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चीन में शॉल्त्स के सामने संतुलन बिठाने की चुनौती होगी

११ अप्रैल २०२४

जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स इस सप्ताहांत चीन की यात्रा पर जा रहे हैं. पश्चिमी देशों के तीखे होते स्वरों के दौर में जर्मनी के सबसे बड़े कारोबारी सहयोगी के साथ बातचीत को संतुलित बनाए रखना उनकी बड़ी चुनौती होगी.

बीजिंग में ओलाफ शॉल्त्स और शी जिनपिंग (फाइल)
जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स दूसरी बार चीन की यात्रा पर जा रहे हैंतस्वीर: Kay Nietfeld/dpa/picture alliance

विश्व स्तर पर देखा जाए तो चीन और जर्मनी दोनों की अर्थव्यवस्थाएं इस समय बहुत अच्छी स्थिति में नहीं हैं. ऐसे समय में जर्मन चांसलर शॉल्त्स मंत्रियों और कारोबारियों का एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल अपने साथ लेकर चीन जा रहे हैं. शॉल्त्स को चीन की अनुचित सब्सिडी पर यूरोपीय संघ की तल्खी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा वाले शब्दों के बीच संतुलन बनाना होगा.

शॉल्त्स के साथ विशाल प्रतिनिधिमंडल

जर्मन चांसलर इसके साथ ही चीन को रूस के मामले में कुछ कठोर शब्द भी कह सकते हैं. यूक्रेन पर हमले के बावजूद चीन ने रूस की तरफ से अपना मुंह नहीं मोड़ा है. दौरे का अंत चीन की राजधानी बीजिंग में मंगलवार को राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चांसलर शॉल्त्स की मुलाकात से होगा. इससे पहले शॉल्त्स चोंगकिंग और शंघाई जाएंगे. बतौर चांसलर शॉल्त्स की यह दूसरी चीन यात्रा है.

चीन का जोखिम घटाने के लिए क्या कर रही हैं जर्मन कंपनियां

इससे पहले 2022 के नवंबर में जब वह चीन गए थे तब वहां कोरोना की पाबंदियां जारी थीं. 18 महीने बीत जाने के बाद भी दोनों अर्थव्यवस्थाएं मुश्किलों से जूझ रही हैं. शॉल्त्स के विमान में फोक्सवागन, जीमेंस, बायर समेत कई दिग्गज कंपनियों के प्रतिनिधि होंगे. इसके अलावा परिवहन मंत्री फोल्कर विसिंग समेत तीन कैबिनेट मंत्री भी जा रहे हैं.

पवन चक्की जैसे ग्रीन टेक्नोलॉजी से जुड़े उद्योग को चीन भारी सब्सिडी दे रहा हैतस्वीर: Huang Hai/Photoshot/picture alliance

बर्लिन में मर्केटर इंस्टिट्यूट फॉर चाइना स्टडीज के प्रमुख अर्थशास्त्री माक्स जेंगलाइन का कहना है, विस्तृत प्रतिनिधिमंडल "सचमुच असाधारण" है और इस बात का संकेत भी कि यात्रा में प्रमुखता कारोबारी साझेदारियों की रहेगी.

चीन के प्रति बदला रुख

पश्चिमी देशों के राजनेताओं का रुख चीन की तरफ थोड़ा बदला है. उन्हें इस बात की चिंता हो रही है कि कहीं चीनी आयात पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता उनके लिए बोझ ना बन जाए. अमेरिका ने चीनी कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार को सीमित करने की शुरुआत कर दी है. इधर यूरोपीय संघ ने ग्रीन टेक्नोलॉजी के मामले में चीनी कंपनियों को अनुचित सब्सिडी पर निशाना लगाया है. यूरोपीय आयोग ने चीन के पवनचक्की सप्लायरों के खिलाफ मंगलवार को एक जांच शुरू की है. इसके पहले सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक कार और ट्रेनों के लिए सरकारी सहायता की जांच पहले ही शुरू हो चुकी है.

जर्मन कार इंडस्ट्री को झटका देता चीन

यूरोपीय संघ के इन कदमों ने कारोबारी तनाव बढ़ा दिया है. चीन का कहना है कि आयोग के "भेदभावपूर्ण कदमों" से वह "बहुत चिंतित" है. जेंगलाइन का कहना है कि इसके उलट जर्मनी ने चीन को "दोस्ताना चेहरा" दिखाया है और वह चीन के साथ अपने आर्थिक रिश्तों में "संतुलन बनाने" की कोशिश कर रहा है.

विश्लेषकों का मानना है कि जर्मनी अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर चीन पर दबाव बना सकता है

चीन पर निर्भरता का जोखिम

शॉल्त्स खुद अपने रवैये को "जोखिम हटाना" मानते हैं जिसमें कंपनियों से कहा जा रहा है कि वह एक ही साझीदार के साथ जुड़ का ना रहें और दूसरे कारोबारियों के साथ भी रिश्तों को अहमियत दें. हालांकि कोलोन की आईडब्ल्यू रिसर्च इंस्टिट्यूट के मुताबिक इसके बाद भी जर्मन कारोबार चीनी बाजार पर बहुत ज्यादा निर्भर है. आईडब्ल्यू के विश्लेषक युर्गेन माथेस ने जर्मन अखबार हांडेल्सब्लाट से कहा कि रसायन या इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में ऐसा कोई ढांचागत जोखिम खत्म होता नहीं दिखा है.

हालांकि विश्लेषक यह भी मानते हैं कि जर्मनी का आर्थिक प्रभाव चीन पर उसे थोड़ा फायदा उठाने की स्थिति में रखता है. विश्लेषकों ने यह भी आग्रह किया है कि जर्मनी को यह मौका गंवाना नहीं चाहिए. जर्मनी सहयोगी के रूप में अपने महत्व को दिखा कर चीन पर थोड़ा दबाव बना सकता है.

क्या कहती है जर्मनी की न्यू चाइना पॉलिसी

जर्मन चांसलर की यात्रा से ठीक पहले रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव चीन गए हैं. जर्मन चांसलर इस मौके का इस्तेमाल चीन पर रूस के साथ सहयोग घटाने के लिए दबाव बनाने में कर सकते हैं. दो साल पहले यूक्रेन पर हमले के बाद रूस दुनिया में अलग थलग हुआ है और उस पर चीन का प्रभाव बढ़ा है. शॉल्त्स की यात्रा से पहले उनके प्रवक्ता स्टेफेन हेबेस्ट्राइट ने कहा यह साफ है, "चीन का रूस पर असर है. हमारी इच्छा होगी कि चीन इस असर का इस्तेमाल करे."

एनआर/आरपी (एएफपी)

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