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चीन से सहयोग और स्पर्धा का रिश्ता: मनमोहन

७ सितम्बर २०१०

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि चीन के साथ सीमा विवाद का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान तलाशा जाना चाहिए लेकिन भारत को सावधानी भी बरतनी होगी. दोनों देशों में सहयोग और स्पर्धा का संबंध है.

शांति से सुलझे विवादतस्वीर: UNI

दिल्ली में संपादकों के साथ बातचीत में मनमोहन ने कहा कि एशिया की दो बड़ी ताकतों के बीच रिश्ता सहयोग और स्पर्धा का है. इसलिए कोशिश होनी चाहिए कि दोनों देश शांति से विकास के रास्ते पर आगे बढ़ें. मनमोहन ने बताया कि उन्होंने चीनी राष्ट्रपति हू चिन्थाओ और प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के साथ काम किया है और लगभग हर साल उनसे बातचीत होती रही है.

पाकिस्तान पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का मानना है कि देश में कायम हालात और जटिलताओं के बावजूद भारत को रिश्ते सुधारने का प्रयास करना चाहिए. विदेश मंत्री एसएम कृष्णा और शाह महमूद कुरैशी के बीच वार्ता सफल न रहने पर प्रधानमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में मुश्किलें आती रहती हैं.

कांग्रेस और यूपीए सरकार में मतभेद की अटकलों पर मनमोहन सिंह ने कहा कि अगर मंत्री और पार्टी नेताओं में वैचारिक मतभेद सामने आते हैं तो इसमें गलत कुछ भी नहीं है. कांग्रेस एक आंदोलन है जिसमें अलग अलग राय होना स्वाभाविक है और एक लोकतंत्र में ऐसा ही होता है.

हालांकि मनमोहन सिंह ने माना कि कैबिनेट और सरकार को एकसुर में काम करना चाहिए. पीएम ने तो यहां तक कह दिया कि उनके कैबिनेट ने जवाहर लाल नेहरु की कैबिनेट की तुलना में ज्यादा मिलकर काम किया है.

प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि नेहरु और उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल के बीच भी मतभेद थे और उनमें रोजाना पत्रों का आदान प्रदान हुआ. इंदिरा गांधी और मोरारजी देसाई भी कई मुद्दों पर अलग अलग राय रखते थे. इंदिरा गांधी के कार्यकाल में चंद्रशेखर के नेतृत्व में "युवा तुर्कों" ने खुलकर अपना विरोध दर्ज कराया.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड

संपादन: आभा एम

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