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१३ दिसम्बर २०१८अब कीड़े वाले खाने के लिए हो जाएं तैयार
अब कीड़े वाले खाने के लिए हो जाएं तैयार
दुनिया का खाद्य उद्योग अब पर्यावरण पर दबाव डालने लगा है. बढ़ती आबादी के चलते अब सब के लिए भोजन जुटाना आसान नहीं है. ऐसे में वैज्ञानिकों और उद्योग जगत की नजर ऐसे कीड़े-मकौड़ों पर जा टिकी है जिन्हें खाया जा सकता है.
कीट युक्त भोजन
दुनिया की आबादी लगातार बढ़ रही है जिसके चलते अब कृषि योग्य भूमि कम होती जा रही है. पिछले 40 सालों में दुनिया की तकरीबन एक तिहाई कृषि भूमि समाप्त हो गई है. वहीं पर्यावरण का असर मांस उत्पादन पर भी पड़ा है. ऐसे में कई लोगों का मानना है कि भविष्य में कीट युक्त भोजन ही एक बेहतर विकल्प होगा. मसलन जापान में अंड़े के साथ खाए जा रहे इस टिड्डे को एक अच्छा विकल्प माना जा सकता है.
कांगो में झींगा और इल्ली
इंसान प्रागैतिहासिक काल से कीट खा रहा है और आज भी यह सिलसिला जारी है. दुनिया में आज भी कुछ खास संस्कृतियां इनका इस्तेमाल किसी न किसी तरीके से करती हैं. कांगों में एक व्यक्ति जैतून के तेल में पकी इस भुनी हुई इल्ली को खा रहा है. यह खाना सस्ता है, साथ ही प्रोटीन का बहुत बड़ा खजाना है.
धीरे-धीरे लोकप्रिय
कीट युक्त भोजन दुनिया के कई देशों में खाया जाता है. लेकिन यूरोप और उत्तरी अमेरिका के क्षेत्रों में कीटों को इस तरह खाना आम नहीं है. हालांकि अब पर्यावरणविदों से मिलने वाले प्रोत्साहन के चलते इनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ है. इस तस्वीर में सिडनी का एक बावर्ची ऐसी ही एक डिश को दिखा रहा है.
लाभ कितना?
लेकिन इस तरह कीटों की खेती करने का लाभ क्या है? अगर पशुपालन युक्त खेती को देखें, तो उसके मुकाबले कीटों की खेती में कम भूमि और पानी का इस्तेमाल होता है. साथ ही ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन भी इसमें कम होता है. इसके अलावा कीटों को बहुत कम भोजन की आवश्यकता होती है और इन्हें जानवरों और मछलियों के लिए भोजन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
तेल का विकल्प
इंडोनेशिया का एक स्टार्टअप बाइटबैक ऐसे ही कीटों वाले पौष्टिक आहार के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहा है ताकि तारपीन के तेल का इस्तेमाल कम किया जा सके. इंडोनेशिया और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में इस तेल को तैयार करने के तरीके को पर्यावरण के अनुकूल नहीं माना जाता है, जिसके चलते लंबे समय से इसकी आलोचना हो रही थी. बाइटबैक के संस्थापकों का जोर कीड़े वाले ऐसे पौष्टिक खाने पर है, जो प्रोटीन युक्त हो.
कीड़े वाली लॉलीपॉप
दुनिया भर में मांस की मांग साल 2050 तक 75 फीसदी बढ़ सकती है. इतनी बड़ी मात्रा में उत्पादन के लिए जरूरी कृषि भूमि और पशुओं आवश्यकता होगी. साथ ही प्रोटीन के अच्छे विकल्पों की तलाश तेज करनी होगी. एंटोमौफैजी को लेकर आश्वस्त लोग पाक कला में कीटों पर विश्वास जताते हैं. मानव द्वारा कीटों का भोजन के रूप में इस्तेमाल एंटोमौफैजी कहलाता है. तस्वीर में कीटों से बनी लॉलीपॉप को दिखाया गया है.
आसान नहीं अपनाना
कीटों से बना भोजन भविष्य की खाद्य जरूरतों को पूरा करने में सहायक हो सकता है लेकिन अब भी इस क्षेत्र में विकास की आवश्यकता है. स्वयं को ऐसे खाने के लिए तैयार करना आसान नहीं है. तस्वीर में नजर आ रहा भुनी हुई मधुमक्खियों से बना केक बर्लिन के पर्यावरण मेले मे खाया गया था. लेकिन दुनिया को अधिक व्यावहारिक कीट वाले भोजन के इस्तेमाल पर गौर करना चाहिए. (आर्थर सुलिवान/एए)