चीन के सरकारी मीडिया और सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों ने कई विदेशी कंपनियों पर ग्राहकों को बहकाने का आरोप लगाया है. इसके पहले सरकार ने कनाडा गूस कंपनी के चीनी यूनिट पर झूठे विज्ञापनों के लिए जुर्माना लगाया था.
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यह सब ऐसे समय पर हो रहा है जब चीन और पश्चिमी देशों के तनाव की वजह से देश में राष्ट्रभक्ति को बढ़ावा मिल रहा है. इससे प्रेरित हो कर कुछ खरीदार देसी कंपनियों को चुन रहे हैं. सत्तारूढ़ पार्टी के युवा दल कम्युनिस्ट यूथ लीग ने कनाडा गूस पर लगे जुर्माने के बारे में अपने वीचैट सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, "झूठ की टोकरी और मिथ्या की लहर". सरकारी अखबार चाइना इकोनॉमिक डेली ने भी एक संपादकीय में इसी कंपनी के बारे में लिखा.
संपादकीय में रेखांकित किया गया कि कैसे शंघाई शहर में बाजार का नियमन करने वाली सरकारी संस्था ने कंपनी के स्थानीय यूनिट पर जून में झूठे विज्ञापनों के लिए 70,000 डॉलर जुर्माना लगाया था. नियामक के मुताबिक हंस के रोवों की जगह कंपनी के जैकेटों में बतख के रोवों का इस्तेमाल हो रहा है. इसके अलावा आरोप है कि कंपनी ने दावा किया कि हटराइट के नाम से जाना जाने वाला रोवां कनाडा का सबसे गर्म रोवां है और इससे ग्राहकों को बहकाया गया.
कई कंपनियां निशाने पर
अखबार ने "झूठ बोलने वाले कनाडा के हंस को पकड़ने" के लिए नियामक की प्रशंसा की. कनाडा गूस कंपनी और उसके चीनी यूनिट ने प्रतिक्रिया के लिए भेजे गए अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया. हालांकि अखबार ने यह भी कहा है कि सिर्फ इसी कंपनी की आलोचना नहीं हो रही है बल्कि चीन के उपभोक्ता विदेशी सामान के बेहतर होने की अपनी ही पूर्वधारणाओं पर सवाल उठाने लगे हैं.
यूथ लीग ने एक लेख में कहा, "हाल ही में अंतरराष्ट्रीय कंपनियां कई बार गलत काम करते हुए पकड़ी गई हैं जिसकी वजह से इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले यह सोचने लगे हैं कि विदेशी चांद चीन के चांद से ज्यादा गोल होता है क्या." चाइना इकोनॉमिक डेली ने भी कहा, "उपभोक्ता अब यह समझ गए हैं कि यह जरूरी नहीं है कि ब्रांड विदेशी है तो उसकी गुणवत्ता ज्यादा होगी...चीनी ब्रांड भी अब बढ़ रहे हैं."
जापानी ब्रांड के खिलाफ भी कार्रवाई
अखबार ने यूनिलीवर की मैग्नम आइस क्रीम की भी आलोचना की और कहा कि कंपनी उसी आइस क्रीम को बनाने में पश्चिमी देशों के मुकाबले चीन में सस्ती सामग्री का इस्तेमाल करती है. चीन में यूनिलीवर के दफ्तर में किसी ने फोन नहीं उठाया और कंपनी ने ईमेल का तुरंत जवाब नहीं दिया.
यूथ लीग ने जापानी दूध ब्रांड याकुल्ट की भी झूठे विज्ञापनों की वजह से आलोचना की. अगस्त में शंघाई के उसी नियामक ने याकुल्ट के एक स्थानीय यूनिट पर करीब 70,000 डॉलर का जुर्माना लगा दिया था.
नियामक का कहना था कि कंपनी ने एक विज्ञापन में दावा किया था कि प्रोबायोटिकों की कोविड-19 की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका थी. याकुल्ट के चीनी दफ्तर ने टेलीफोन कॉल और ईमेल का तुरंत जवाब नहीं दिया.
सीके/एए (रॉयटर्स)
100 साल की चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की कहानी
चीन पर शासन करने वाली कम्युनिस्ट पार्टी सौ साल की हो गई है. 28 जून 2021 को पार्टी की सौवीं वर्षगांठ मनाई गई. देखिए, समारोह की तस्वीरें और जानिए सीसीपी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें.
तस्वीर: Thomas Peter/REUTERS
आधुनिक चीन की संस्थापक
चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) आधुनिक चीन की संस्थापक है. 1949 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में पार्टी ने राष्ट्रवादियों को हराकर पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना की थी.
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सीसीपी की स्थापना
सीसीपी की स्थापना 1921 में रूसी क्रांति से प्रभावित होकर की गई थी. 1949 में पार्टी के सदस्यों की संख्या 45 लाख थी.
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सदस्यों की संख्या
पिछले साल के आखिर में सीसीपी के सदस्यों की संख्या नौ करोड़ 19 लाख से कुछ ज्यादा थी. 2019 के मुकाबले इसमें 1.46 प्रतिशत की बढ़त हुई थी. चीन की कुल आबादी का लगभग साढ़े छह फीसदी लोग ही पार्टी के सदस्य हैं. आंकड़े स्टैटिस्टा वेबसाइट ने प्रकाशित किए थे.
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सदस्यता
पार्टी की सदस्यता हासिल करना आसान नहीं है. इसकी एक सख्त चयन प्रक्रिया है और हर आठ आवेदकों में से एक को ही सफलता मिलती है. यह प्रक्रिया लगभग डेढ़ साल चलती है.
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कैसे हैं इसके सदस्य
सीसीपी के सदस्यों में साढ़े चार करोड़ से ज्यादा के पास जूनियर कॉलेज डिग्री है. करीब एक करोड़ 87 लाख सदस्य सेवानिवृत्त हो चुके नागरिक हैं. 2019 के आंकड़े देखें तो सदस्यों में 28 प्रतिशत किसान, मजदूर और मछुआरे थे.
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महिलाओं की संख्या
पिछले कुछ सालों में सीसीपी में महिलाओं की संख्या बढ़ी है. 2010 में पार्टी की 22.5 फीसदी सदस्य महिलाएं थीं जो 2019 में बढ़कर 28 फीसदी हो गईं. 2019 में सदस्यता लेने वालों में 42 फीसदी संख्या महिलाओं की थी.
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पार्टी पर दाग
पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक पार्टी में 18 प्रतिशत सदस्यों का सरकार पर भरोसा नहीं था. 2020 में छह लाख 19 हजार सीसीपी सदस्यों पर भ्रष्टाचार के मुकदमे दर्ज थे. 2010 में एक रिपोर्ट आई थी जिसके मुताबिक उस साल 32 हजार लोगों ने पार्टी छोड़ दी थी.
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सम्मेलन
हर पांच साल में सीसीपी का एक सम्मेलन होता है जिसमें नेतृत्व का चुनाव होता है. इसी दौरान सदस्य सेंट्रल कमेटी चुनते हैं, जिसमें लगभग 370 सदस्य होते हैं. इसके अलावा, मंत्री और अन्य वरिष्ठ पदों पर भी लोगों का चुनाव होता है.
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सात के हाथ में ताकत
सेंट्रल कमेटी के सदस्य पोलित ब्यूरो का चुनाव करते हैं, जिसमें 25 सदस्य होते हैं. ये 25 लोग मिलकर एक स्थायी समिति का चुनाव करते हैं. फिलहाल इस समिति में सात लोग हैं, जिन्हें सत्ता का केंद्र माना जाता है. इसमें पांच से नौ लोग तक रहे हैं.
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महासचिव
सबसे ऊपर महासचिव होता है जो राष्ट्रपति बनता है. 2012 में हू जिन ताओ से यह पद शी जिन पिंग ने लिया था. बाद में संविधान में बदलाव कर राष्ट्रपति पद की समयसीमा ही खत्म कर दी गई और अब शी जिन पिंग जब तक चाहें, इस पद पर रह सकते हैं.