमति नहीं है लेकिन ज़ाहिर है लोग अपनी तरह से इसे याद करेंगे.
रिपोर्ट- एजेंसियां, एम गोपालकृष्णन
संपादन - एस गौड़