चुनावी फायदे में उलझा तेलंगाना
१९ फ़रवरी २०१४रेड्डी ने अपना इस्तीफा देने के साथ कांग्रेस को भी छोड़ने का एलान किया. तेलंगाना विधेयक को बुधवार को राज्यसभा में पेश किया जाना था लेकिन विधेयक के पेश होने के कुछ मिनटों बाद ही राज्य सभा में हंगामा मच गया. हंगामे के चलते सदन को स्थगित कर दिया गया. अब विधेयक गुरुवार को पेश किया जाएगा.
मंगलवार को तेलंगाना बिल पर लोकसभा में भी बहुत हलचल हुई. आंध्र प्रदेश के विभाजन का विरोध करने वाले सांसदों की वजह से टेलीविजन पर सीधे प्रसारण को भी रोकना पड़ा हालांकि एक जांच में पता चला है कि सिग्नल खराब हो जाने की वजह से ऐसा हुआ.
रेड्डी ने कहा कि विधेयक को बिना पर्याप्त बहस के पारित कर देना शर्मनाक है. आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "जिस प्रकार से विधेयक को लोकसभा ने पारित किया है उससे पता चलता है कि हमारी संसदीय संस्थाओं का किस हद तक पतन हुआ है." रेड्डी ने कांग्रेस और बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह लोकसभा चुनावों के चश्मे से सब कुछ देख रहे हैं, इसीलिए तेलंगाना मुद्दे का समर्थन कर रहे हैं.
लेकिन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भारत सरकार के रवैये का बचाव किया है और कहा है कि कुछ सांसदों के विरोध की वजह से सरकार को तेलंगाना बिल जल्दी पारित करना पड़ा, "अगर 12 लोग लोकसभा के काम में रोज के रोज बाधा डालें और उस दिन भी जब बिल पर वोटिंगो हो, तो क्या यह लोकतांत्रिक है, यह बहुत ही अलोकतांत्रिक है." आलोचकों का कहना है कि कांग्रेस लोकसभा चुनावों से पहले समर्थन जुटाना चाहती है, खासकर सूखे वाले इलाकों में, जो तेलंगाना में शामिल हो जाएंगें. लेकिन हो सकता है कि यह रणनीति काम न करे क्योंकि किरण रेड्डी अब खुद अपनी पार्टी बनाने जा रहे हैं.
वहीं तेलंगाना के समर्थकों के मुताबिक वह 50 से ज्यादा सालों से अपने राज्य के लिए लड़ रहे हैं. उनका कहना है कि आंध्र प्रदेश की सरकारों ने उनकी जरूरतों को अनदेखा किया है. आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों ने तेलंगाना का विरोध किया है क्योंकि इससे आंध्र प्रदेश में अर्थव्यवस्था अस्त व्यस्त हो जाएगी. हैदराबाद में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और डेल जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की भारतीय शाखाओं के मुख्यालय हैं. तेलंगाना के बनने के बाद अगले 10 सालों तक हैदराबाद सीमांध्र और तेलंगाना की राजधानी रहेगा.
राज्यसभा में तेलंगाना विधायक पारित होने पर सीमांध्र इलाके में हिंसा होने की आशंका है. इससे पहले भारत सरकार ने 2000 में राज्य सीमायें दोबारा तय की थीं. उस वक्त छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड राज्यों का गठन किया गया.
एमजी/ओएसजे (एएफपी, पीटीआई)