दुनिया भर में चलने वाले मेगा प्रोजेक्ट्स में कई देश मिलकर काम करते हैं.चीन में जब मुख्यभूमि को हांगकांग एयरपोर्ट को जोड़ने की योजना बनी तो एक जर्मनी कंपनी ने इसके लिए दुनिया की सबसे बड़ी बोरिंग मशीन बना दी.
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सुरंग का एंट्रेस, मार्टिन हेरेनक्नेष्ट काम का जायजा लेने जा रहे हैं. कुछ ही मिनटों बाद वे समुद्रतल से 50 मीटर नीचे पहुंच जाते हैं.
उनके ऊपर दक्षिण चीन सागर है. सुरंग हांग कांग एयरपोर्ट को चीन की मुख्यभूमि से जोड़ेगी.
सुरंग बनाने के लिए नए प्रकार की मशीन इस्तेमाल हो रही है. यह दुनिया की सबसे बड़ी मशीन है. 17.6 मीटर के व्यास वाली मशीन का इस्तेमाल शुरुआती 1.2 किलोमीटर के लिए किया गया है. यह बहुत ही दिलचस्प है, जब हम देखें कि हम सड़क के लिए सुरंग बना रहे हैं. बाद में 14 मीटर व्यास वाली मशीन का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके लिए एक द्वीप बनाएंगे ताकि मशीन एसेंबल कर सकें.
जर्मन कंपनी हेरेनक्नेष्ट लिमिटेड के प्रमुख मार्टिन हेरेनक्नेष्ट का कहना है कि इस विशेष बोरिंग मशीन के बिना सुरंग का निर्माण संभव नहीं था. उनके इंजीनियरों ने दो साल तक इस मशीन को बनाने पर काम किया है. यह प्रोजेक्ट चीन और फ्रांस का ज्वाइंट वेंचर है. जर्मन कंपनी सिर्फ मशीनों की सप्लाई कर रही है.
अजूबा है दुनिया की सबसे लंबी रेल सुरंग
दुनिया की सबसे लंबी रेल सुरंग स्विट्जरलैंड में है. इस शाहकार को जरूर देखना चाहिए. आइए, देखते हैं...
इस रास्ते पर रेल नहीं थी इसलिए 10 लाख ट्रक सामान लाते-ले जाते थे.
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किसे पछाड़ा
अब तक की सबसे लंबी रेल सुरंग जापान में थी. यह 53.9 किलोमीटर लंबी है.
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चैनल टनल
दुनिया की तीसरी सबसे लंबी रेल सुरंग 50.5 किलोमीटर लंबी चैनल टनल है जो यूके और फ्रांस को जोड़ती है.
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कितना खर्च
इस प्रोजेक्ट पर 12.5 अरब डॉलर का खर्च आया है.
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लोगों की मंजूरी
1992 में स्विट्जरलैंड में एक रेफरेंडम के जरिये इस सुरंग को बनाने का फैसला लिया गया.
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2.3 किलोमीटर गहरा
सुरंग का एक हिस्सा तो जमीन के 2.3 किलोमीटर गहराई में है जहां तापामान 2.3 किलोमीटर है.
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कितनी चट्टानें
इसे बनाने के लिए 73 अलग-अलग तरह की चट्टानें तोड़ी गईं जिनमें से कुछ ग्रेनाइट जैसी कठोर थीं तो कुछ चीनी जैसी नरम.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
इतनी लंबी मशीन
जिस ड्रिलिंग मशीन का इस्तेमाल हुआ वह 410 मीटर लंबी है.
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28 टन पत्थर
सुरंग बनाने में कुल मिलाकर 28 टन पत्थर निकला.
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9 जानें
सुरंग बनाने में 9 मजदूरों की जान गई है.
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2600 लोग
इस सुरंग को बनाने के लिए कुल 2600 लोगों ने काम किया है.
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समय पर
सुरंग का निर्माण समय पर पूरा हुआ है और बजट भी उतना ही रहा, जितना तय किया गया था.
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रोटरडैम से जेनोआ
ट्रेन का कनेक्शन नीदरलैंड्स के रोटरडैम से इटली के जेनोआ तक होगा.
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दिसंबर से
रेल सेवाएं पूरी तरह दिसंबर में शुरू होंगी.
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एक घंटा बचेगा
इस सुरंग के शुरू होने पर ज्यूरिख से मिलान के बीच की यात्रा एक घंटा छोटी होकर दो घंटे 40 मिनट की रह जाएगी.
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सीधा रास्ता
अब तक इस रास्ते पर जो सुरंग थी वह 1980 में शुरू हुई थी. उसका रास्ता घुमावदार था. इसका रास्ता एकदम सीधा है.
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17 मिनट में तीन सौ पार
इस सुरंग से सिर्फ 17 मिनट में 260 मालगाड़ियां और 65 सवारी गाड़ियां गुजरेंगी.
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लेकिन सुरंग बनाने वाली जगह तक मशीनें और कच्चा माल पहुंचाना आसान नहीं है. सुरंग निर्माण के दौरान मुख्य जोखिम पानी भरने का है. वहीं मौसम की चुनौती देता है. पहले से तैयार कई ढांचे चीन से आते हैं, 1,600 किलोमीटर दूर से और यदि समुद्र शांत न हो और तूफान हो तो जहाज उन्हें समय पर नहीं लाया जा सकता. और देरी का मतलब है अतिरिक्त खर्च और काम का लंबा खिंचना.
सुरंग बन जाने के बाद यहां दो या तीन लेन की सड़क गुजरेगी. इस सुरंग को बनाने का खर्च 1.8 अरब यूरो है. यह इस समय हांग कांग के सबसे बड़े प्रोजेक्टों में एक है. इसके समांतर एक मेट्रो लाइन भी बनाई जा रही है.
हेरेनक्नेष्ट को चीन में कारोबार से कोई मुश्किल नहीं है. यहां वे पूरी तरह अपनी मशीनों पर ध्यान दे रहे हैं, "इस मशीन को एकदम सटीक तरीके से चलाना पड़ता है ताकि सही लक्ष्य पर पहुंचा जा सके. पिछले हफ्ते ही यह मशीन बाहर निकली है और इससे अगले चरण की खुदाई होगी. इस तकनीक का हम यहां इस्तेमाल कर रहे हैं."
मझौले आकार के उद्यम के मालिक को भरोसा है कि और कोई कंपनी इस तरह की मशीन नहीं बना सकती. इंजीनियर के रूप में वे खुद इससे प्रभावित हैं. नई मशीन के जरिये वह चीन में बहुमंजिला सुरंगें भी बनाना चाहते हैं. हेरेनेक्नेष्ट कहते हैं, "हम और गहराई में जा सकते हैं, रोड टनल के साथ उसके नीचे रेलवे लाइन बनाने के लिए. इसके लिए 18 मीटर के व्यास वाली मशीन चाहिए. या फिर तीन लेन वाली सड़क की टनल और उसके नीचे मेट्रो की लाइन. यानि कई काम वाली सुरंग, टेलिकम्युनिकेशन, पानी की निकासी, इंटरनेट, सब एक दूसरे से जुड़ी."
ग्लोबल कारोबार में बने रहने के लिए निरंतर नई खोज जरूरी है. और उद्योमी हेरेनक्नेष्ट का यही मानना है. वह अपने सपनों को इस समय चीन में आकार दे रहे हैं, वो भी अपनी जबरदस्त मशीन के जरिये.
सबसे ऊंचा पुल
यह दुनिया का सबसे ऊंचा पुल है, जो चीन की क्षमताओं को एक नई ऊंचाई पर ले जाता है. देखिए...