चीन के प्रशासन ने स्थानीय मौसम विभाग को स्मॉग संबंधी चेतावनी जारी न करने का आदेश दिया, कहीं सरकार की मंशा वायु प्रदूषण से जुड़े तथ्यों को छुपाने की तो नहीं है?
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चीन के मौसम विभाग ने मंगलवार देर रात अधिसूचना जारी कर तत्काल प्रभाव से स्मॉग संबंधी चेतावनी जारी करने पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं. सरकार के मुताबिक अब इन सारी चेतावनियों को किसी एक विभाग द्वारा ही जारी किया जाएगा ताकि विभागों के बीच होने वाले अंतर को समाप्त किया जा सके. सरकार समर्थित चीन के एक ऑनलाइन प्रकाशन द पेपर ने मौसम विभाग के प्रतिनिधि के हवाले से कहा है कि मौसम ब्यूरो और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े विभागों में मौसम और स्मॉग संबंधित जानकारी को लेकर अक्सर मतभेद रहते हैं. उन्होंने कहा कि इसे लेकर एक संयुक्त चेतावनी प्रक्रिया तैयार किया जाएगी ताकि इस पर चर्चा की जा सके कि किसके द्वारा ऐसी चेतावनियां जारी की जानी चाहिए.
9 शहर जहां सांस लेना खतरनाक है
हवा में इतना धूल, धुआं और स्मॉग मिल चुका है कि फेफड़ों को साफ हवा नसीब होना मुश्किल है. देखिए दुनिया भर से कुछ ऐसे शहरों की तस्वीरें, जहां सांस लेना खतरनाक होता जा रहा है.
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नई दिल्ली, भारत
नई दिल्ली में पिछले 30 सालों में वाहनों की संख्या 1.8 लाख से बढ़ कर 35 लाख हो गई है. गाड़ियों के अलावा शहर में कोयले से चलने वाले पावर प्लांट प्रदूषण का अहम कारण हैं. कुल वायु प्रदूषण में 80 फीसदी हाथ इन्हीं का है.
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उलान बतोर, मंगोलिया
उलान बतोर ना सिर्फ सबसे ठंडी राजधानी है बल्कि यहां वायु प्रदूषण भी भयंकर है. शहर में धुंध का 70 फीसदी हिस्सा सर्दी के महीनों में कोयला और लकड़ी जलाने से होता है. यहां वायु प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठनों के सांस लेने के लिए सुरक्षित पैमानों से सात गुना ज्यादा है.
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बीजिंग, चीन
चीन की राजधानी बीजिंग में धुंध का यह हाल है कि वैज्ञानिक इसे रिहाइश के लिए लगभग असुरक्षित घोषित कर चुके हैं. हालांकि यहां 2 करोड़ लोग रहते हैं. अनुमान है कि तगभग 35 लाख लोग हर साल दुनिया भर में वायु प्रदूषण के कारण जान गंवा रहे हैं. इनमें से आधे मामले चीन के हैं.
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लाहौर, पाकिस्तान
वायु प्रदूषण पाकिस्तान के लिए भी बड़ी जलवायु समस्या है. लाहौर में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं. आसपास के मरुस्थल से आने वाली रेत के अलावा धूल और वाहनों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक हैं.
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रियाध, सऊदी अरब
रियाध में रेत के तूफानों से सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होता है. सऊदी अरब में पराबैंगनी किरणें यातायात और औद्योगिक धुएं से मिलकर ओजोन बनाती हैं.
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काहिरा, मिस्र
काहिरा में वायु प्रदूषण के कारण शहरियों में कई तरह की श्वास संबंधी बीमारियां पाई जा रही हैं. वायु प्रदूषण में बढ़ोत्तरी की बड़ी वजह शहर में बढ़ रहा यातायात और औद्योगिक विस्तार है.
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ढाका, बांग्लादेश
जर्मन शहर माइंस के माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट के मुताबिक ढाका में हर साल करीब 15 हजार लोग वायु प्रदूषण के कारण मरते हैं. रिसर्चरों के मुताबिक यहां वायु में सल्फर डाई ऑक्साइड का स्तर दुनिया में सबसे ज्यादा है.
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मॉस्को, रूस
मॉस्को में धुंध की वजह वायु में हाइड्रोकार्बन का उच्च स्तर है. मॉस्को से गुजरने वाली पश्चिमी हवाओं के कारण शहर के पश्चिमी भाग में वायु पूर्वी भाग से बेहतर है.
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मेक्सिको शहर, मेक्सिको
मेक्सिको शहर तीन ओर से पहाड़ियों से घिरा है. हवा में हाइड्रोकार्बन और सल्फर डाई ऑक्साइड की उच्च मात्रा के कारण काफी लंबे समय तक मेक्सको को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर माना जाता रहा. कुछ फैक्ट्रियों को बंद किए जाने और यातायात नियमों में परिवर्तन से हालात कुछ बेहतर हुए हैं.
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चीनी अधिकारियों द्वारा एक कलर कोड सिस्टम को स्मॉग संबंधी जानकारियों के लिए अब तक इस्तेमाल किया जाता है. इसमें अगर लाल रंग है तो इसका अर्थ है कि गंभीर प्रदूषण का स्तर बीते 72 घंटे से भी ज्यादा रहेगा यह तंत्र दफ्तरों, स्कूलों और आम लोगों को स्मॉग की जानकारी देता है ताकि समय रहते आपातकालीन कदम उठाए जा सके, मसलन सड़कों से गाड़ियों को हटाना और प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों को बंद करना.
पिछले कुछ समय में कई स्थानीय और राष्ट्रीय विभागों ने अलग- अलग अलर्ट जारी किए हैं जिसके चलते कई बार स्कूलों, कारखानों के सामने ये भी चुनौती आई है कि किसे माना जाए और किसे न माना जाए.
आलोचक कहते रहे हैं कि सरकार चेतावनियां जारी करने को लेकर हिचकिचाती रही है, क्योंकि सरकार को डर है कि कही ऐसी खबरें उसके आर्थिक प्रदर्शन को नुकसान न पहुंचाए. सरकार के इस फरमान को चीन की ब्लॉगिंग साइट वाइवो पर बहुत ज्यादा शेयर किया जा रहा है.
मौसम की जानकारी पेश करने वाली एक स्थानीय संस्था ने अपने आधिकारिक वाइवो एकाउंट पर लिखा है कि पर्यावरण संरक्षण मंत्रालय से मौसम विभाग हार चुका है.
वायु प्रदूषण पिछले कई सालों से चीन में आम आदमी के गुस्से का कारण रहा है. तीव्र आर्थिक विकास को देश में होनी वाली पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं के लिए जिम्मेदार माना जाता रहा है. वाइवो पर एक यूजर ने लिखा है कि अब तक ये विभाग हमें अलग-अलग बेवकूफ बनाते थे और अब ये हमें साथ मिलकर बेवकूफ बनाएंगे.
(स्मॉग से हांफती दिल्ली)
दिल्ली की हवा जहरीली क्यूं
भारत की राजधानी दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बन चुकी है. और स्मॉग संकट ने यहां रहने वालों की सेहत के लिए "आपातकाल" की स्थिति पैदा कर दी है. जानिए दिल्ली की दूषित हवा में क्या घुला है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Gupta
पीएम2.5 (पर्टिकुलेट मैटर)
स्मॉग में शामिल यह ऐसे सूक्ष्म कण होते हैं जिनके सांस की हवा के साथ शरीर के अंदर जाने से गंभीर ब्रॉन्काइटिस, फेफड़ों का कैंसर और दिल की बीमारियों का खतरा होता है.
तस्वीर: DW
दिल्ली की सर्दी
दिल्ली की हवा खराब होने का एक और कारण जाड़ों का ठंडा मौसम है. खासकर दिवाली के त्योहार में लाखों पटाखे फोड़े जाने के बाद से उससे निकलने वाले प्रदूषक पदार्थ इस ठंडी हवा में कैद हो जाते हैं.
तस्वीर: UNI
धूल और धुआं
राजधानी में पश्चिम की सूखी बंजर धरती की ओर से धूल भरी आंधियां पहुंचती हैं और पास के राज्यों में फसलों की कटाई के बाद बची खुची खूंटी को जलाने वाला धुआं भी.
तस्वीर: AP
पहले से ही प्रदूषण में टॉप
2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वे में दुनिया के 1,600 से अधिक शहरों की रैंकिंग की गई. इनमें दिल्ली प्रदूषण के मामले में टॉप पर रही. एक अमेरिकी स्टडी के अनुसार विश्व भर में वायु प्रदूषण से होने वाली आधी से अधिक मौतें केवल चीन और भारत में ही होती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M.Swarup
प्रवासी आबादी
दिल्ली के प्रदूषण की ही तरह उसकी आबादी भी बहुत तेज रफ्तार से बढ़ रही है. हर साल कई लाख नए प्रवासी राजधानी पहुंचते हैं और उनके आने से भी शहर के संसाधनों पर बोझ बढ़ता है.
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तेज विकास और निर्माण
विकासशील देश भारत की राजधानी में तेज विकास का सबसे बड़ा उदाहरण रिहायशी और फैक्ट्री वाली इमारतों के निर्माण कार्य में दिखता है. इन निर्माण स्थलों के आसपास धूल का अंबार होता है. इसके अलावा कोयले से चलने वाले बिजली के प्लांट भी हवा में काफी प्रदूषक छोड़ते हैं.
तस्वीर: Getty Images/D. Berehulak
कारें ही कारें
राजधानी के लोगों की क्रय क्षमता बढ़ने के साथ साथ कारों की बिक्री में तेज बढ़ोत्तरी हुई है. हर रात राजधानी की सड़कों पर कम से कम एक करोड़ कारें अपने रास्ते चलती हैं. साथ ही उनसे निकलने वाला धुआं भी दूर तक निकलता है.
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पटाखों का शोर और धुआं
दिवाली हो, शादी हो या भारत ने क्रिकेट मैच जीता हो, त्योहारों और ऐसे सभी मौकों पर पटाखे छोड़ने का चलन रहा है. स्मॉग को देखते हुए फिलहाल केवल धार्मिक अवसरों पर ही ऐसा करने की अनुमति है.
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डीजल का धुआं
पिछले साल डीलज ट्रकों पर भारी चुंगी लगा दी गई थी. जनवरी में ऑड-इवेन सिस्टम का प्रयोग भी किया गया, जो काफी सफल रहा. अब दिल्ली सरकार सड़कों पर चौराहों में हवा को साफ और सुगंधित करने वाले प्यूरिफायर लगवाने जा रही है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Singh
खेतों की आग
दिल्ली सरकार अब तक पास के राज्यों हरियाणा और पंजाब के लोगों को हर फसल के बाद खेतों में आग लगाने की परंपरा छोड़ने को राजी नहीं करवा पाई है. यह भी दिल्ली के स्मॉग की स्थिति को और खराब कर रही है.